इंदौर : 2 महीने नौकरी करता रहा फरार डिप्टी डायरेक्टर ?

2 महीने नौकरी करता रहा फरार डिप्टी डायरेक्टर …
डेढ़ करोड़ के घोटाले के आरोपी को इंदौर नगर निगम ने करीब दो लाख सैलरी भी दी
पुलिस रिकॉर्ड में फरार डिप्टी डायरेक्टर शरद कतरोलिया स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम और गणेशोत्सव में भी नजर आए।

इंदौर नगर निगम एक बार फिर डेढ़ सौ करोड़ के घोटाले में फंसे अधिकारियों को लेकर सुर्खियों में है। एक अधिकारी, जो पुलिस रिकॉर्ड में 30 जुलाई से फरार था, 13 सितंबर तक नगर निगम में काम करता रहा। उसे जुलाई और अगस्त में सैलरी भी दी गई। जैसे ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शिकंजा कसा, उसने बीमार होने का आवेदन दिया और मोबाइल बंद कर लिया।

एमजी रोड टीआई विजय सिंह परिहार ने बताया कि नगर निगम के ऑडिट विभाग के डिप्टी डायरेक्टर शरद कतरोलिया के खिलाफ 30 जुलाई को चालान पेश कर दिया गया था। तभी से वे फरार हैं। हमने इसकी जानकारी नगर निगम के अधिकारियों को दी है।

वहीं, संभागीय संयुक्त संचालक लोकल फंड ऑडिट, राजकुमार सोनी ने बताया-

QuoteImage

कतरोलिया 13 सितंबर तक ऑन ड्यूटी थे। उसी दिन मेडिकल लीव देकर चले गए लेकिन उनकी छुट्टी मंजूर नहीं हुई है।

QuoteImage

इस वेतन पत्रक में लिखा है कि कतरोलिया को अगस्त में 96,059 और सितंबर में 97,059 रुपए सैलरी दी गई थी।
इस वेतन पत्रक में लिखा है कि कतरोलिया को अगस्त में 96,059 और सितंबर में 97,059 रुपए सैलरी दी गई थी।

नगर निगम से हटाकर पंचायत विभाग में भेजा था​​​

सोनी के मुताबिक, विभाग ने कतरोलिया को जुलाई की सैलरी अगस्त में और अगस्त की सैलरी सितंबर में दी है। घोटाले में एफआईआर दर्ज होने के बाद उन्हें नगर निगम से हटाकर पंचायत विभाग में भेज दिया गया। इसके साथ ही उन्हें नर्मदा प्रोजेक्ट का ऑडिट करने की जिम्मेदारी भी दी गई थी।

 कतरोलिया से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन मोबाइल बंद मिला….

कतरोलिया कमीशन मांगने के आरोप में सस्पेंड

2019 में इंदौर निगम के लिए काम करने वाले ठेकेदारों और सप्लायर्स ने शरद कतरोलिया की शिकायत तत्कालीन निगमायुक्त आशीष सिंह से की थी। शिकायत में कहा गया था कि कतरोलिया बिल पास करने के बदले 1.5% कमीशन मांगते हैं। यदि कमीशन नहीं दिया तो ऑडिट विभाग की अनावश्यक आपत्तियां लगाने की धमकी देकर बिल रोक देते हैं।

इस शिकायत के आधार पर जांच के बाद कतरोलिया को सस्पेंड कर दिया गया था।

कतरोलिया के कमीशन मांगने की शिकायत रामकी इन्फ्रास्ट्रक्चर हैदराबाद, वेट्स सोसाइटी फॉर एनिमल, चिड़ियाघर के जानवरों के लिए मांस-मछली सप्लायर कमलेश गौड़ और मोइनुद्दीन, सूखा चारा और हरी घास विक्रेता दामोदर प्रभुलाल सुईवाल, मयंक कंस्ट्रक्शन और श्वेता मंत्री समेत अन्य कंपनियों ने की थी।

2020 में तत्कालीन संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी ने कतरोलिया को बयान देने के लिए बुलाया था।
2020 में तत्कालीन संभागायुक्त आकाश त्रिपाठी ने कतरोलिया को बयान देने के लिए बुलाया था।

