-बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को कैसे लागू कर रहा है, विशेष रूप से बहुविषयक शिक्षा और पाठ्यक्रम को लचीला बनाने में? विश्वविद्यालय ने मल्टीपल एंट्री-एक्जिट विकल्प वाले चार वर्षीय अंडरग्रेजुएट कोर्स अपनाने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए हैं?एनईपी 2020 के लचीलेपन और बहुविषयक शिक्षा के सिद्धांतों को बीएचयू ने पूर्णता से अपनाया है। खासकर चार वर्षीय अंडरग्रेजुएट (UG) कोर्स के लॉन्च के साथ, जिसमें कई विकल्प दिए गए हैं। कला, विज्ञान और वाणिज्य जैसे विभागों में छात्रों को ऐसे ‘माइनर’ विषय चुनने का विकल्प दिया जाता है जो उनके ‘मेजर’ विषयों के पूरक के तौर पर उनकी जानकारी का दायरा बढ़ाते हैं। सभी अंडरग्रेजुएट छात्रों के लिए स्किल एनहांसमेंट कोर्स (SEC) और वैल्यू एडेड कोर्स (VAC) पूरा करना अनिवार्य है। जैसे स्वास्थ्य, संस्कृति आदि के कोर्स। वैल्यू एडेड कोर्स में योग, इतिहास और पर्यावरण विज्ञान जैसे विषय शामिल हैं, जो समग्र शिक्षा को बढ़ावा देते हैं।

बीएचयू में चार वर्षीय अंडरग्रेजुएट (ऑनर्स) और अंडरग्रेजुएट (ऑनर्स विद रिसर्च) प्रोग्राम के लिए स्ट्रक्चर्ड क्रेडिट डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम है। क्रेडिट के आधार पर छात्र सर्टिफिकेट, डिप्लोमा या डिग्री लेकर निकल सकते हैं। इसके लिए कम से कम 160 क्रेडिट होना चाहिए। यह ढांचा छात्रों को एक वर्ष के बाद सर्टिफिकेट, दो वर्ष बाद डिप्लोमा, तीन वर्ष बाद स्नातक डिग्री और चार वर्ष के बाद ‘रिसर्च के साथ ऑनर्स’ डिग्री लेकर निकलने की सुविधा देता है। वे यदि शैक्षिक मानदंड पूरे करते हैं तो सीधे पीएचडी में दाखिला ले सकते हैं। बीएचयू का राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 लागू करने का तरीका एडेप्टेबल और विविधतापूर्ण शैक्षिक वातावरण विकसित करने में हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इससे छात्रों को उनका अकादमिक मार्ग चुनने की स्वतंत्रता मिलती है।

-बीएचयू अपनी रिसर्च सुविधाओं और फंडिंग के अवसरों को कैसे बढ़ा रहा है? क्या संस्थान को किसी वित्तीय समस्या का सामना करना पड़ रहा है?यह ऐसा क्षेत्र है जहां बीएचयू ने व्यापक कदम उठाए हैं। हमारा ध्यान सीमित प्रभाव डालने वाले छोटे-मोटे उपायों की जगह पूरे रिसर्च इकोसिस्टम को बदलने पर है। हमने सभी रिसर्च प्रोजेक्ट के प्रभावी और समयबद्ध मैनेजमेंट के लिए अलग सेल बनाया है। यह ‘स्पॉन्सर्ड रिसर्च एंड इंडस्ट्रियल कंसल्टेंसी सेल’ हमारे शोधकर्ताओं, फैकल्टी सदस्यों और वैज्ञानिकों के लिए सिंगल विंडो है। इससे वे प्रशासनिक प्रक्रियाओं में होने वाली देरी से बच जाते हैं। अब हमारे शोधकर्ताओं को इधर-उधर भागने की आवश्यकता नहीं। प्रोजेक्ट/शोध संबंधी उनकी सभी जरूरतें एक ही स्थान पर हल होती हैं। इससे उन्हें काफी लाभ हुआ है।

दूसरी बात, हम शोधकर्ताओं/फैकल्टी सदस्यों को आकर्षक ग्रांट और स्कीम ऑफर कर रहे हैं ताकि वे गुणवत्तापूर्ण रिसर्च कर सकें। नए फैकल्टी सदस्यों को हम सीड ग्रांट देते हैं। इसके अलावा हम ब्रिज ग्रांट भी दे रहे हैं। ब्रिज ग्रांट के तौर पर दो प्रोजेक्ट के बीच फंडिंग के अंतर को पूरा करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। कई बार ऐसा भी होता है कि फैकल्टी सदस्य मौजूदा प्रोजेक्ट समाप्त होने के बाद नए अनुदान का इंतजार कर रहे होते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनका शोध प्रभावित न हो, हम उन्हें ब्रिज ग्रांट देते हैं।

