ग्वालियर : पैथोलॉजी लैब संचालन के लिए नए सिरे से गाइड लाइन तय ?

स्वास्थ्य विभाग ने बरती सख्ती:पैथोलॉजी लैब संचालन के लिए नए सिरे से गाइड लाइन तय

अब पैथोलॉजी लैब को केवल योग्य और पंजीकृत पैथोलॉजिस्ट ही चला सकेंगे। टेक्नीशियन को इसके संचालन का अधिकार नहीं होगा। दूसरे शहरों के विजिटिंग पैथोलॉजिस्ट द्वारा पैथोलॉजी लैब का संचालन भी नहीं हो सकेगा। वहीं एमबीबीएस डॉक्टर या टेक्नीशियन भी अपनी निजी पैथालॉजी लैब का संचालन नहीं कर पाएगा।

नए नियमों के तहत, निजी पैथोलॉजिस्ट अपनी लैब के अलावा अधिकतम एक अन्य जगह पर अपनी सेवाएं दे सकते हैं, वह भी उनकी सीधी निगरानी में ही।

जिले में करीब 150 पैथोलॉजी लैब और 140 कलेक्शन सेंटर संचालित हैं। शहर में कई पैथोलॉजी लैब ऐसी भी संचालित हो रही हैं जो डॉक्टर के नाम से सिर्फ रजिस्टर्ड हैं लेकिन उन्हें टेक्नीशियन ही संचालित कर रहे हैं। यहां पैथोलॉजिस्ट जाते ही नहीं हैं।

दरअसल, यह राज्य स्तर पर संज्ञान में आया है कि प्रदेश के कई पैथोलॉजी लैब व कलेक्शन सेंटर का संचालन केवल टेक्नीशियन द्वारा किया जाता है, जिनमें प्रतिदिन पंजीकृत पैथोलॉजिस्ट द्वारा विजिट कर उचित परीक्षण नहीं किया जा रहा है। इससे आमजन को समुचित एवं गुणवत्तापूर्ण जांच रिपोर्ट उपलब्ध नहीं हो रही है।

इसके चलते आए दिन ये शिकायतें मिल रही थीं कि लैब की रिपोर्ट ठीक नहीं है। इसके बाद अब प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा ने सभी पैथालॉजी लैब के लिए नए सिरे से गाइडलाइन तय कर दी है। प्रदेश के सभी निजी पैथोलॉजिस्ट को निर्देश दिए गए हैं कि स्वयं की प्रयोगशाला अथवा विजिटिंग पैथोलॉजिस्ट के रूप में जिस पैथोलॉजी लैब में उनके द्वारा सेवाएं दी जा रही हों, उसकी नामजद जानकारी एवं उपस्थिति समय संबंधी लिखित सूचना, आगामी 15 दिवस में सीएमएचओ को देनी होगी।

नियम तोड़े तो कार्रवाई

नए नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। संबंधित लैब को बंद करने या भारी जुर्माना लगाने की चेतावनी दी गई है। यह कदम स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और गुणवत्ता को सुधारने के लिए उठाया गया है।

पैथोलॉजिस्ट को पूरे समय लैब में ही उपस्थित रहना होगा

विजिटिंग पैथोलॉजिस्ट जो कि अन्य शहरों से केवल हस्ताक्षर करने या कुछ समय के लिए आते थे, उन्हें भी अब इस प्रक्रिया से हटा दिया गया है। इस फैसले का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर पैथोलॉजी लैब का संचालन उसी स्थान पर उपस्थित पूर्णकालिक पैथोलॉजिस्ट द्वारा ही किया जाए।

बता दें कि एक याचिका में हाई कोर्ट जबलपुर द्वारा पारित आदेश के तारतम्य में इस संबंध में निर्देश दिए गए है। आदेश जारी किया है कि निजी पैथोलॉजी लैब का संचालन केवल ऐसे पैथोलॉजिस्ट द्वारा किया जाए जो मप्र आयुर्वेद परिषद अधिनियम, 1987 की धारा 13 एवं 24 की आवश्यकता को पूर्ण करते हों।

पांच टीमें गठित कर दी हैं

भोपाल से आए आदेश के बाद जिले में संचालित पैथोलॉजी लैब और कलेक्शन सेंटर की जांच के लिए पांच टीमें बनाई जा रही हैं। पैथोलॉजी लैब में पैथोलॉजिस्ट ही होना चाहिए। एक पैथोलॉजिस्ट अधिक से अधिक दो जगह सेवाएं दे सकता है। शहर में अगर कहीं टेक्नीशियन लैब चलाते हुए मिले तो कार्रवाई की जाएगी। दो से अधिक जगह अगर कोई पैथोलॉजिस्ट काम करता मिला तो उस पर भी कार्रवाई होगी। -डॉ. सचिन श्रीवास्तव, सीएमएचओ

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