‘पुलिस को इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस के आधार पर ट्रेनिंग की जरूरत’ !
‘पुलिस को इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस के आधार पर ट्रेनिंग की जरूरत’
भोपाल में पूर्व जस्टिस बोले- तकनीक से अपराध का ट्रेंड बदला है
राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी के डायरेक्टर और सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस ने कहा है कि, पुलिस को इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस गैदरिंग के आधार पर ट्रेनिंग दिए जाने की जरूरत है। पुलिस की विवेचना तभी सफल है। जब अपराधी को सजा मिले। ये बातें पुलिस की वर्किंग, ट्रेनिंग में सुधार और पुलिस की नैतिकता और कौशल विकास को लेकर केंद्रीय पुलिस प्रशिक्षण अकादमी भोपाल में हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी में कही।
‘सैनिटाइज द माइंड ऑफ पुलिस फोर्स एट द पुलिस स्टेशन’ लेवल का जिक्र करते हुए जस्टिस बोस ने कहा कि, थाने के पुलिसकर्मी के इन्वेस्टिगेशन में भी बहुत ध्यान दिए जाने की जरूरत है। जब थानों में मौखिक या इलेक्ट्रॉनिकली एफआईआर दर्ज की जाए तो इसकी वीडियोग्राफी भी आज की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि न्याय संहिता हमें क्राइम से लड़ने की ताकत देती है। इसके लिए पुलिस में ह्यूज स्किल डेवलप करना जरूरी है। उन्होंने अपराध के स्वरूप के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचने का जिक्र कर कहा कि मनी लांड्रिंग, आर्म्स ट्रेड, नारकोटिक्स, क्रिप्टो करेंसी, डार्कनेट अब लोकल लेवल के नहीं, इंटरनेशनल लेवल के क्राइम हो गए हैं और इसकी विवेचना में सूक्ष्मता जरूरी है।

अपराधियों ने अपराध की नई तकनीक अपनाई
जस्टिस बोस ने कहा कि, बदलते दौर में अपराधियों ने अपराध की नई तकनीक इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इससे पुलिस के काम में कॉम्प्लेक्स की स्थिति बनने लगी है। पुलिस का ह्यूज रिस्पांस देश और दुनिया में है और इसे बनाए रखने के लिए ट्रेनिंग की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस फोर्स को यह ध्यान रखना होगा कि वे शाम 5 बजे के बाद स्टेट का फेस होते हैं। थाने में आने वाला हर व्यक्ति अपने लिए पॉजिटिव थिंकिंग लेकर आता है, उसे भी ध्यान रखना चाहिए।
जस्टिस बोस बोले- देश में 8 लाख केस पेंडिंग हैं
एनसीआरबी 2022 के आंकड़ों का जिक्र करते हुए जस्टिस बोस ने कहा कि, देश के 18 हजार से अधिक थानों में एक लाख से अधिक सब इंस्पेक्टर हैं। इसके बाद भी 8 लाख से अधिक केस विवेचना के लिए पेंडिंग हैं। इसमें कमी लाने की जरूरत है। इसके पहले दो दिन तक चलने वाली इस 39वीं संगोष्ठी के उद्देश्य के बारे में जानकारी दी गई।
एआई की चुनौतियां, साइबर अपराध, सामुदायिक पुलिसिंग पर होगी चर्चा
संगोष्ठी में अराजकता और प्रौद्योगिकी के वर्तमान युग में सामुदायिक पुलिसिंग, साइबर अपराध, साइबर सुरक्षा और एआई की चुनौतियों और प्रशिक्षण आवश्यकताओं पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। इसके बाद देश में इसे लागू करने को लेकर सिफारिश की जाएगी। राजीव कुमार शर्मा महानिदेशक पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के निर्देशन में होने वाली संगोष्ठी में सभी राज्य पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के प्रमुख और प्रतिनिधि एक साथ शामिल हो रहे हैं।
एक दूसरे की बेस्ट प्रैक्टिसेस और नवाचार का पता लगाएंगे
संगोष्ठी में प्रतिभागी प्रशिक्षण विधियों, कौशल विकास, सहयोग और नीति रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए मौजूदा परिस्थितियों, बेस्ट प्रैक्टिसेस और नवाचारों का पता लगाएंगे। इसमें नैतिक विचारों और प्रशिक्षण मूल्यांकन पर भी चर्चा की जाएगी। जिसका उद्देश्य राष्ट्रव्यापी पुलिस प्रशिक्षण में सुधार के लिए व्यावहारिक सिफारिशें तैयार करना है।