हमने एक ट्रांस-डिसिप्लिनरी रिसर्च ग्रांट भी शुरू की है। इसके तहत हम दो अलग स्ट्रीम (जैसे, एक व्यक्ति विज्ञान से और दूसरा मेडिसिन से) के फैकल्टी सदस्यों के रिसर्च प्रोजेक्ट को 25 लाख रुपये तक देते हैं। ट्रांस-डिसिप्लिनरी रिसर्च के लिए बीएचयू की यह ग्रांट अनोखी है।

इसी तरह, अगर किसी फैकल्टी सदस्य के बाहरी ग्रांट वाले प्रोजेक्ट में फंडिंग पूरी नहीं हो पाती है तो हम उन्हें टॉप-अप ग्रांट भी दे रहे हैं। हम अपने फैकल्टी सदस्यों और पीएचडी स्कॉलर को उनके रिसर्च प्रयोगों में उच्च गुणवत्ता वाले उपकरणों के लिए रिसर्च क्रेडिट भी दे रहे हैं।

इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस के तौर पर छात्रों और फैकल्टी सदस्यों को शोध में मदद के लिए हमने कई अन्य योजनाएं शुरू की हैं। हम योग्य पीएचडी स्कॉलर को एक पूरा सेमेस्टर भारत या विदेश के प्रमुख संस्थानों में बिताने और शोध करने के लिए पूर्ण वित्तीय सहायता दे रहे हैं। इससे न केवल शोध की गुणवत्ता और आउटपुट बेहतर होता है, बल्कि हमें नई साझेदारी बनाने में भी मदद मिल रही है। हमने विदेशी संस्थानों में सेमेस्टर बिताने के लिए 15 स्कॉलर के आवेदन स्वीकृत किए हैं और भारतीय संस्थानों के लिए 23 स्कॉलर को मंजूरी दी है। हम पीएचडी स्कॉलर को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में शोध पत्र प्रस्तुत करने के लिए भी वित्तीय सहायता प्रदान कर रहे हैं। 200 से अधिक स्कॉलर इस योजना से लाभान्वित हुए हैं। इससे भी हमें साझेदारी बढ़ाने में मदद मिलती है।

इंस्टीट्यूशन ऑफ एमीनेंस फंडिंग से हमें कई परिवर्तनकारी पहल शुरू करने में मदद मिली है। हमने अपने जटिल प्रशासनिक और वित्तीय मैनेजमेंट सिस्टम को सुधारने में काफी प्रगति की है। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि वित्तीय चुनौतियों का सामना करने में बीएचयू पूरी तरह से सक्षम है।

-एनईपी में फैकल्टी के निरंतर प्रोफेशनल डेवलपमेंट पर भी फोकस है। बीएचयू में इसके लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?बीएचयू ने फैकल्टी के प्रोफेशनल डेवलपमेंट के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इनमें उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करना, अकादमिक और प्रोफेशनल ग्रोथ के नए अवसरों का सृजन करना और उनकी क्षमता बढ़ाना शामिल हैं। हमने सभी फैकल्टी सदस्यों को प्रोफेशनल डेवलपमेंट फंड के रूप में दो लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता दी है। वे इस पैसे का उपयोग नए उपकरण और डिवाइस खरीदने, सम्मेलनों या कोर्स में भाग लेने या ऐसी गतिविधियों के लिए कर सकते हैं जिनसे उनका प्रोफेशनल डेवलपमेंट होता हो। अब तक 1340 से अधिक शिक्षकों ने इस फंड से 14.8 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग किया है।

बीएचयू सभी फैकल्टी सदस्यों को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लेने और अपना शोध प्रस्तुत करने के लिए यात्रा में भी मदद कर रहा है। यहां के 250 से अधिक शिक्षकों ने इसके लिए 2.2 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ उठाया है। इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालय में लगभग 120 सम्मेलनों का आयोजन किया गया जिसके लिए बीएचयू ने 3 करोड़ रुपये प्रदान किए हैं।

बाहरी प्रोजेक्ट लाने वाले फैकल्टी सदस्यों को राजा ज्वाला प्रसाद पोस्ट-डॉक्टोरल फेलोशिप योजना के तहत पोस्ट-डॉक्टोरल रिसर्च फेलो रखने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। हमने इसके 111 प्रस्तावों को मंजूरी दी है। ग्लोबल एक्सपोजर फैकल्टी प्रोग्राम के तहत हम पात्र फैकल्टी सदस्यों को शीर्ष 500 संस्थानों में से एक में एक वर्ष तक रहने और शोध पूरा करने के लिए पूरी वित्तीय सहायता दे रहे हैं। अब तक हमने इस योजना के तहत 26 फैकल्टी सदस्यों को वित्तीय सहायता मंजूर की है।

