5 युवाओं का हुआ सिविल जज परीक्षा में चयन

दादा 67 साल तक एडवोकेट रहे, पिता डीपीओ है, इसलिए जज बनने के संस्कार घुट्टी में मिले, जजमेंट राइटिंग पक्ष मजबूत….

दादाजी विष्णु चरण दुबे 67 साल तक कोर्ट में प्रैक्टिस करते रहे। पिता रविकांत दुबे न्यायालय में डीपीओ है। इसलिए यह कहा जाए कि मुझे घुट्टी में जज बनने के संस्कार मिले तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। कटक से लॉ डिग्री हासिल करने के दौरान जब 6 गोल्ड मेडल अलग-अलग विधाओं के लिए मिले तभी वरिष्ठ जनों ने कह दिया था कि तुम भविष्य के सिविल जज हो।

यह बात सिविल जज परीक्षा मैं सफलता हासिल करने वाले शिवपुरी निवासी यश दुबे ने दैनिक भास्कर से कही। खास बात यह है कि शिवपुरी जिले से 5 लोगों का चयन सिविल जज के लिए हुआ है। यश दुबे ने बताया कि उन्होंने जजमेंट राइटिंग को अपना सबसे मजबूत पक्ष बनाया। जिसके चलते सिविल जज परीक्षा में अच्छे नंबर लाने के साथ सफलता मिली। मध्यप्रदेश में यश की 23 वी रैंक है।

घर के पास न्यायधीश रहते थे, कोर्ट पास में थी, इसलिए जज बनने का देखा सपना, पांचवी प्रयास में सफलता
कोलारस की रहने वाली शिखा रघुवंशी ने बताया कि उसके डिप्टी रेंजर पिता का क्वार्टर कोर्ट के न्यायाधीश के पास था। अक्सर न्यायधीश शालीनता के साथ कोर्ट जाया करते थे, तभी सोच लिया था कि मुझे सिविल जज बनना है। इसलिए 5 बार परीक्षा दी।

असफलता से सबक लिया, हिम्मत नहीं हारी और पांचवें अटेम्प में उनका चयन सिविल जज के लिए हो गया। शिखा का कहना है कि तीसरे अटेंप्ट में जब आधा पेपर हल करके आने के बाद नंबर अच्छे आए तो हौसला बढ़ा और फिर चौथे अटेंप्ट की तैयारी की। पर 0.5 अंक से रह जाने के बाद उस कमी को भी दूर किया। अंततः सफलता मिल ही गई। उनकी मध्यप्रदेश में 41वी रैंक है।

दैनिक भास्कर के आर्टिकल पढ़कर पहले ही प्रयास में मिली सफलता, एडवोकेट पिता बने प्रेरणा
कोलारस मैं निवासरत शिवानी श्रीवास्तव ने बताया कि उसके पिता एडवोकेट विनोद श्रीवास्तव को वह बचपन से एडवोकेट की भूमिका में देखती थी। तभी तय कर लिया था कि बीएससी के बाद एलएलबी करूंगी। और लॉ करने के बाद जब सिविल जज की तैयारी की तो उसमें प्रतिदिन दैनिक भास्कर पेपर पढ़ कर आर्टिकल लिखना शुरू किया।

इससे कॉन्फिडेंस आया और सिविल जज की 12 सब्जेक्ट की परीक्षा में लर्निंग, राइटिंग पक्ष मजबूत होने से पहले ही प्रयास में मुझे सिविल जज बनने में सफलता मिल गई।मेरी मध्य प्रदेश में 93 वी रैंक है।

सिविल जज भाई ने दिया लर्निंग कैपेसिटी के साथ टाइम मैनेजमेंट का गुर, निमिषा बनीं सिविल जज
उत्कृष्ट विद्यालय के उप प्राचार्य डॉ आर आर धाकड़ की बेटी निमिषा धाकड़ ने बताया कि उसके भाई हर्षवर्धन जो सागर में सिविल जज पद पर पदस्थ है। उन्होंने तैयारी के टिप्स देते हुए कहा था कि अपनी लर्निंग कैपेसिटी बढ़ाना और टाइम मैनेजमेंट के साथ पुराने पेपर को हल करने की प्रैक्टिस जारी रखना। उनके यह टिप्स मुझे सिविल जज की परीक्षा में सफलता दे गया। पहले ही प्रयास में मुझे सफलता मिली है और प्रदेश में 59 वी रैंक हासिल हुई है।

मां कहती थी तुम भी न्यायाधीश बन कर न्याय करना, इसलिए लॉ करने के बाद मिली सफलता
टाइम कीपर राकेश वशिष्ठ के बेटे संकेत वशिष्ठ ने बताया कि शिवपुरी जिले से हर साल सिविल जज में लोगों के सलेक्शन अधिक होते हैं। मां कहती थी तुम भी सिविल जज बनकर न्याय करना। इसीलिए कटक से लॉ करने के उपरांत इंदौर तैयारी को गया पर लॉक डाउन लग जाने से वापस घर आना पड़ा।

इंटरनेट का सहारा लेकर मैंने कानून के बैरक्स पढ़े और जो कठिनाई थी वह इंटरनेट के जरिए ही विभिन्न नोट्स के माध्यम से हल की। नतीजा आपके सामने हैं, पहले अटेंप्ट में ही मुझे सफलता मिल गई। मध्य प्रदेश में मेरी 95 वी रैंक है।

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