ये सड़कें खुद बोलती हैं.. वे नेता-अफसरों के इलाके की हैं या फिर आम शहरवासियों की
ये सड़कें खुद बोलती हैं…:वे नेता-अफसरों के इलाके की हैं या फिर आम शहरवासियों की
शहर की तमाम डामर सड़कें उखड़ चुकी हैं, लेकिन जो सड़कें महापौर सचिवालय और निगमायुक्त के बंगले के सामने है, वह 28 इंच बारिश के बाद भी चमक रही है। वहां एक सेंटीमीटर का भी गड्ढा नजर नहीं आता। हालांकि इनसे कुछ ही दूरी पर स्थित रेडियो कॉलोनी और आजाद नगर की सड़कें बुरी तरह उखड़ी हुई हैं। यानी सिर्फ अफसरों के इलाके की सड़कें बची हैं, ये भी बताता है कि सवाल सिर्फ और सिर्फ गुणवत्ता का है। जहां ठीक से काम हुआ है, वहां सड़क बरकरार है। नेहरू नगर समेत बाकी हिस्से खुद अपनी कहानी कह रहे हैं।
बात – नागेंद्र .. तत्कालीन जेडओ, जोन 11
तीन साल में कुछ नहीं बिगड़ा इन सड़कों का
रेसिडेंसी एरिया की सड़कें कब बनी थी?
– रेसिडेंसी का एरिया निगम के जोन 11 में आता है। यह सड़कें तीन साल पहले बनाई गईं थीं।
ये तीनों सड़कें किस ठेकेदार ने बनाई थी?
– रितेश गोयल और ओमप्रकाश मित्तल की फर्म को कान्ट्रैक्ट मिला था।
इन सड़कों पर तो एक गड्ढा नहीं हुआ?
– इन सड़कों का फ्लो अच्छा होगा, पानी रुका नहीं, बह गया।
पास की अन्य सड़कों पर तो गड्ढे हो गए?
– वहां पर पानी रुकने की समस्या रही होगी।
जो पूछना है निगम के सब-इंजीनियरों से पूछिए
ठेकेदार रितेश गोयल, केजी गुप्ता, आशीष अग्रवाल, अर्पित गोयल, सुरेश काबरा का कहना है, हम निगम के सब-इंजीनियर की देखरेख व नॉर्म्स से सड़क बनाते हैं। कुछ पूछना है तो उन्हीं से पूछें।
1. यह सड़क रेसिडेंसी क्षेत्र में महापौर सचिवालय के सामने की है। 2. वहां से 400 मीटर दूर निगमायुक्त के बंगले के बाहर भी सड़क बरकार है। 3. निगम के अपर आयुक्त के घर के बाहर की सड़क भी चमचमा रही है।
1. ये नेहरू नगर की सड़क है, जिससे आम शहरवासी गुजरते हैं। 2. अफसरों के रेसिडेंसी इलाके से बिल्कुल लगी हुई रेडियो कॉलोनी की सड़क खास्ताहाल है। 3.उसी के पास आजाद नगर की सड़कों से डामर नदारद है।