हमने आईआईएम, आईआईटी और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के 100 से अधिक शिक्षकों के लिए लीडरशिप ट्रेनिंग आयोजित की हैं। इसके अतिरिक्त फैकल्टी सदस्यों के समग्र विकास पर केंद्रित कई अन्य योजनाएं भी हैं। मुझे विश्वास है कि ये प्रयास संस्थान और इसके सदस्यों, दोनों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान करेंगे।

एनईपी में शिक्षा को उद्योग की आवश्यकताओं से जोड़ने पर जोर दिया गया है। बीएचयू में छात्रों को व्यावहारिक स्किल से लैस करने और उनकी एंप्लॉयबिलिटी बढ़ाने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?बीएचयू ने व्यावहारिक कौशल और उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप छात्रों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए कई कार्यक्रम लागू किए हैं। सभी अंडरग्रेजुएट छात्रों के लिए पहले तीन सेमेस्टर में स्किल एनहांसमेंट कोर्स में कुल नौ क्रेडिट हासिल करना अनिवार्य किया है। इनमें आईटी स्किल, कम्युनिकेशन, लाइफ स्किल जैसे उद्योग से संबंधित विभिन्न कौशल शामिल हैं।

बीएचयू एंप्लॉयबिलिटी बढ़ाने के लिए कई विषयों में व्यावसायिक पाठ्यक्रम ऑफर करता है। लचीलापन लाने और छात्रों के ज्ञान का आधार बढ़ाने के लिए बीएचयू ने नौ क्रेडिट वाले बहु-विषयक पाठ्यक्रम जोड़े हैं। छात्रों को अपने मुख्य विषय के अलावा अन्य विषयों का अध्ययन करने का अवसर मिलता है। इससे विभिन्न उद्योगों के लिए उनकी एंप्लॉयबिलिटी बढ़ती है।

इंटर्नशिप अब चार वर्षीय अंडरग्रेजुएट पढ़ाई का हिस्सा है। प्रत्येक एक सप्ताह की इंटर्नशिप के लिए एक क्रेडिट मिलता है। इंटर्नशिप से व्यावहारिक अनुभव मिलता है और श्रम बल में संबंधित कौशल लाने का मजबूत आधार बनता है। बीएचयू माइक्रोक्रेडिट कोर्स के तहत चार क्रेडिट तक प्रदान करता है। इसमें प्रत्येक पाठ्यक्रम के लिए एक क्रेडिट है। ये अल्पकालिक कोर्स उद्योग और व्यावहारिक प्रयोग से संबंधित विषयों पर जोर देते हैं। इनके लिए विभागों को विभिन्न क्षेत्र के प्रोफेशनल के साथ मिलकर काम करने के लिए कहा जाता है, ताकि छात्र अप-टू-डेट और व्यावहारिक रूप से उपयोगी कौशल हासिल करें।

-एनईपी 2020 डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देता है। बीएचयू इसे कैसे अपना रहा है?डिजिटल शिक्षा को बढ़ाने के लिए बीएचयू अपने पाठ्यक्रम में टेक्नोलॉजी को समाहित कर रहा है। छात्रों के पास अपने क्रेडिट का 40% तक ऑनलाइन पूरा करने का विकल्प है। कुछ ‘अन्य’ कोर्स (जिनमें मल्टीडिसिप्लिनरी, वैल्यू एडेड और स्किल एनहांसमेंट कोर्स शामिल हैं) के लिए यह विकल्प 60% तक है। इससे छात्रों को MOOCs (Massive Open Online Courses) और SWAYAM जैसे विभिन्न ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफार्म से सामग्री चुनने का अवसर मिलता है।

बीएचयू डिजिटल रूप से वितरित किए जा सकने वाले SWAYAM कोर्स बनाने पर काम कर रहा है। हमने विशिष्ट और बहु-विषयक क्षेत्रों में कई SWAYAM पाठ्यक्रमों की शुरुआत की है, जिनके लिए शिक्षा मंत्रालय से वित्तीय सहायता और आईआईटी मद्रास से ऑपरेशनल सहायता मिलती है। ये कक्षाएं एनईपी के उद्देश्यों को पूरा करने में विश्वविद्यालय की मदद करती हैं।

छात्रों को ऑनलाइन डेटाबेस, ई-बुक्स और डिजिटल लाइब्रेरी तक पहुंच प्रदान करके बीएचयू ने अपना डिजिटल रिसोर्स इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाया है। इससे रिसर्च स्किल में सुधार होता है। छात्र पारंपरिक पाठ्य पुस्तकों के अलावा विभिन्न डिजिटल सामग्री भी पढ़ सकते हैं। डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए छात्रों को पाठ्यक्रम और स्वतंत्र अध्ययन, दोनों में इन टूल्स का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। विश्वविद्यालय टेक्नोलॉजी इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी निवेश कर रहा है। इसमें डिजिटल पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए नए स्टूडियो का निर्माण भी शामिल है। ये स्टूडियो व्याख्यान, वेबिनार और अन्य ई-लर्निंग सामग्री को रिकॉर्ड करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।