12 लाख रुपए का फ्लैट आपको मिलेगा सिर्फ सात लाख रुपए में, बाकी पैसा देंगी केंद्र और राज्य सरकार

इंदौर । केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने इंदौर समेत छह शहरों में ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज के तहत नई तकनीक से फ्लैट बनाने का काम संबंधित कंपनियों को सौंप दिया है। योजना के तहत इंदौर में 1024 फ्लैट प्री फैब्रिकेटेड सेंडविच पेनल सिस्टम के तहत बनाए जाएंगे। इस तकनीक में प्री कास्ट तकनीक से फ्लैट का हर हिस्सा बनकर आएगा जिससे प्रोजेक्ट जल्द पूरा होगा। केंद्र सरकार ने प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए एक साल की समयसीमा तय की है। प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले हर फ्लैट की कीमत 12.50 लाख रुपए होगी। एक बीएचके का हर फ्लैट करीब 350 वर्गफीट का होगा। केंद्र सरकार हर फ्लैट के लिए 3.50 लाख, राज्य सरकार एक लाख, नगर निगम एक लाख और सात लाख रुपए फ्लैट खरीदने वाला चुकाएगा। नगर निगम अपना अंशदान देने के लिए जल्द ही हुडको से संपर्क करने की तैयारी कर रहा है। प्रोजेक्ट का भूमिपूजन दिल्ली से एक साथ ऑनलाइन करने की योजना है।

इंदौर का ठेका केपीआर कंपनी को सौंपा गया है जिसे 128 करोड़ रुपए में फ्लैट बनाने होंगे। शहर में ये फ्लैट कनाड़िया रोड पर बनाए जाएंगे। निगम के अधीक्षण यंत्री महेश शर्मा ने बताया कि कनाड़िया रोड पर 16 टावर बनाए जाएंगे और हर टावर पार्किंग प्लस आठ मंजिल का होगा। इसके लिए 4.1 हेक्टेयर जमीन पहले ही चिन्हित की जा चुकी है। अधिकारियों का दावा है कि परंपरागत तरीके के बजाय नई तकनीक से बेहद कम समय में प्रोजेक्ट पूरा होगा। सामान्य तौर पर इतना बड़ा प्रोजेक्ट पूरा करने में कम से कम दो-ढाई साल का वक्त लगता है। इंदौर के अलावा पांच अन्य प्रदेशों के पांच शहरों में भी अलग-अलग तकनीक से मॉडल हाउस बनाए जाएंगे। इनमें उत्तरप्रदेश का लखनऊ, गुजरात का राजकोट, तमिलनाडु का चेन्नाई, त्रिपुरा का अगरतला और झारखंड का रांची शामिल हैं। केंद्र सरकार ने इन शहरों में काम शुरू करने के लिए कंपनियों को वर्कऑर्डर जारी कर दिया है। इंदौर के लिए यह प्रोजेक्ट पिछले साल मंजूर हुआ था, लेकिन तब से मंत्रालय स्तर पर टेंडर फाइनल नहीं हो पाए थे। अब यह प्रक्रिया पूरी हो गई है और केवल काम शुरू होने का इंतजार है।

इसलिए चुना गया इंदौर

– इंदौर ने लगातार तीन साल स्वच्छता में नंबर एक रहकर विश्वभर में खूब नाम कमाया है। यहां की सफाई देखने दूर-दूर से लोग आते हैं।

– स्मार्ट सिटी मिशन के तहत इंदौर में रेट्रोफिटिंग कर स्मार्ट सिटी बनाई जा रही है। ऐसा काम देश के बहुत कम शहर कर रहे हैं। इंदौर द्वारा स्मार्ट सिटी के लिए किए गए कार्यों को भी राष्ट्रीय स्तर पर सराहना और अवार्ड दिए गए हैं।

– इंदौर ने सरकार की हर महत्वाकांक्षी योजना के क्रियान्वयन में अपना लोहा मनवाया है।

– इन उपलब्धियों के कारण देशभर के प्रदेशों और शहरों से अधिकारी, नेता मंत्री यहां आकर यह सीख लेते हैं कि काम कैसे होना चाहिए। केंद्र की मंशा है कि वे जब सफाई या स्मार्ट सिटी के काम देखने आएं तो नई तकनीक से बनाए ये फ्लैट भी देखें ताकि इस तकनीक को बढ़ावा मिले।

इसलिए खास है नई तकनीक

– अफसरों का दावा है कि कम समय में बनने के कारण लोगों को जल्दी फ्लैट का पजेशन होगा।

– इससे सरकारों पर आर्थिक भार भी कम पड़ेगा क्योंकि ठेकेदार एजेंसी को प्रोजेक्ट तय समय सीमा में पूरा करना होगा। आमतौर पर प्रोजेक्ट देरी से पूरे होते हैं जिससे उनकी लागत कई गुना बढ़ जाती है।

– कांक्रीट के प्री कास्ट पेनल, बीम-कॉलम बनकर मौके पर आएंगे जिन्हें वहां फिट किया जाएगा। दावा किया जा रहा है कि इससे इन फ्लैटों की फिनिशिंग अच्छी होगी।

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