पाउडर लगाने से हुआ कैंसर … कॉस्मैटिक्स हैं खतरनाक ?
पाउडर लगाने से हुआ कैंसर
कॉस्मैटिक्स हैं खतरनाक, क्रीम-पाउडर नहीं, फल-सब्जियों से चमकेगी स्किन, शरीर को रखें स्वस्थ
जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी का टेल्कम पाउडर लगाने से अमेरिका में एक व्यक्ति को कैंसर हो गया। वह व्यक्ति कंपनी के खिलाफ कोर्ट गया और अब कोर्ट ने जॉनसन एंड जॉनसन को 1.5 करोड़ डॉलर का मुआवजा देने का आदेश दिया है।
जॉनसन एंड जॉनसन दुनिया की सबसे बड़ी और नामी फार्मा कंपनियों में से एक है। इसने बच्चों के लिए प्रोडक्ट्स बनाने शुरू किये तो यह बचपन की पहचान ही बन गया। एक लंबे अरसे तक दुनिया के करोड़ों बच्चों से एक जैसी खूशबू आती थी। वह जॉनसन बेबी पाउडर की खूशबू थी। यह पाउडर दुनिया भर की महिलाओं की भी पहली पसंद था। बीते कुछ सालों में कहानी बदली है। अब आलम ये है कि अक्टूबर, 2024 तक इस कंपनी के ऊपर 58000 से ज्यादा केस पेंडिंग थे। ज्यादातर केसेज में जॉनसन बेबी पाउडर से कैंसर के जोखिम का आरोप लगाया गया है।
हाल ही में अमेरिका के एक टाउन फेयरफील्ड की ज्यूरी ने तय किया है कि जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी को कनेक्टिकट के एक व्यक्ति को 1.5 करोड़ डॉलर चुकाने होंगे। इस व्यक्ति का आरोप था कि इस कंपनी का टेल्कम पाउडर लगाने के कारण उसे एक रेयर कैंसर मेसोथेलियोमा (Mesothelioma) हुआ है। यह आरोप जांच में सही पाया गया है। इसी तरह कंपनी को दुनिया के कई देशों में कई मामलों में मुआवजे देने पड़े हैं।
दुनिया की कई रिसर्च यह बता चुकी हैं कि ब्यूटी प्रोडक्ट्स में खतरनाक केमिकल्स इस्तेमाल होते हैं। इनसे हमारी सेहत को गंभीर नुकसान हो रहे हैं। इनसे स्किन इन्फेक्शन हो रहे हैं, कैंसर हो रहा है, किडनी डैमेज रही है।
सवाल ये है कि जब जॉनसन एंड जॉनसन जैसी नामी और भरोसेमंद कंपनी ही अपने बेबी पाउडर में खतरनाक इंग्रेडिएंट का इस्तेमाल कर रही थी तो अन्य कंपनियों पर भरोसा कैसे किया जा सकता है।
ब्यूटी प्रोडक्ट्स में खतरनाक केमिकल्स की बात करेंगे….
ब्यूटी प्रोडक्ट्स में कौन से केमिकल्स इस्तेमाल हो रहे हैं?
- हेल्दी और ग्लोइंग स्किन के लिए क्या करें?
- किन न्यूट्रिएंट्स और कंपाउंड्स में छिपा है ब्यूटी का राज?
- ग्लोइंग स्किन के लिए डाइट में क्या शामिल करें?
कॉस्मैटिक्स स्किन को ग्लोइंग नहीं बनाते
मेकअप हमारी स्किन पर सुंदर और अच्छी पैकिंग की तरह काम करता है। इससे स्किन पर एक लेयर, खास रंग और इल्यूजन जुड़ जाता है, जिससे त्वचा चमकदार दिखने लगती है। सभी कॉस्मैटिक पाउडर और क्रीम का सारा सच इसी वाक्य में छिपा हुआ है। इसका मतलब ये है कि इन कॉस्मैटिक्स से स्किन ग्लोइंग दिखने लगती है, लेकिन ग्लोइंग होती नहीं है।
इन प्रोडक्ट्स से हमारी स्किन को कोई फायदा नहीं होता है। इसके उलट स्किन और शरीर को कई नुकसान जरूर होते हैं। इन प्रोडक्ट्स को बनाने के लिए इस्तेमाल हो रहे खतरनाक केमिकल्स से स्किन को नुकसान हो रहे हैं। आइए ग्राफिक में देखते हैं कि ब्यूटी प्रोडक्ट्स में कौन से केमिकल्स इस्तेमाल होते हैं।
अब आपका अगला सवाल ये हो सकता है कि अगर इन ब्यूटी प्रोडक्ट्स से लाभ होने की बजाय नुकसान अधिक होते हैं तो आखिर ग्लोइंग स्किन का राज क्या है? इसका जवाब ये है कि स्किन का रंग, उसका ग्लो और बनावट सबकुछ हमारे जीन, हॉर्मोन्स, पर्यावरण, डाइट और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। इनमें से ज्यादातर चीजें तो हमारे वश में नहीं हैं। इसके इसके बावजूद हम अपनी डाइट को तो बेहतर बना ही सकते हैं।
ब्यूटी अच्छे डाइजेशन और मेटाबॉलिज्म से आती है
हमारी स्किन का रंग भले ही जीन से तय होता है, लेकिन स्किन हेल्थ मुख्य रूप से हमारी डाइजेस्टिव हेल्थ और मेटाबॉलिज्म पर निर्भर करती है। इसका मतलब है कि त्वचा का स्वास्थ्य इससे तय होता है कि हमारा पाचन तंत्र कैसा है और भोजन के साथ शरीर में पहुंच रहे न्यूट्रिएंट्स का एब्जॉर्पशन कैसा हो रहा है।
