मंगेश यादव का पहले एनकाउंटर फिर योगी सरकार का मजिस्ट्रियल जांच का आदेश ?
मंगेश यादव का पहले एनकाउंटर फिर योगी सरकार का मजिस्ट्रियल जांच का आदेश, छिपा है बड़ा सियासी संदेश
लॉ एंड ऑर्डर और एनकाउंटर
यूपी में लॉ एंड आर्डर काफी मजबूत हुआ है और ये एक तथ्य है. अपराध के कम होने, अपराधियों के यूपी छोड़ने या ताबड़-तोड़ फैसले के पर्याप्त प्रमाण हैं. यूपी में वही पुलिस है और काम कर रही है, जो 2017 यानी योगी सरकार के आने से पहले हुआ करती थी. यहां हम जिस घटना की बात कर रहे हैं, उन लोगों पर एक दर्जन ज्वैलर्स से लूट का आरोप था. 28 अगस्त की रात बिल्कुल फिल्मी अंदाज में डकैती हुई थी. उसके बाद कुछ ने पुलिस को सरेंडर किया और उसमें से एक आरोपी पुलिस के मुठभेड़ में मारा गया. हालांकि जिसका एनकाउंटर हुआ, उसका नाम मंगेश यादव था. इसके बाद यूपी की विपक्षी पार्टी समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने सवाल उठाया और कहा कि उनकी जाति देखकर उसका एनकाउंटर कर दिया गया.
सरकार ने दिए जांच के आदेश
यही याद करना होगा कि प्रशासन के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति यानी सीएम योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर जाति देखकर नहीं चलता है, बल्कि अवैध काम और अपराध देखकर चलता है. यूपी में अब पुलिस की लाठी, गोली और डंडा जाति देखकर नहीं चलता, बल्कि अपराधी और अपराध को देखकर चलता है. यूपी की विपक्षी पार्टी इस बात को प्रसारण करके नकारात्मक स्थिति ना बना दे, इसके लिए सरकार ने तत्काल मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए. इसके पीछे प्रशासन की सोच है कि जांच से यह बात सामने आ जाए कि जनता के हित के लिए शासन काम कर रहा है, ना कि मनमाने तरीके से एनकाउंटर हो रहा है.
सरकार लोगों की सहायता और सुरक्षा के लिए है, इस पर कोई दलगत और जातिगत राजनीति करता है तो उस मसले का साफ हो जाना बेहद ही जरूरी है. 25 करोड़ की आबादी वाला उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है, जहां पर भारत की एक बड़ी जनसंख्या रहती है. इसमें अगर कोई ये कहे कि सरकार जाति और धर्म देखकर कार्रवाई करती है, तो एक नकारात्मक छवि लोगों में भी बन सकती है, इसलिए इसका खुलासा किया जाना जरूरी है, इसलिए सरकार ने मजिस्ट्रियल जांच होने .के आदेश दिए हैं.
बैकफुट पर नहीं सरकार
न तो किसी ने अभी तक जांच की मांग की थी, न अभी तक इस मामले में कोई कोर्ट में गया, और न ही किसी कोर्ट ने जांच के आदेश दिया है, बल्कि सरकार ने खुद संज्ञान लेकर इसके लिए जांच के आदेश दे दिए हैं. हां, यह खबर लिखे जाने तक मानवाधिकार आयोग में जरूर मंगेश के एनकाउंटर पर शिकायत दर्ज करायी गयी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जिस वकील ने शिकायत की है, उनका कहना है कि प्रथम द्रष्ट्या यह लगता है कि एनकाउंटर फर्जी है, वह स्वतंत्र एजेंसी से इसकी जांच चाहते हैं. सरकार ने भी जांच के ही आदेश दिए हैं, तो जांच हो जाए, इसी में सबका हित है.
एक बात तो दिखनी चाहिए कि सरकार की नीयत किस प्रकार की है. सरकार को पता लगा कि कोई सवाल उठाए या फिर कोई गलत राजनीति हो, इससे पहले ही सरकार ने जांच के आदेश दे दिए. अखिलेश यादव और दूसरे विपक्षी पार्टियां यूपी की जनता को भले ही जातियों के माध्यम से देखें, लेकिन सरकार जाति धर्म देखकर काम नहीं करती. सबको एक हिसाब से ध्यान में रखकर काम करती है.
सामान्यतः: किसी ऐसी घटना के बाद जांच के आदेश से आम लोगों में ये धारणा बन जाती है कि दाल में कुछ तो काला है, जिससे कि आनन फानन में सरकार को जांच के आदेश देने पड़ गए. अगर यूपी में योगी के कार्यकाल के साढ़े सात साल की बात की जाए तो पाया जाएगा कि अपराधी कई जाति और धर्म के थे, सब पर कार्रवाई की गई है, लेकिन यूपी में कुछ लोग जातिवाद और धर्म वार इसका डाटा बनाकर रखते हैं, और उस पर बात करते हैं.
मंगेश यादव के पहले भी कई मुठभेड़ हुए, उसमें तो जाति की बात नहीं की गई. सवाल तब उठता है जब कोई उस जाति की राजनीति करने वाला मारा जाता है तो अखिलेश यादव उसको लेकर आगे आ जाते हैं.
लाॅ एंड आर्डर और पुलिसिया काम
कोर्ट ने अगर कोई आर्डर दिया होता, या फिर कोई इसके लिए धरना प्रदर्शन हुआ होता तो कोई बात होती. यहां तो खुद ही सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं. पश्चिम बंगाल जैसे हालात तो यूपी में नहीं है, यहां पर तो लाॅ एंड आर्डर कायम है. इस घटना को लेकर जनता में कोई भ्रम की स्थिति ना रहे, इसके लिए ये जांच कराई जा रही है ताकि जो मामले सही हैं वो जनता जान पाए. इसको बैकफुट पर आने की बात नहीं कही जाती. सेना देश की सीमा की सुरक्षा करती है तो पुलिस समाज की सेवा करती है.
समाज में जहां और जिन हालात में पुलिस काम करती है वहां पर अगर कोई अपराधी अपराध करके भागता है तो क्या पुलिस परमिशन के लिए फोन करेगी, कि हम उसको पकड़े या नहीं? अगर सरकार ने कहा है कि अपराध मुक्त प्रदेश चाहिए तो पुलिस फिर एक्शन में आकर काम करेगी, इसके लिए किसी के परमिशन की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए. पुलिस की अपनी पहली प्राथमिकता यही होनी चाहिए कि अपराध को रोका जाना चाहिए.
इसके लिए पुलिस को अपने क्षेत्र में काम करना चाहिए. सरकार भी अपराध को बढ़ावा देने की बात नहीं करती, सभी जगहों पर लाॅ एंड आर्डर का पालन करना होता है, ऐसे में पुलिस जाति और धर्म देखकर थोड़े ना कार्रवाई करेगी. पुलिस समाज की सुरक्षा के लिए है. अब ये कहना की पुलिस अपने मन का हो गई है और ऑन द स्पाट फैसला लेने लगी है तो ये गलत है.
कई बार पुलिस अपराधियों को कोर्ट से सजा दिलवाती है, लेकिन कई बार ऐसे हालात हो जाते हैं, जहां पुलिस की खुद की जान असुरक्षित हो जाती है, ऐसी स्थिति में एंकांउंटर जैसी घटनाएं सामने आती है. हालांकि इस घटना पर सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं. जांच रिपोर्ट के आने के बाद सारी चीजें खुद-ब-खुद क्लीयर हो जाएंगी.
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