डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन ?
डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन: किसानों की आय बढ़ाने वाली इस योजना के बारे में जानिये सब कुछ
डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन भारत सरकार की एक योजना है, जिसका मकसद कृषि क्षेत्र में डिजिटल तकनीकों का इस्तेमाल करके किसानों की आय बढ़ाना और कृषि उत्पादकता में सुधार करना है.
केंद्र सरकार ने 2 सितंबर को किसानों के लिए कई बड़े ऐलान किए हैं. केंद्रीय मंत्री अश्विनी ने बताया कि सरकार देश के किसानों के लिए डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन शुरू कर रही है. इस मिशन के तहत कृषि क्षेत्र में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के निर्माण के लिए 2,817 करोड़ रुपये की डिजिटल कृषि मिशन को मंजूरी दी गई है.
अश्विनी वैष्णव के मुताबिक, डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर की तर्ज पर बनाया जा रहा है. इसके कुछ पायलट प्रोजेक्ट्स की सफलता के बाद अब इसे पूरे देश में लागू किया जा रहा है.
क्या है डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन
डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका मकसद कृषि क्षेत्र में डिजिटल तकनीकों का इस्तेमाल करके किसानों की आय बढ़ाना और कृषि उत्पादकता में सुधार करना है.
इस मिशन के माध्यम से भारत के किसानों को कृषि से जुड़ी अलग-अलग सेवाएं जैसे कि मौसम की भविष्यवाणी, बीज की गुणवत्ता, कीटनाशकों का उपयोग और बाजार की जानकारी ऑनलाइन प्राप्त कराई जाएगी.
डिजिटल कृषि मिशन के तहत तीन प्रमुख कॉम्पोनेंट को डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के रूप में शामिल किया गया है. इन कॉम्पोनेंट में एग्रीस्टैक (AgriStack), कृषि निर्णय समर्थन प्रणाली (Krishi Decision Support System – DSS) और मिट्टी प्रोफाइल मानचित्र (Soil Profile Maps) शामिल है.
देश के सभी किसानों को कृषि संबंधी जानकारी और सेवाएं प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाया जाएगा. साथ ही उन्नत कृषि तकनीकों, जल संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाकर कृषि उत्पादकता में सुधार पर भी काम किया जाएगा ताकि कृषि लागत कम कर नवाचार को प्रोत्साहित किया जा सके. इसके अलावा मिशन का उद्देश्य एक तकनीक-आधारित पारिस्थितिकी तंत्र, डिजिटल सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण (डीजीसीईएस) बनाना भी है, जो कृषि उत्पादन का सटीक अनुमान प्रदान कर सके.
मिशन के लिए फंडिंग
इस मिशन के लिए 2,817 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है, जिसमें से 1,940 करोड़ रुपये केंद्र सरकार की ओर से प्रदान किए जाएंगे. बाकी की राशि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) द्वारा दी जाएगी.
यह मिशन नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में कृषि मंत्रालय द्वारा योजनाबद्ध गतिविधियों का हिस्सा है. इस मिशन को अगले दो सालों में (2025-26 तक) पूरे देश में लागू किया जाएगा.
2021 में किया जाना था योजना की शुरुआत
इस मिशन को वित्तीय वर्ष 2021-22 में शुरू करने की योजना थी, लेकिन कोरोना महामारी के प्रकोप ने इन योजनाओं को बाधित कर दिया, इसके बाद सरकार ने 2023-24 और 2024-25 के केंद्रीय बजट में कृषि के लिए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण की घोषणा की.
डिजिटल कृषि मिशन के तहत क्या क्या करेगी केंद्र सरकार
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि कृषि मंत्रालय DPI के निर्माण और कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकारों के साथ समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया में है. अब तक उन्नीस राज्यों ने इस पहल में शामिल होने के लिए सहमति दे दी गई है.
इस रिपोर्ट के अनुसार मिशन के तहत बनाए जाने वाले तीन DPI में से एक, एग्रीस्टैक के लिए बुनियादी IT इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित और पायलट आधार पर परीक्षण भी किया जाना शुरू हो चुका है.
कैसा होगा किसान केंद्रित एग्रीस्टैक
किसान-केंद्रित DPI एग्रीस्टैक में तीन बुनियादी कृषि क्षेत्र रजिस्ट्री या डेटाबेस शामिल हैं. किसान रजिस्ट्री, भूगोलिक संदर्भित गांव मानचित्र (Geo-referenced Village Maps) और फसल सवां रजिस्ट्री (Crop Sown Registry). ये सभी राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों बनाए और मेंटेन किए जाएंगे.
किसान रजिस्ट्री: किसानों को आधार की तरह एक डिजिटल पहचान (‘किसान ID’) दी जाएगी, जो जमीन, पशुधन की स्वामित्व, बोई गई फसलों, जनसंख्या विवरण, परिवार की जानकारी, योजनाओं और लाभों की जानकारी आदि के रिकॉर्ड से गतिशील रूप से जुड़ी होगी.
एक अन्य स्त्रोत की मानें तो किसान ID के निर्माण के लिए पायलट परियोजनाएं छह जिलों, फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश), गांधीनगर (गुजरात), बीड (महाराष्ट्र), यमुनानगर (हरियाणा), फतेहगढ़ साहिब (पंजाब), और वीरुधुनगर (तमिलनाडु) में की गई हैं.