दिल्ली की न्यूट्रिशनिस्ट और ‘वनडाइटटुडे’ की फाउंडर डॉ. अनु अग्रवाल कहती हैं कि इसके अलावा भी स्किन हेल्थ कई अन्य फैक्टर्स पर निर्भर करती है, जैसेकि हम दिन भर में कितना पानी पीते हैं। रोजाना कितने घंटे की नींद लेते हैं। सिगरेट या शराब का सेवन तो नहीं करते हैं। ये कौन से फैक्टर्स हैं, ग्राफिक में देखिए।
कार्तिक आर्यन रोज पीते हैं 4 लीटर से ज्यादा पानी
कार्तिक आर्यन मौजूदा वक्त में बॉलीवुड के सबसे हैंडसम एक्टर्स में से एक हैं। उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था कि वे अब किसी भी ब्यूटी प्रोडक्ट का विज्ञापन नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि इससे फायदे की बजाय कई नुकसान होते हैं। वे खुद अपनी स्किन हेल्थ के लिए रोज 4 लीटर से ज्यादा पानी पीते हैं। यही उनकी ग्लोइंग स्किन और फिटनेस का राज है।
हमारी स्किन का पसंदीदा भोजन है विटामिन्स और फैटी एसिड
हमारे शरीर में जितने भी ऑर्गन्स हैं, उनके अलग-अलग फंक्शन होते हैं। ये अपनी जिम्मेदारी के साथ काम करते हैं, लेकिन इनका स्वभाव बचकाना होता है। इन्हें किसी भी हालत में अपना पसंदीदा भोजन चाहिए। पसंदीदा भोजन नहीं मिलने पर ये ठीक तरह से काम नहीं करते। कई बार तो काम बिगाड़ भी देते हैं।
हमारे भोजन के जरिए शरीर में गया न्यूट्रिशन ही इनका भोजन होता है। हमारी स्किन का पसंदीदा भोजन विटामिन E, विटामिन D और फैटी एसिड है। इसके अलावा इसे जिंक और आयरन जैसे मिनरल्स भी खासे पसंद हैं। आइए ग्राफिक्स में देखते हैं कि हमारी स्किन को क्या पसंद है।
ग्लोइंग स्किन के लिए क्या खाएं?
डॉ. अनु अग्रवाल कहती हैं कि हमारी स्किन को उसका पसंदीदा भोजन तभी मिलेगा, जब हम उसके मुताबिक डाइट लेंगे। इसे ऐसे समझिए कि अगर हमारी स्किन को फैटी एसिड्स की जरूरत है तो इसके लिए डाइट में अखरोट और बादाम शामिल ही करने होंगे। ठीक इसी तरह प्रोटीन और विटामिन-E के लिए सोयाबीन सीड्स या चंक्स को डाइट में शामिल करना होगा। आइए ग्राफिक में देखते हैं कि हेल्दी और ग्लोइंग स्किन के लिए डाइट में क्या होना जरूरी है।
आइए इसे थोड़ा विस्तार से समझते हैं:
- अखरोट में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी फैटी एसिड दोनों भरपूर मात्रा में होते हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में साल 2012 में पब्लिश एक स्टडी के मुताबिक, रोजाना अखरोट खाने से स्किन हेल्थ अच्छी बनी रहती है और एजिंग स्लो हो जाती है।
- बादाम में भरपूर मात्रा में फैटी एसिड होता है और यह विटामिन E का भी बहुत अच्छा सोर्स होता है। ये दोनों ही न्यूट्रिएंट्स अच्छी स्किन हेल्थ के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
- नट्स की तरह सोयाबीन प्रोटेक्टिव फैटी ऑयल से भरपूर होता है। इनमें भरपूर मात्रा में जिंक और विटामिन E भी होता है। ये दोनों तत्व स्किन सेल्स को प्रोटेक्ट करते हैं। इसमें भरपूर मात्रा में प्रोटीन भी होता है। इसलिए सोयाबीन के नियमित सेवन से स्किन हेल्दी और ग्लोइंग बनी रहती है।
- एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर भोजन करने से कई हेल्थ बेनिफिट्स होते हैं। अगर कैरोटीनॉयड एंटीऑक्सिडेंट का सेवन करें तो स्किन को फ्री रेडिकल्स और अल्ट्रावॉयलेट किरणों से होने वाले नुकसान से बचाव हो सकता है। इसके लिए हरे, पीले, नारंगी और लाल रंग के फल और सब्जियों का सेवन कर सकते हैं। गाजर, पपीता, शकरकंद, शिमला मिर्च और आम में भरपूर मात्रा में कैरोटीनॉयड एंटीऑक्सिडेंट होता है।
- पानी हमारे शरीर के हर फंक्शन में मदद करता है। इससे स्किन को भी कई लाभ होते हैं। हाइड्रेटेड रहने से स्किन की सेल्स को पर्यावरणीय कारकों से कोई क्षति नहीं होती है। इसके अलावा हाइड्रेशन से स्किन सेल्स के लिए न्यूट्रिएंट्स को एब्जॉर्प करना और टॉक्सिन्स को रिलीज करना आसान हो जाता है।