जस्टिस संजीव खन्ना बने देश के 51वें सीजेआई !

जस्टिस संजीव खन्ना बने देश के 51वें सीजेआई; राष्ट्रपति ने दिलाई पद व गोपनीयता की शपथ

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में जस्टिस संजीव खन्ना को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस खन्ना ने रविवार को सेवानिवृत्त हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की जगह ली। उनका कार्यकाल 13 मई, 2025 तक रहेगा। 
Justice Sanjiv Khanna Swearing in Ceremony Updates CJI to Take Oath Today news in Hindi
CJI oath – फोटो : Video Grab

जस्टिस संजीव खन्ना सोमवार को देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश बन गए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुबह 10 बजे राष्ट्रपति भवन में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस खन्ना ने रविवार को सेवानिवृत्त हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की जगह ली। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई, 2025 तक रहेगा। जस्टिस खन्ना चुनावी बॉन्ड योजना खत्म करने और अनुच्छेद 370 निरस्त करने जैसे ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं। बतौर सीजेआई लंबित मामलों की संख्या घटाना और न्याय में तेजी लाना उनकी प्राथमिकता होगी। 

जस्टिस खन्ना छह माह संभालेंगे मुख्य न्यायाधीश की कुर्सी
दिल्ली के प्रतिष्ठित परिवार से तालुक रखने वाले जस्टिस संजीव खन्ना तीसरी पीढ़ी के वकील रहे हैं। उन्होंने न्यायाधीश बनने से पहले अपने करिअर की शुरुआत 1983 में तीस हजारी कोर्ट में वकालत की प्रैक्टिस के साथ की थी। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में भी वकालत की और अब अगले छह माह तक देश के मुख्य न्यायाधीश की कुर्सी संभालेंगे।

जस्टिस संजीव खन्ना के बारे में जानिए
जस्टिस खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को दिल्ली में हुआ था और लॉ की पढ़ाई उन्होंने डीयू के कैंपस लॉ सेंटर से की। उन्हें 2004 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के स्थायी वकील (सिविल) के रूप में नियुक्ति मिली और 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट में एडहॉक जज बने। बाद में उन्हें स्थायी जज नियुक्त कर दिया गया। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में अतिरिक्त लोक अभियोजक और न्याय मित्र के तौर पर कई आपराधिक मामलों में बहस भी की थी। आयकर विभाग के वरिष्ठ स्थायी वकील के तौर पर भी उनका कार्यकाल लंबा रहा। बतौर सीजेआई लंबित मामलों की संख्या घटाना और न्याय प्रदान करने में तेजी लाना उनकी प्राथमिकता में है। वह दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश रहे जस्टिस देवराज खन्ना के पुत्र और सर्वोच्च न्यायालय के जाने-माने पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एचआर खन्ना के भतीजे हैं। उनके चाचा जस्टिस एचआर खन्ना 1976 में आपातकाल के दौरान एडीएम जबलपुर मामले में असहमतिपूर्ण फैसला लिखने के बाद इस्तीफा देकर सुर्खियों में रहे थे।2019 में प्रोन्नत होकर सुप्रीम कोर्ट में रखा कदम
जस्टिस खन्ना को 18 जनवरी 2019 को कॉलेजियम की सिफारिश पर सुप्रीम कोर्ट में एलिवेट किया गया। सुप्रीम कोर्ट आने के बाद वे 17 जून 2023 से 25 दिसंबर 2023 तक सुप्रीम कोर्ट लीगल सर्विस कमेटी के अध्यक्ष रहे। अभी नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी के कार्यकारी अध्यक्ष और नेशनल ज्यूडिशल एकेडमी भोपाल के गवर्निंग काउंसिल मेंबर हैं। वह अगले साल 13 मई को सेवानिवृत्त होंगे।

ईवीएम से लेकर केजरीवाल को अंतरिम जमानत तक कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए

  • सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रहते वह कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे। जस्टिस खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 26 अप्रैल को ईवीएम में हेरफेर के संदेह को निराधार करार दिया और  पुरानी पेपर बैलेट प्रणाली पर वापस लौटने की मांग को खारिज कर दिया।
  • जस्टिस खन्ना पांच न्यायाधीशों की उस पीठ का हिस्सा थे, जिसने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के 2019 के फैसले को बरकरार रखा। जस्टिस खन्ना की पीठ ने ही पहली बार तत्कालीन मुख्यमंत्री केजरीवाल को आबकारी नीति घोटाले के मामलों में लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए 1 जून तक अंतरिम जमानत दी थी

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