10 में से छह कॉकटेल दवाएं अवैध ? अनुमति न मिलने के बाद भी दुकानों पर सबसे ज्यादा बिक रहीं

चिंताजनक: 10 में से छह कॉकटेल दवाएं अवैध, अनुमति न मिलने के बाद भी दुकानों पर सबसे ज्यादा बिक रहीं
भारत में मानसिक रोगियों के लिए बिक रहीं 10 में से छह कॉकटेल दवाएं अवैध हैं। अनुमति न मिलने के बाद भी दुकानों पर सबसे ज्यादा यही दवाएं बिक रहीं हैं। 
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फिश ऑयल कैप्सूल 
भारत में जिन दवाओं के सहारे मानसिक बीमारियों का इलाज किया जा रहा है उनमें से ज्यादातर कॉकटेल दवाएं हैं और उन्हें बाजार में बेचने की मंजूरी नहीं है। यह जानकारी यूरोप, कतर व भारतीय शोधकर्ताओं के एक अध्ययन में सामने आई है जिन्होंने भारत में कॉकटेल दवाओं के लगातार बढ़ते बाजार पर चिंता जताई है।

इनका मानना है कि मानसिक बीमारियों के लिए इस्तेमाल में आने वाली 10 में से छह कॉकटेल दवाएं पूरी तरह अवैध हैं। इनके पास सरकार से अनुमति नहीं है। ऐसी हजारों दवाएं बाजार में मौजूद हैं जिनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए शोधकर्ताओं ने अपील की है।

जर्नल ऑफ फार्मास्युटिकल पॉलिसी एंड प्रैक्टिस में एक अध्ययन प्रकाशित हुआ है जिसमें भारत से पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया, यूके से न्यूकैसल विश्वविद्यालय, लंदन स्थित क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी और कतर विवि के शोधकर्ताओं ने पाया कि भारत में मानसिक बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल 60% से ज्यादा कॉकटेल दवाओं के पास बिक्री का लाइसेंस नहीं है। यह ऐसी दवाएं हैं जिनमें एक से अधिक दवाएं शामिल होती हैं। इसके बावजूद भारत में इन दवाओं का कारोबार कई हजार करोड़ रुपये में फैला है।

अवैध दवाओं से जूझ रहा भारत : शोधकर्ता
नई दिल्ली स्थित पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की स्वास्थ्य विशेषज्ञ आशना मेहता का कहना है कि भारत काफी समय से अवैध दवाओं से जूझ रहा है। इसे दूर करने के काफी प्रयासों के बावजूद अभी भी अस्वीकृत एफडीसी दवाएं बाजार में मौजूद हैं।

n बकौल मेहता पिछले एक दशक से इन दवाओं के कारोबार पर उनकी पूरी टीम शोध कर रही है। 2023 में प्रकाशित अध्ययन में खुलासा हुआ कि भारतीय बाजार में बेची जा रहीं 70 फीसदी एंटीबायोटिक एफडीसी दवाओं को बिक्री की मंजूरी नहीं है।

ऐसे पकड़ में आईं दवाएं
शोधकर्ताओं ने बताया कि भारतीय फार्मास्युटिकल के वाणिज्यिक डाटा फार्माट्रैक पर 35 साइकोट्रोपिक एफडीसी सूचीबद्ध हैं जो 2008 से 2020 के बीच बेची गई हैं। इन 35 में से 30 के बारे में जानकारी मौजूद है। इसलिए शोधकर्ताओं ने इन 30 दवाओं पर ही जांच को आगे बढ़ाया जिनमें से 13 एंटीसाइकोटिक्स, 11 एंटीडिप्रेसेंट और छह बेंजोडायजेपाइन दवाएं हैं। हैरानी तब हुई जब उन्होंने देखा कि 30 में से केवल 6 दवा को भारत में मंजूरी है।

अध्ययन पर सरकार करेगी विचार : स्वास्थ्य मंत्रालय
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा है कि यह काफी गंभीर मुद्दा है और एफडीसी दवाओं के खिलाफ सरकार लंबे समय से सख्त रवैया अपना रही है। इस अध्ययन पर विचार किया जाएगा। इसके लिए संबंधित समितियों से समीक्षा के लिए कहा जाएगा। उन्होंने यह भी कहा है कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) जल्द ही कई और एफडीसी दवाओं पर प्रतिबंध लगाने जा रहा है जो मरीजों के लिए जोखिम भरी हैं।

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