जंगलराज की तरफ बढ़ा महाराष्ट्र ?
बदलापुर हो या पुणे, जंगलराज की तरफ बढ़ा महाराष्ट्र, Y सिक्योरिटी में बाबा सिद्दिकी का मर्डर बड़ा उदाहरण
पिछले कुछ महीनों से महाराष्ट्र की अलग-अलग जगहों पर लगातार रेप की वारदातें सामने आ रही हैं. वो चाहे बदलापुर हो, पुणे या अन्य क्षेत्रों की बात हो. ऐसी घटनाओं से राज्य में आम आदमी के अंदर असुरक्षा की भावना पनप रही है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता बाबा सिद्दिकी का मर्डर हाल की ऐसे बड़ी वारदात है.
जिस वक्त दशहरे का पावन पर्व चल रहा था, महाराष्ट्र में नवरात्रि बड़े धूमधाम के साथ लोग मनाते हैं, ऐसे में ऐसे में आखिरी दिन इस तरह की वारदात को अंजाम दिया जाना और वो भी जब आप चाहें पूर्व मंत्री या विधायक कहें, जिन्हें वाई सिक्योरिटी होने के बाद ऐसी घटना हुई है, ऐसे में आम आदमी की मानसिक स्थिति क्या होगी, ये बात समझने की है.
महाराष्ट्र जो कभी इंडस्ट्रियल हब, एजुकेशन हब और ऑटो हब के तौर पर दुनियाभर में जाना गया, क्यों आज वो क्राइम हब के रूप में जाना जा रहा है, ये अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा करता है. बाबा सिद्दिकी जैसा बड़ा नेता, जिनकी सभी पार्टियों और इंडस्ट्री में अच्छी पैठ थी, बॉलीवुड से उनके अच्छे ताल्लुकात थे. ऐसा आदमी अगर इस राज्य में सुरक्षित नहीं है तो फिर आम जनता कितनी सेफ फील करेगी, ये सवाल उठ रहा है.
बाबा सिद्दिकी का मारा जाना बड़ी घटना
देवेन्द्र फडणवीस के हाथ में राज्य का गृह विभाग है, ऐसे में उनको जनता के सामने उदाहरण पेश करना चाहिए. यहां पर आगामी चुनाव को लेकर आचार संहिता कभी भी लागू किया जा सकता है, कभी भी चुनाव की तारीख का एलान किया जा सकता है. इन सभी चीजों को देखें तो जरूर जनता जब वोट करेगी तो इन चीजों को देखेगी.
आने वाले चुनाव में कौन सी पार्टी जीतेगी, क्या वो शरद पवार की एनसीपी होगी, क्या वो उद्धव ठाकरे की शिवसेना होगी, या कांग्रेस या शिंदे की शिवसेना होगी, शरद पवार की एनसीपी या फिर बीजेपी होगी? इस पर कहना पाना अभी मुश्किल है, इन सबके बीच में क्या आम आदमी पार्टी की सुरक्षा की जिम्मेदारी गृह मंत्री लेंगे. पुलिस डिपार्टमेंट लेगा या फिर संबंधित एजेंसियां लेंगी. कहीं न कहीं ये भी इस सवाल है.
इस वक्त बस यही उम्मीद की जा सकती है कि जैसा पुराना महाराष्ट्र था, जैसे एजुकेशन हब, इंडस्ट्रियल हब, ऑटोमोबाइल हब और फाइनेंशियल हब… जहां पर सिर्फ यूपी और बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश और दुनियाभर से लोग आते थे, लोग यहां पर आकर बस जाते थे. लेकिन, जिस तरह से क्राइम बढ़ रहा है, कौन यहां पर ऐसी सूरत में आकर बसना चाहेगा.
क्यों ऐसे बदल गया महाराष्ट्र?
जिस तरह गैंगवॉर बढ़ता जा रहा है, बड़े-बड़े नेताओं पर हमले किए जा रहे हैं, इससे पहले पुणे में भी लोकल कॉर्पोरेटर की दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, ऐसे में जिस तरह से खुलेआम क्राइम हो रहा है, खुलेआम गोलियां चल रही हैं, मर्डर किए जा रहे हैं, ये आम जनता के लिए सोचने वाली बात है कि अगर इनके बड़े-बड़े नेता नहीं बच पाए तो एक आम आदमी की जिंदगी की कीमत महाराष्ट्र में क्या ही बची है.