प्रतिबंधित कंपनी का एक करोड़ का बिल पास किया था

कतरोलिया ने क्रिस्टल इंटरप्राइजेस का 1 करोड़ 7 लाख रुपए से अधिक का बिल पास किया था। क्रिस्टल कंपनी के डायरेक्टर इमरान खान फर्जी बिल कांड में जेल जा चुके हैं। नगर निगम ने इस कंपनी को प्रतिबंधित कर दिया है। यह बिल 26 मार्च 2021 को पास हुआ था और यह पेमेंट नई सीवर लाइन और चैंबरों के निर्माण के बदले किया गया था।

ऊपर वाले हरे घेरे में क्रिस्टल इंटरप्राइजेस को जारी किया गया एक करोड़ रुपए का पेमेंट लिखा है। नीचे हरे घेरे में कतरोलिया द्वारा बिल पास किए जाने के साइन हैं।
ऊपर वाले हरे घेरे में क्रिस्टल इंटरप्राइजेस को जारी किया गया एक करोड़ रुपए का पेमेंट लिखा है। नीचे हरे घेरे में कतरोलिया द्वारा बिल पास किए जाने के साइन हैं।

फर्जी बिल घोटाले में ED ने मारा था छापा

दरअसल, इंदौर नगर निगम में 150 करोड़ रुपए के फर्जी बिल घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 3 महीने पहले मास्टर माइंड इंजीनियर अभय राठौर और संयुक्त संचालक (ऑडिट) अनिल कुमार गर्ग के ठिकानों समेत 12 जगह छापे मारे थे। ED ने 1 करोड़ 30 लाख रुपए की नकदी बरामद की है। साथ ही 3 करोड़ रुपए की एफडीआर भी मिली है। ED की टीम ने नगर निगम में घोटाले से जुड़े कई दस्तावेज भी अपने कब्जे में लिए गए

………………………………….

इंदौर नगर निगम फर्जी बिल घोटाले में ED का छापा:1 करोड़ 30 लाख रुपए, 3 करोड़ की एफडीआर बरामद; 12 ठिकानों पर रेड
इंदौर3 महीने पहले….

इंदौर नगर निगम में 125 करोड़ रुपए के फर्जी बिल घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एंट्री हो गई है। ED ने सोमवार को घोटाले के मास्टर माइंड इंजीनियर अभय राठौर और संयुक्त संचालक (ऑडिट) अनिल कुमार गर्ग के ठिकानों समेत 12 जगह छापे मारे हैं।

ED ने कार्रवाई के दौरान 1 करोड़ 30 लाख रुपए की नकदी बरामद की है। साथ ही 3 करोड़ रुपए की एफडीआर भी मिली है। ED की टीम ने नगर निगम में घोटाले से जुड़े कई दस्तावेज भी अपने कब्जे में लिए है। घोटाले से जुड़े लोगों पर सर्चिंग की कार्रवाई जारी है।

टीम ने कार्रवाई की शुरुआत अनिल कुमार गर्ग के निवास 184-ए महालक्ष्मी नगर ‘ओम सुख सांई एवेन्यू’ से की। परिवार के लोग टीम को देखकर घबरा गए और वे जानकारी देने से बचते रहे। ऐसी सूचना है कि अभय राठौर और उसके बहनोई के भी रेड की गई। इस दौरान घर पर सिर्फ महिलाएं ही थीं। अभय राठौर फिलहाल जेल में हैं। अन्य आरोपियों और उनसे जुड़े लोगों के ठिकानों पर भी ED की टीम पहुंची।

इन आरोपियों के यहां भी पहुंची ED की टीम

नगर निगम के फर्जी बिल घोटाला मामले में पुलिस ने करीब 20 आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग केस दर्ज किए थे। इनमें ठेकेदारों के अलावा, निगम अधिकारी, कर्मचारी शामिल हैं। इनमें से ईडी ने यहां छामा मारा –

