ग्वालियर : रायल्टी चेक करने बैठा विभाग तो डंपर ही आना बंद ?
विभाग भी चेक प्वाइंट लगाकर दिखावा करने में लगा है, क्योंकि पहले इन खदान-क्रशर संचालकों को बिना रायल्टी के दौड़ने का दुस्साहस किसने दिया, यह बड़ा सवाल है। अब स्टेट माइनिंग कार्पोरेशन का कहना है कि राजस्व के आंकड़े अचानक कैसे कम हुए, इसकी जांच कराई जा रही है। ग्वालियर के बिलौआ-रफादरपुर काली गिटटी के कारोबार में बड़ा खेल उजागर हुआ है।
- अचानक रायल्टी का आंकड़ा घटने पर भोपाल से लिया है संज्ञान
- डायरेक्टर बोले-अधिकारियों को निर्देशित कर जांच करा रहे
- डंपर ही नहीं निकल रहे, विभाग कर रहा रायल्टी का इंतजार
ग्वालियर: ग्वालियर के बिलौआ भोपाल ने रायल्टी का खेल पकड़ा तो अब डंपर ही गायब हो गए। अभी तक बिना रायल्टी के डंपरो को दौड़ने की आदत थी लेकिन अब चेक प्वाइंट लगते ही आवागमन बंद हो गया। क्रशर-खदान संचालकों ने चेक प्वाइंट लगने के बाद से अपनी गाड़ियां निकालना ही बंद कर दीं, वहीं जो माल
बिलौआ क्रशर मार्केट से गिटटी लेकर जो ट्रक निकलते थे वे बिना रायल्टी के निकल रहे थे, इसका राजफाश भोपाल में हुआ जब खनिज विभाग की वेबसाइट पर बिलौआ से जनरेट होने वाली इलेक्ट्रोनिक ट्रांजिट पास जनरेट होने के आंकड़े गिर गए। हर माह यहां से तीन से चार करोड़ से ज्यादा की रायल्टी विभाग को पहुंचती है लेकिन अगस्त माह में यह डेढ़ करोड़ पर ही सिमट गई।
वरिष्ठ अधिकारियों ने यह देखा तो ग्वालियर के खनिज अधिकारियों से कारण पूछा तो किसी पर जवाब नहीं था। यह सांठगाठ का बड़ा खेल है और जांच का विषय है। आनन फानन में अब पिछले चार पांच दिनों से बिलौआ में अस्थायी चेक प्वाइंट खनिज विभाग ने बनाया है जिसमें हर ट्रक को रोककर रायल्टी चेक करने का दावा किया जा रहा है। यह पूरा इलाका माइनिंग इंस्पेक्टर राजेश कुमार गंगेले के पास है।
बडा करोबार: अब अचानक कैसे थम गए डंपर
- बिलौआ से रोज सैकड़ों की संख्या में निकलने वाले डंपर अचानक कैसे थम गए, अगर अंदर माल भरकर खड़े हुए हैं तो विभाग जांच क्यों नहीं कर रहा है। विभाग के चेक प्वाइंट लगने के बाद खुद क्रशर संचालकों ने काम रोक दिया है जिससे रायल्टी न देना पड़े। चर्चा यह भी है कि खनिज विभाग के स्टाफ से यह संचालकगण पूरा तालमेल भी बनाए हुए हैं। बिलौआ-रफादपुर क्षेत्र में काली गिटटी का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है।
- यहां से आसपास के जिलों में काली गिटटी की सप्लाई होती है। अगस्त माह के आंकड़ो में भोपाल स्तर से यह पकड़ा गया कि जिस क्षेत्र में चार करोड़ से ज्यादा की रायल्टी हर माह होती है वहां डेढ़ करोड़ के करीब कैसे रह गई। बिलौआ, रफादपुर, लखनुपरा के अलावा सूखा पठा, मऊ-जमाहर (वर्तमान में बंद) बेरजा, पारसेन में बड़ी संख्या में काली गिटटी की खदानें हैं। बिलौआ में क्रेशर भी काफी स्थापित हैं जहां काले पत्थर के जरिए काली गिटटी तैयार कर बड़े ट्रकों से बाहर निकाली जाती है।
प्रदेश में जहां जहां राजस्व घटा है हम उन सभी जिलों को मानीटर कर रहे हैं। ग्वालियर के बिलौआ में राजस्व को लेकर मानीटरिंग की गई है, दिखवाया जा रहा है। संबंधित अधिकारियों को निर्देशित कर जांच भी कर रहे हैं।
-अनुराग चौधरी, संचालक, स्टेट माइनिंग कार्पोरेशन,भोपाल।