रातापानी में 22 शावक बढ़े !

रातापानी में 22 शावक बढ़े !
रातापानी में 22 शावक बढ़े: सीएस की बैठक को 24 दिन पूरे, फिर भी टाइगर रिजर्व का इंतजार…

भोपाल से 40 किमी दूर रातापानी सेंचुरी में बाघों का कुनबा तेजी बढ़ रहा है। अभी यहां 56 बाघ हैं। इनमें 7 बाघिनों के साथ 22 शावक भी हैं। यह देश की इकलौती सेंचुरी बन गई है, जहां पर 28 टाइगर रिजर्व से अधिक बाघ हैं। यहां 6 बाघिन ने तीन-तीन शावकों जबकि एक बाघिन ने 4 शावकों को जन्म दिया था।

रातापानी सेंचुरी अधीक्षक सुनील भारद्वाज ने बताया कि सेंचुरी बाघों के भोजन मैनेजमेंट के लिए ग्रासलैंड तैयार किया जा रहा है। हालांकि, अब भी रातापानी को टाइगर रिजर्व घोषित होने का इंतजार है। सीएस अनुराग जैन के साथ 24 दिन पहले बैठक में सभी विभाग इस पर सहमति जता चुके हैं, पर नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ।

बड़ी तैयारी – 763.812 वर्ग किमी में बाघों के कोर एरिया बनेगा कुल गांव – 32 राजस्व गांव – 29 वन ग्राम – 3

  • विस्थापित करने वाले गांव की संख्या-9
  • विस्थापित हो चुका गांव- दांतखोह ।
  • शिफ्ट किए जा रहे नीलगढ़ व धुनवानी।
  • शिफ्टिंग प्रक्रिया शुरू-जैतपुर, सजोली।

दावा-2 साल में सेंचुरी में 70 बाघ होंगे

  • वर्ष 2022 की गणना में सेंचुरी के अंदर 56 बाघों को रिकॉर्ड किया गया। जबकि रातापानी लैंड स्केप में 96 बाघों की पुष्टि हुई। अब अधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2026 में होने वाली गणना में सेंचुरी में 70 से ​अधिक बाघ होंगे और लैंड स्केप में 150 तक हो सकते हैं।
  • मप्र में 11 नेशनल पार्क हैं। इनमें बाघों की संख्या 785 है। 220 नए शावकों ने इसी साल जन्म लिया।
  • देशभर में 55 टाइगर रिजर्व हैं, इनमें बाघों की संख्या 3682 है।

80 से अधिक गुफाएं… जिनकी वजह से बढ़ रहा है कुनबा… \

तत्कालीन पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ जितेंद्र कुमार अग्रवाल ने सर्वें कराया था। इससे पता लगा था कि जंगल में 80 से अधिक गुफाएं हैं। यहीं बाघिनें शावकों को जन्म देती हैं। इन्हीं गुफाओं की वजह से रातापानी में बाघों की संख्या बढ़ी है।

कैमरे से निगरानी, वन गांवों की हो रही शिफ्टिंग

रातापानी सेंचुरी में शावकों की निगरानी के लिए बड़ी संख्या में कैमरे लगाए गए हैं। लॉन्ग टर्म एक्शन प्लान पर भी काम शुरू हो गया है। वन ग्रामों की शिफ्टिंग की प्रक्रिया भी चल रही है। दो गांवों को तामोट के पास जबलपुर हाइवे के किनारे बसाया जा रहा है,ताकि विस्थापितों को रोजगार भी मिल सके। – राजेश खरे सीसीएफ, भोपाल फॉरेस्ट सर्किल

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