ग्वालियर में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन में अफसरों की प्लानिंग फेल ?
ग्वालियर में डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन में अफसरों की प्लानिंग फेल:13.98 करोड़ खर्च कर 4 साल में खरीदे 183 टिपर वाहन; फिर भी नहीं उठ पा रहा शहरभर से कचरा
घर-घर से कचरा उठाने के नाम पर नगर निगम के बेड़े में पिछले चार साल में 183 डोर-टू-डोर वाहन शामिल हो चुके हैं। ग्वालियर स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के सहयोग और निगम ने खुद डोट-टू-डोर वाहनों को खरीदने पर 13.98 करोड़ रुपए की राशि खर्च कर दी।
निगम के अफसरों ने कम रेट के फेर में ऐसी कंपनी को 21 ई व्हीकल मंगाने का 1.68 करोड़ रुपए में ठेका दे दिया। जिसे अभी तक परिवहन विभाग से रजिस्ट्रेशन की स्वीकृति नहीं मिल पा रही है। ऐसा एक निगम के जिम्मेदार अधिकारी का कहना है।
वाहन पर वाहन खरीदी तब भी नगरीय निकाय के 66 वार्डों में रहने वाले के घरों से 100 प्रतिशत कचरा कलेक्शन नहीं कर पा रहा है। यही वजह है कि शहर में रोज 100-125 टन कचरा विभिन्न स्थानों पर पड़ा रह जाता है। ये हालात जब है, तब निगम औसतन रोज 500-525 टन कचरा लैंडफिल साइट पर पहुंचा रहा है।
निगम की सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी के लिए तीन हजार कर्मचारी है। इन्हें समय-समय पर आउटसोर्स के माध्यम से रखा जाता रहा। डोर-टू-डोर वाहनों की निगरानी के लिए स्मार्ट सिटी के कंट्रोल कमांड सेंटर में ऑनलाइन मॉनीटरिंग चल रही है। इसके बाद निगम ने पैसा खर्च कर एक कंट्रोल सेंटर निगम मुख्यालय की तीसरी इमारत पर बना लिया है। गौरतलब है कि शहर के अंदर तंग गलियां भी हैं, वहां के लिए हाथ ठेलों का उपयोग होता है। वह भी अधिकांश खराब हालात में है।
इस व्यवस्था की तैयारी
- निगम के पास वर्तमान में 232 डोर-टू-डोर वाहन मौजूद हैं। 55 ई व्हीकल टिपर का एक प्रस्ताव नगरीय विकास एवं आवास भोपाल पहुंचाया है। इस पर 1.68 करोड़ रुपए खर्च होंगे।
- 21 ईव्हीकल टिपर का टेंडर हो चुका है। इस पर 1.60 करोड़ रुपए खर्च होंगे। ये वाहन अभी तक निगम को नहीं मिले है।
- सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए 200 कर्मचारियों को आउटसोर्स पर रखने की प्लानिंग है।
- निगम अफसरों का कहना है कि अभी 150 डोर-टू-डोर वाहन और चाहिए। जिम्मेदारों को ये करना था
- अभी तक स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी अपर आयुक्त विजय राज संभाल रहे थे। उनके सहयोग के लिए उपायुक्त अमरसत्य गुप्ता भी रहे। निगम के पास 232 डोर-टू-डोर वाहन हो चुके है। उनको घर-घर पहुंचाने के लिए बेस्ट प्लान और निगरानी करना थी। दो-दो मॉनीटरिंग सेंटर भी चल रहे है।
सफाई व्यवस्था को लेकर जिम्मेदारों की सफाई
- अपर आयुक्त विजय राज… हाल में आयुक्त ने इनका कार्य क्षेत्र बदला है। इसलिए इनका कहना है कि मैं उक्त मुद्दे पर नहीं बोल सकता हूं।
- उपायुक्त अमर सत्य गुप्ता… वर्तमान में टिपर वाहनों की और जरूरत है। इसका प्लान बनाया गया है, पिछले दिनों कुछ वाहनों को कबाड़ मानकर रख दिया गया था, उन्हें भी ठीक करा रहे हैं। इससे व्यवस्था में सुधार दिखाई देगा।
क्या किया
निगम में जब भी सफाई व्यवस्था गड़बड़ाने की बात आई। स्टाफ और वाहनों की कमी बताई गई। टिपर वाहन समय-समय पर खरीदे और दूसरी संस्थाओं से मदद लेकर मंगाए गए। सफाई कर्मचारियों की मैदानी हकीकत जानने के बाद भी ठोस एक्शन नहीं।