इन सबको ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री को इसमें इनिशिएटिव लेना चाहिए. लोगों की जिम्मेदारी, राज्य के लॉ एंड ऑर्डर, गृह विभाग के अंदर तो आता ही है लेकिन मुख्यमंत्री का भी पहला दायित्व है कि महाराष्ट्र में रहने वाले हर इंसान की सुरक्षा कि जिम्मेदारी मुख्यमंत्री की सबसे पहले होती है. गृह मंत्री की होती है और उसके बाद राज्य सरकार के बाकी विभागों की होती है.
बाबा सिद्दिकी जैसी घटनाएं आने वाले समय में न हो, इसका भी ध्यान रखना बहुत जरूरी है. बाबा सिद्दिकी से पहले सलमान खान के घर के बाहर भी कुछ दिन पहले गोलियां चली थी. उनके घर की भी रेकी की गई थी. सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा था कि कड़े कदम उठाए जाएंगे. लेकिन, इन सभी दावों के विपरीत हुआ है.
सलमान खान के सबसे करीबी के साथ ये वारदात हुई है. आने वाला समय महाराष्ट्र के लिए डार्क महाराष्ट्र लगेगा, अगर क्राइम रेट को जल्द काबू में नहीं लिया गया. महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचार या फिर लैंगिक शोषण को रोकना या फिर काबू में रखना बहुत जरूरी है.
वारदात पर काबू पाना जरूरी
जितने भी लोग बाबा सिद्दिकी मर्डर में संलिप्त हैं, उनके खिलाफ एक्शन लेकर जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाना चाहिए. उन पर अगर कोई मुकदमे चलने वाले होंगे फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलने चाहिए. आम इंसान के मन में सुरक्षा की भावना होनी बहुत जरूरी है. पहले एक समय था जब महाराष्ट्र का क्राइम रेट सबसे कम था. आज यही क्राइम रेट यूपी-बिहार के लगभग बराबर हो चुका है.
इससे राज्य में निवेश भी प्रभावित होता है. आने वाली जो इंडस्ट्री है, जो नए प्रोजेक्ट लगेंगे, उस पर कहीं न कहीं सवाल खड़े होने लगते हैं कि जिस महाराष्ट्र में सुरक्षा की गारंटी नहीं है, वहां पर निवेश और आने वाले प्रोजेक्ट भी जरूर कहीं न कहीं प्रभावित होता है.
ऐसे में आने वाले समय में यहां की जनता ये उम्मीद करती है कि जो पुराना और समृद्ध महाराष्ट्र था, वैसी ही छवि देश और दुनिया में बनी रहे. यहां पर सबकी सुरक्षा हो. सबको अच्छी शिक्षा मिले, सभी को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया हो. साथ ही, नए नए विकास और रोजगार के अवसर पैदा हों. साथ ही, देश की बढ़ती इकॉनोमी में महाराष्ट्र ज्यादा से ज्यादा अपना योगदान दे सके.
पिछले दो तीन साल से ज्यादा तरह की राजनीति महाराष्ट्र में रही, कुछ पार्टियों का गठबंधन टूटा, नई सरकार बनी, इन तमाम घटनाक्राम ने ये साबित किया है कि महाराष्ट्र अस्थिरता का माहौल रहेगा. आने वाले दो से तीन महीने में महाराष्ट्र की राजनीति में और भी उथल-पुथल हो सकता है.
लोकसभ चुनाव के जिस तरीके के परिणाम आए थे और जैसे बीजेपी का परफॉर्मेंस रहा, इससे जाहिर होता है कि सिर्फ दो नेशनल पार्टियों के बीच की लड़ाई नहीं रही, बल्कि राज्य आधारित जो नेशनल पार्टियां हैं, उनके अस्तित्व की भी लड़ाई है और इस अस्तित्व की लड़ाई में कोई पीछे नहीं हटना चाहता है. क्योंकि, आज के समय में सभी पर करो या मरो की स्थिति आ चुकी है.
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