ग्वालियर : रेलवे स्टेशन:न सड़क चौड़ी होगी, न ट्रैफिक जाम से मुक्ति ?
रेलवे स्टेशन:न सड़क चौड़ी होगी, न ट्रैफिक जाम से मुक्ति, क्योंकि 74 दुकानों का शिफ्टिंग का प्लान अटका
रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास में 535 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन रेलवे स्टेशन का फ्रंट का नजारा मुख्यमार्ग से नहीं दिखेगा। न ही स्टेशन बजरिया की सड़क चौड़ी हो पाएगी। इससे शहरवासियों को ट्रैफिक जाम से भी राहत नहीं मिल पाएगी। दअसल, जब रेलवे स्टेशन को पुनर्विकसित करने का प्लान रेलवे अफसर लेकर आए तो तब कहा गया था कि स्टेशन का नजारा मुख्यमार्ग से दिखेगा।
इसके लिए वे जिला प्रशासन व हाउसिंग बोर्ड से बात कर स्टेशन बजरिया की 74 दुकानें शिफ्ट करवाएंगे। लेकिन स्टेशन परिसर में निर्माण कार्य को शुरू हुए लगभग दो साल हो चुके हैं। लगभग 50 फीसदी काम पूरा हो चुका है। लेकिन अब तक यह तय नहीं हो सका कि स्टेशन बजरिया की दुकानें शिफ्ट हो पाएंगी या नहीं। इसको लेकर असमंजस बरकरार है। अब न तो रेलवे अफसर इस मामले में कोई रुचि दिखा रहे हैं न जिला प्रशासन और हाउसिंग बोर्ड।
3 विभागों के अफसरों के बीच बेहतर कोआर्डिनेशन नहीं, इससे अटका प्लान
1 अफसरों ने नहीं की पहल, बोले-कुछ नहीं कर सकते
क्या किया: हाउसिंग बोर्ड के अफसरों की जिम्मेदारी थी कि वह इसके लिए पहल करते। लेकिन अफसरों ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि उन्होंने 1976 में स्टेशन बजरिया की दुकानें आवंटित कर दीं। अब वह कुछ नहीं कर सकते। क्या करना था: हाउसिंग बोर्ड को प्रस्ताव दुकानों की शिफ्टिंग का प्रस्ताव तैयार करना था। दुकानदारों से चर्चा करना था और उनके समक्ष विकल्प रखना था। 2 अफसरों ने दुकान शिफ्ट करने की कार्रवाई नहीं की
क्या किया: झांसी मंडल के अफसरों को बजरिया की 74 दुकानें और रेलवे द्वारा दुकानदारों को दी गई दुकानों को शिफ्ट कराने के लिए अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। क्या करना था: स्टेशन बजरिया की दुकानें शिफ्ट कराने के लिए झांसी मंडल के जिम्मेदार अफसरों को कलेक्टर से बात करनी थी। साथ ही शिफ्टिंग का विकल्प दुकानदारों के सामने रखना था।
3 जिला प्रशासन ने दो साल में सिर्फ चर्चा की
क्या किया: स्टेशन बजरिया की दुकानें शिफ्ट कराने के लिए जिला प्रशासन की ओर से 2 साल के दौरान सिर्फ चर्चा हुई है। जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। क्या करना था: मामले में जिला प्रशासन की जिम्मेदारी थी कि बजरिया की दुकानें शिफ्ट होने के साथ सड़क चौड़ी हो सके इसके लिए हाउसिंग बोर्ड, रेल प्रशासन, दुकानदारों को बुलाकर शिफ्टिंग पर चर्चा करनी थी।
दुकानें शिफ्ट नहीं होने से यह आएगी परेशानी: रेलवे स्टेशन को 40 साल के हिसाब से विकसित किया जा रहा है। अभी यहां हर दिन लगभग 60 हजार यात्रियों का आना जाना है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले 40 साल दौरान स्टेशन में यात्रियों के आने जाने वालों की संख्या 1.40 लाख तक पहुंच जाएगी। ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं कि जब 60 हजार यात्रियों के आवागमन व वाहनों के आने स्टेशन बजरिया में दिनभर ट्रैफिक जाम की स्थिति रहती है तो फिर आने वाले समय में क्या स्थिति बनेगी।
अब क्या कह रहे हैं: हाउसिंग बोर्ड के संपदा अधिकारी राजेंद्र तिवारी का कहना है कि विभागीय प्रक्रिया चल रही है। जल्द ही इस मामले में निर्णय लिया जाएगा।
अब क्या कह रहे हैं: उमरे के सीपीआरओ शशिकांत त्रिपाठी का कहना है कि अभी स्टेशन पुनर्विकास का काम पूरा नहीं हुआ है। काम पूरा होने के बाद इस मामले में जिला प्रशासन से चर्चा की जाएगी।
अब क्या कह रहे हैं: कलेक्टर रुचिका चौहान का कहना है कि रेलवे अफसरों ने इस संबंध में अभी तक कोई चर्चा नहीं की है।
- ये बोले दुकानदार
हमें दुकान मिले तो शिफ्टिंग को तैयार हाउसिंग बोर्ड की हमें करीब 48 साल पहले दुकानें स्टेशन बजरिया में आवंटित की गई थीं। दुकान से ही हमारा भरण पोषण होता है। यदि जिला प्रशासन हमें बस स्टैंड तिराहे पर बने सरकारी बंगलों की जगह दुकानें बनाकर दे तो हम शिफ्टिंग को तैयार हैं। – दुकानदार, स्टेशन बजरिया
रेलवे स्टेशन परिसर में हमें दुकान दी जाए दुकान शिफ्टिंग के लिए अभी तक हमारे पास कोई प्रस्ताव नहीं आया है। फिर भी यदि ऐसा कोई प्रस्ताव आता है तो हमें रेल प्रशासन अपने परिसर में दुकानें बनाकर दे तो हम दुकान शिफ्ट कर सकते हैं। दुकानदार, स्टेशन बजरिया