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी उसी रिपोर्ट में सूत्रों का हवाला देते हुए बताया है कि, सरकार का लक्ष्य 11 करोड़ किसानों के लिए डिजिटल पहचान बनाने का है, जिनमें से 6 करोड़ किसान वर्तमान (2024-25) वित्तीय वर्ष में शामिल किए जाएंगे, अगले 3 करोड़ किसान 2025-26 में, और शेष 2 करोड़ किसान 2026-27 में शामिल किए जाएंगे.
पिछले महीने, राज्यों को किसान रजिस्ट्री बनाने के लिए प्रोत्साहन देने के लिए 5,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, जो “राज्यों के लिए विशेष सहायता योजना” के तहत 2024-25 के पूंजी निवेश के लिए है. यह राशि डिजिटल कृषि मिशन के लिए किए गए बजट आवंटनों से अलग है.
फसल सवां रजिस्ट्री
इस मिशन में फसल सवाँ रजिस्ट्री को जरिये किसानों द्वारा बोई गई फसलों की जानकारी इकट्ठा की जाएगी. यह जानकारी डिजिटल फसल सर्वेक्षण या मोबाइल आधारित ग्राउंड सर्वेक्षण के माध्यम से प्रत्येक फसल सीजन में दर्ज की जाएगी.
भौगोलिक संदर्भित गांव मानचित्र
इसके अलावा इस मिशन को पूरा करने के लिए गांव मानचित्र की मदद ली जाएगी. ये मानचित्र भूमि रिकॉर्ड की भौगोलिक जानकारी को उनकी भौतिक जगहों से जोड़ेंगे.
कृषि DSS
हाल ही में लॉन्च की गई कृषि निर्णय समर्थन प्रणाली (Krishi DSS) एक व्यापक भू-स्थानिक प्रणाली बनाएगी जो फसलों, मिट्टी, मौसम, और जल संसाधनों जैसी दूरस्थ सेंसिंग आधारित जानकारी को एकीकृत करेगी. यह जानकारी फसल मानचित्र बनाने में मदद करेगी, जो फसल बोने के पैटर्न, सूखा/बाढ़ की निगरानी, और फसल बीमा दावों को निपटाने के लिए तकनीक-/मॉडल-आधारित उपज मूल्यांकन में सहायक होगी.
मिट्टी प्रोफाइल मानचित्र
मिशन के तहत, लगभग 142 मिलियन हेक्टेयर कृषि भूमि के विस्तृत मिट्टी प्रोफाइल मानचित्र (1:10,000 स्केल पर) तैयार किए जाने की योजना है. सूत्रों के अनुसार, लगभग 29 मिलियन हेक्टेयर की विस्तृत मिट्टी प्रोफाइल इन्वेंटरी पहले ही पूरी की जा चुकी है.
डिजिटल जनरल फसल अनुमान सर्वेक्षण (DGCES)
यह मौजूदा फसल उपज अनुमान प्रणाली को सुधारने और डेटा को अधिक मजबूत बनाने में एक महत्वपूर्ण कदम होगा, जिससे भारत की कृषि उत्पादन अनुमानों की सटीकता के बारे में उठाए जाने वाले सवालों को हल किया जा सके.
बेहतर डेटा सरकार को कागज रहित न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)-आधारित खरीद, फसल बीमा, और क्रेडिट कार्ड-लिंक्ड फसल ऋण जैसी योजनाओं और सेवाओं को अधिक कुशल और पारदर्शी बनाने में मदद करेगा, और उर्वरकों के संतुलित उपयोग के लिए सिस्टम विकसित करने में सहायक होगा.
फसल बोई गई क्षेत्र पर डिजिटल रूप से कैप्चर किए गए डेटा, DGCES आधारित उपज और दूरस्थ-सेंसिंग डेटा के साथ, फसल उत्पादन अनुमानों की सटीकता को सुधारने में मदद करेगा यह डेटा फसल विविधीकरण को सुविधाजनक बनाने और फसल और मौसम के अनुसार सिंचाई की जरूरतों का मूल्यांकन करने में भी मदद करेगा.
इस मिशन से किसानों को कितना फायदा
डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन से किसानों को कई महत्वपूर्ण लाभ मिल सकते हैं, जो उनकी उत्पादकता, आय और जीवन स्तर को सुधारने में मदद करेंगे. डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के जरिये किसानों को उनकी फसलों, मिट्टी की गुणवत्ता, और मौसम की जानकारी वास्तविक समय में मिलेगी. इससे उन्हें बेहतर कृषि निर्णय लेने में मदद मिलेगी, जिससे फसल की उपज और गुणवत्ता में सुधार होगा.
किसान ID के माध्यम से किसानों का एक केंद्रीकृत डेटाबेस तैयार किया जाएगा, जिसमें उनकी जमीन, फसल और लाभार्थी योजनाओं की जानकारी शामिल होगी. इससे किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सकेगा और उन्हें किसी प्रकार की कागजी कार्रवाई की जरूरत नहीं होगी.
बेहतर डेटा और डिजिटल साधनों के माध्यम से फसल बीमा दावों का निपटान अधिक सटीक और तेज़ी से हो सकेगा. इसके अलावा, किसान आसानी से क्रेडिट कार्ड-लिंक्ड फसल ऋण प्राप्त कर सकेंगे.