अफसर की सलाह-स्कूल में अपनी किताबें चलाते हो तो पांच दुकानों पर सेट रखवा दो
- शिक्षा विभाग में निजी स्कूलों से साठगांठ को लेकर बहुप्रसारित आडियो चर्चा में
- ऑडियो को लेकर जिम्मेदार बोले-आडियो पुराना, लेकिन जांच कराएंगे
- चैतन्य टेक्नो स्कूल में छात्र के गिरने के बाद हो रहे हैं रोजना खुलासे
ग्वालियर। आनंद नगर बहोड़ापुर स्थित चैतन्य टेक्नो स्कूल में एक छात्र के चौथी मंजिल से गिरने और प्रबंधन द्वारा उसे छुपाने के प्रयास के बाद नए-नए राजफाश हो रहे हैं। अभी हाल ही में एक आडियो इंटरनेट मीडिया पर बहुप्रसारित हुआ है, जिसमें खुद को बीआरसी बताने वाले गौतम शर्मा स्कूल प्रबंधन के किसी व्यक्ति से शिकायतें और जांच की बात कर सबकुछ मैनेज करने के लिए टिप्स दे रहे हैं।
आडियो में प्राइमरी तक स्कूल प्रबंधन खुद की किताबें चलवाने और खुद ही बच्चों के अभिभावकों को बेचने की बात कह रहा है, तो अधिकारी उन उन्हें पांच दुकानों को मैनेज कर वहां किताबों के सेट रखवाने की सलाह दे रहे हैं, ताकि किताबें खुले बाजार में उपलब्ध होना साबित हो सके। इस तरह के दो आडियो वायरल हुए हैं। जिम्मेदार अधिकारी अब उन्हें पुराना बता रहे हैं, लेकिन जांच कराने की बात भी कह रहे हैं।
- पहला आडियो: बीआरसी आफिस से बोल रहा हूं
हेलो:-आप चैतन्य से बोल रहे हैं
जी हां:-नमस्ते, आप कौन?
हेलो:-मैं गौतम शर्मा बीआरसी कार्यालय से बोल रहा हूं, आपका स्कूल कितने बजे तक खुलता है।
- दूसरा वायरल आडियो:-
अधिकारी:-बुक्स का आप क्या करते हो, वह बताओ तो हम आपको सजेस करें, प्राइमरी में क्या करते हो, अपनी बुक रहती है न?
स्कूल:-नर्सरी से पांचवीं तक हमारी किताब रहती है।
अधिकारी:-कहां से लेता है पालक, वह तीन-चार वेंडर के नाम, सबके पास उपलब्ध हैं बुक।
स्कूल:-अभी तो नहीं है
अधिकारी:-यह चीज आपको बताना होगी कि हमारी कितरब पांच दुकानों पर उपलब्ध है।
स्कूल:-हम खुद सेल करते हैं, बोला तो अच्छा नहीं लगता क्या वो!
अधिकारी:-नहीं, नहीं, पांच-सात शाप हैं, आप बोलो कि वहां आसानी से उपलब्ध है, कोई भी ले सकता है।
स्कूल:-ओके।
अधिकारी:-हमारी एनसीआरटी की बुक है, बाकी ये बुक, आपको तीन-चार शाप पर यह शो करना होगा कि आपकी बुक वहां आसानी से उपलब्ध हैं, कोई भी ले सकता है।
स्कूल: मैं करवा देता हूं।
अधिकारी:-चार-पांच लोकल वेंडर हों, उनसे प्रिंसीपल या कोई भी अच्छा व्यक्ति टच कर ले, वहां पांच-पांच सेट रखवा दो, करवाओ मैनेज, जैसे भी करना हो।
स्कूल: हां सर, आप परसो आ रहे हैं?
अधिकारी:-परसो है मेरा यहां से, मैं आ जाऊंगा, फिर अपन डिस्कस कर लेंगे। पैरेंट्स की लिस्ट ऐसा मत करिये, आपने पांच सिलेक्ट कर लिए। आप तो जो अच्छे पैरेंट्स हो, जो आपकी गुड बुक में हो, वह रेंडमली डाल दो, खूब सारे। नहीं तो ऐसा लगेगा कि इनने जानबूझकर पांच दिए हैं। आप तो रेंडमली बना दो, इसमें पता नहीं चल पाएगा।
(नोट:-…… इन आडियो रिकार्डिंग की पुष्टि नहीं करता है।)
नोट:-डीपीसी रविन्द्र सिंह से मोबाइल नंबर 7000651281 पर बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनके द्वारा फोन नहीं उठाया गया।
डीपीसी कार्यालय में पदस्थ अधीनस्थ बीआरसी होते हैं, जो जिला शिक्षा केंद्र के अंतर्गत आते हैं। वे किसी भी शिकायत पर डायरेक्टर स्कूल जा सकते हैं। अभी मेरे पास आडियो की लिखित में कोई शिकायत नहीं आई है। यदि आती है तो हम जांच करेंगे।
-आदर्श कटियार, जिला शिक्षा अधिकारी।
जो आडियो बहुप्रसारित हुआ, वो मेरे पास भी किसी ने भेजा था। इस मामले को लेकर जब डीपीसी से चर्चा हुई तो उन्होंने बताया कि यह पुराना आडियो है। फिर भी मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच के निर्देश दिए हैं।
-रुचिका चौहान, कलेक्टर, ग्वालियर।
बच्चे को सायक्लोजिकल डिसआर्डर बताया, प्रबंधन पर भड़की महिला
- विनय नगर निवासी महिला अभिभावक ने स्कूल में पहुंचकर प्रबंधन पर जमकर भड़ास निकाली। इनके बच्चे को स्कूल की कोर्डिनेटर ने सायक्लोजिकल डिसआर्डर बता दिया था। इस संबंध में एक वीडियो बहुप्रसारित हुआ है। अभिभावक का आरोप है कि केवल स बच्चे को ही नहीं बल्कि कुछ और बच्चों के बारे में भी स्कूल के शिक्षकों ने इसी प्रकार की बात कही है।
- महिला अभिभावक का कहना है कि स्कूल प्रबंधन स्कूल से ही किताबें, कापियां और यूनिफार्म देता है और इसके लिए सात-आठ हजार रुपये तक लिए जाते हैं, जो बाजार से काफी अधिक है। उन्होंने बताया कि नोटबुक तो सभी खरीदना पड़ती है, जबकि उनके बच्चे की अब तक केवल हिंदी और ईवीएस की नोटबुक में ही लिखा हुआ है, बाकी कोरी पड़ी हैं। अभिभावक ने स्कूल प्रबंधन से मांग की है कि या तो कोर्डिनेटर पर एक्शन लिया जाए वर्ना बच्चे की टीसी दे दी जाए।
फीस वापस करने का वादा कर मुकरे, डीईओ ने मांगा स्पष्टीकरण25 जून 2024 को नरेश मौर्य ने शिकायत की थी कि उनके बच्चे दिनेश मौर्य के एडमिशन के लिए छह हजार रुपये जमा किए थे। स्कूल की शिक्षक कीर्ति तेजा और कोमल शर्मा ने भरोसा दिलाया था कि बच्चे को पढ़ाई समझ नहीं आई तो वह फीस वापस कर देंगे। बाद में रुपये देने से इनकार कर दिया। जिला शिक्षा अधिकारी ने पत्र लिखकर स्कूल प्रबंधन को रुपये वापस करने के साथ सात दिन में स्पष्टीकरण मांगा है।