  • रेणु वडेरा निवासी 6 आशीष नगर
  • मोहम्मद जाकिर निवासी 147 मदीना नगर
  • राहुल वडेरा निवासी 2 आशीष नगर
  • राजकुमार पिता पन्नालाल साल्वी निवासी 78 अम्बिकापुरी
  • हरीश श्रीवास्तव निवासी 55 सुखदेवनगर
  • प्रो. एहतेशाम पिता बिलकिस खान निवासी 128 माणिक बाग
  • जाहिद खान निवासी 101 सकीना अपार्टमेंट अशोका कॉलोनी
  • मोहम्मद साजिद निवासी मदीना नगर
  • मोहम्मद सिद्दीकी निवासी मदीना नगर
  • उदयसिंह पिता रामनरेश सिंह भदौरिया निवासी 31-सी सुखलिया
  • मुरलीधर पिता चंद्रशेखर निवासी 697 शिव सिटी राऊ
  • मौसम व्यास के ठिकानों पर भी छानबीन की सूचना
सोमवार सुबह अनिल कमार गर्ग के महालक्ष्मी नगर स्थित घर पर ईडी की टीम पहुंची। यहां उसके पूरे परिवार को बाहर जाने से रोक दिया गया। जबकि मीडिया को राठौर के परिवार ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।
सोमवार सुबह अनिल कमार गर्ग के महालक्ष्मी नगर स्थित घर पर ईडी की टीम पहुंची। यहां उसके पूरे परिवार को बाहर जाने से रोक दिया गया। जबकि मीडिया को राठौर के परिवार ने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।

ऐसे हुआ फर्जी बिल घोटाला

नगर निगम में जो काम हुए ही नहीं, ठेकेदारों ने अधिकारी-कर्मचारियों की मिलीभगत से उन कामों के दस्तावेज और बिल पर तैयार कर पेमेंट ले लिया। ऐसे एक नहीं कई मामले हैं। ये भी साल 2022 के पहले के हैं।

मास्टर माइंड इंजीनियर अभय राठौर (अभी जेल में है) ने नगर निगम में असिस्टेंट इंजीनियरों के नाम से फर्जी फाइलें बनाई। फिर इसमें फर्जी वर्कऑर्डर हुए। फिर एग्जीक्यूटिव इंजीनियरों और सुपरवाइजिंग इंजीनियरों के साइन हुए। इसी कड़ी में अपर कमिश्नर के भी फर्जी साइन हुए। फिर बिल अकाउंट विभाग में लगाए गए और यहां भी फर्जी तरीके से ही पेमेंट हो गया। यह पूरा काम ठेकेदारों की मिलीभगत से हुआ था। उन्होंने ड्रेनेज के कामों को लेकर फर्जी बिल दिए थे जबकि काम ही नहीं हुए थे।

बेटे के ससुराल से गिरफ्तार हुआ था राठौर

पुलिस को जानकारी मिली थी कि अभय राठौर के बेटे का उप्र में ससुराल है। इसके साथ ही अन्य रिश्तेदार भी उप्र के कई शहरों में है। इस पर पुलिस ने सूत्र तलाशे और एटा में एक मकान पर दबिश दी। यहां राठौर ने पुलिस से हुज्जत करते हुए गिरफ्तारी वारंट दिखाने को कहा। पुलिस ने उसे मौके से गिरफ्तार किया था। वह फिलहाल जेल में है।

मोहम्मद जाकिर, मोहम्मद साजिद, मोहम्मद सिद्दीकी निवासी मदीना नगर के घर भी ईडी पहुंची। यहां सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए। अंदर टीम ने दस्तावेजों की जांच की।
मोहम्मद जाकिर, मोहम्मद साजिद, मोहम्मद सिद्दीकी निवासी मदीना नगर के घर भी ईडी पहुंची। यहां सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए। अंदर टीम ने दस्तावेजों की जांच की।

30 करोड़ रु. का भुगतान निगम के खाते से

पंकज पांडे (डीसीपी, जोन-3) ने बताया कि अब तक 58 फाइलों की जांच में 60 करोड़ का घपला निगम अधिकारियों-ठेकेदारों ने किया है। इनमें से 30 करोड़ निगम के खाते से भुगतान हो चुके हैं। अभी कई फाइलों की जांच चल रही है। राठौर का रिमांड लेने के बाद और खुलासे होने की उम्मीद है।

मामले में पुलिस अब तक राठौर सहित नौ आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें से ठेकेदार मो. साजिद, रेणु वडेरा, सब इंजीनियर उदय सिसौदिया, कम्प्यूटर ऑपरेटर चेतन भदौरिया और कर्मचारी मुरलीधर जेल जा चुके हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *