Jhansi Medical College Fire – शवों के ढेर में अपनों को तलाशते रहे परिजन ?

शवों के ढेर में अपनों को तलाशते रहे परिजन; कई नवजातों के हाथ की निकली थी स्लिप
झांसी के महारानी लक्ष्मी बाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा वार्ड (एसएनसीयू) में भीषण आग लगने से 10 नवजात शिशुओं की झुलसने एवं दम घुटने से मौत हो गई। जिस वार्ड में आग लगी थी, वहां 55 नवजात भर्ती थे। 45 नवजात को सुरक्षित निकाल लिया गया। 

 महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष (एसएनसीयू) में शुक्रवार देर रात भीषण आग लगने से 10 नवजात की मौत हो गई। जिस वार्ड में आग लगी थी, वहां 55 नवजात भर्ती थे। हादसे की सूचना मिलते ही करीब 15 दमकल की गाड़ियां मौके पर पहुंच गई। सेना को भी बुला लिया। रास्ता नहीं मिलने पर नवजातों को खिड़की के कांच तोड़कर बाहर निकाला गया। नवजातों को बचाने के लिए परिजन के बीच अफरातफरी मच गई। वे बच्चों को लेकर जाने लगे।

Jhansi Medical College Fire Relatives kept searching for their loved ones from pile of dead bodies
नवजातों को बचाने के लिए मची अफरातफरी
नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष (एसएनसीयू) से आग की लपटें बाहर आतीं देख परिजन चीखते वार्ड को ओर दौड़ पड़े। कई परिजन लपटों की परवाह किए बगैर अंदर जा घुसे। फायरकर्मियों ने उनको बाहर किया। अफरातफरी के बीच दमकलकर्मी वार्ड के भीतर पहुंच सके। उसके बाद वार्ड से भर्ती नवजात बाहर निकाले जाने लगे। नवजातों को बाहर निकालते ही कई परिजन बदहवास हाल में उनको उठाकर अपने साथ ले गए।
अधिकांश नवजातों के हाथ की स्लिप निकल गई
एसएनसीयू वार्ड में जन्म के बाद पीलिया, निमोनिया से पीड़ित नवजात रखे जाते हैं। महज चंद घंटे की उम्र होने के नाते पहचान के लिए इनके हाथ में सिर्फ मां के नाम की स्लिप अथवा पांव में रिबन लगी होती है लेकिन, आगजनी के बाद अफरातफरी में अधिकांश नवजातों के हाथ की स्लिप निकल गई। इनको बाहर निकाला गया तो इनके पास कोई पहचान चिह्न नहीं था। अधिकांश परिजनों को जो नवजात मिला, उसे उठाकर वह ले गए।
बच्चों को पागलों की तरह तलाशते रहे परिजन
कई मां-बाप रोते-बिलखते अपने बच्चे के लिए गुहार लगाते रहे। महोबा निवासी संजना, जालौन निवासी संतराम अपने बच्चों को पागलों की तरह तलाशते रहे। उनके नवजात उनको मिले ही नहीं। बच्चे के लापता होने पर मां-बाप डॉक्टर, कर्मी एवं अधिकारियों से गुहार लगाते रहे लेकिन, कोई भी जवाब नहीं मिला।

रानी सेन नामक महिला ने देर रात बताया कि उनका तीन दिन का बच्चा नहीं मिल रहा है। रानी ने बताया कि उनकी देवरानी का नाम संध्या है, जिसके तीन दिन पहले बच्चा हुआ था। तबीयत बिगड़ने पर उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था। आग लगने के बाद संध्या का बच्चा नहीं मिल रहा है। 

लाशों के ढेर से नवजात तलाशते रहे परिजन
कई घरों में मन्नतों के बाद कुछ दिन पहले ही किलकारियां गूजीं थीं लेकिन, अब कलेजे पर पत्थर रखकर बाहर की ओर रखे शवों के बीच में से अपने नवजात तलाशने पड़ रहे थे। दमकलकर्मी अपने साथ जैसे ही नवजातों को बाहर लेकर आ रहे थे, परिजन उनको घेर लेते थे। बचाव कार्य के दौरान एक के बाद एक 10 लाशें बाहर निकली गई। 

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