मोदी कैबिनेट के दिग्गज मंत्री को राज्यसभा भेजेगी MP BJP … सरकार गंवा बैठी कांग्रेस ने इस बार फूंक कर रखा कदम, जानिए किनके नाम हुए तय

केंद्रीय चुनाव आयोग ने राज्यसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। मध्यप्रदेश से राज्यसभा की तीन सीटें जून में रिक्त हो रही हैं। चुनाव 15 जून के पहले कराए जाएंगे। कांग्रेस ने अपना एक उम्मीदवार तय कर लिया है। पार्टी एक बार फिर से विवेक तन्खा को राज्यसभा भेजकर ‘कश्मीरी पंडित’ कार्ड खेलेगी। दूसरी तरफ बीजेपी की ओर से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को मप्र से राज्यसभा में भेजा जा सकता है। एक सीट पर ओबीसी चेहरे को राज्यसभा की टिकट देकर 51% आबादी काे साधने की तैयारी है, लेकिन अभी यह तय नहीं है कि उम्मीदवार कौन होगा

मध्यप्रदेश से राज्यसभा सदस्य बने पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर, सम्पतिया उइके और कांग्रेस के विवेक कृष्ण तन्खा का कार्यकाल 29 जून 2022 को खत्म हो रहा है। एमजे अकबर और विवेक तन्खा 11 जून 2016 को राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। वहीं, सम्पतिया उइके का निर्वाचन 31 जुलाई, 2017 को हुआ था। वे केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे के निधन से खाली हुई सीट पर निर्वाचित हुई थीं। इन तीन सीटों पर 15 जून से पहले चुनाव होने हैं। मप्र में राज्यसभा की 11 सीटें हैं, इनमें से आठ पर बीजेपी का कब्जा है। तीन सीट पर कांग्रेस काबिज है। मप्र विधानसभा में सदस्यों की मौजूदा संख्या के हिसाब से बीजेपी को दो और कांग्रेस को एक सीट मिलेगी।

तन्खा की सोनिया से हो चुकी मुलाकात
पार्टी सूत्रों ने बताया कि राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने हाल ही में AICC अध्यक्ष से मिले थे, क्योंकि उच्च सदन में उनका कार्यकाल 29 जून को समाप्त होने वाला है। इस मसले पर भी सोनिया गांधी के साथ चर्चा हुई है। विवेक तन्खा को दूसरा कार्यकाल मिलना लगभग तय है क्योंकि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह दोनों इस पर सहमत हो गए हैं। पार्टी तन्खा को दोबारा राज्यसभा में भेजकर यह बताना चाहती है कि कांग्रेस ही कश्मीरी पंडितों की हितैषी है। बता दें कि तन्खा एकमात्र कश्मीरी पंडित राज्यसभा सांसद हैं।

कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का बिल राज्यसभा में पेश कर चुके हैं तन्खा
तन्खा ने 2 अप्रैल 2022 को राज्यसभा में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास का प्राइवेट बिल पेश किया है। इस विधेयक में कश्मीरी पंडितों के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक पुनर्वास, उनकी संपत्ति की सुरक्षा, उनकी सांस्कृतिक विरासत की बहाली, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने, उनके पुनर्वास और पुनर्वास पैकेज का प्रावधान और उससे जुड़े या उसके प्रासंगिक मामलों का प्रावधान है। बिल केंद्र सरकार को कश्मीरी पंडित समुदाय के 21 प्रतिनिधियों की एक सलाहकार समिति गठित करने का प्रस्ताव करता है।

पीयूष गोयल का नाम लगभग तय
भाजपा सूत्रों ने बताया कि एमजे अकबर के स्थान पर पार्टी अब केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल को पार्टी दोबारा राज्यसभा भेजेगी, यह तय है। क्योंकि वे मोदी सरकार में वाणिज्य मंत्री का कार्यभार संभाल रहे हैं। गोयल का कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है।

केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल राज्यसभा में सदन के नेता हैं। उन्हें पिछले साल जुलाई में थावरचंद गहलोत के कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त किए जाने के बाद यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी। क्योंकि इसके बाद गहलोत ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था। केंद्र सरकार में प्रमुख पोर्टफोलियो संभालने वाले पीयूष गोयल 2010 से राज्‍यसभा में सदस्‍य हैं।

भाजपा पर OBC वर्ग से किसी को राज्यसभा भेजने का दबाव
प्रदेश में सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27% किए जाने के बाद से भाजपा पर इस बड़े वोट बैंक को साधे रखने का दवाब बढ़ता जा रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि राज्यसभा में एक OBC वर्ग के उम्मीदवार को भेजकर भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव में इसे भुनाने की तैयारी कर रही है। हालांकि यह निर्णय केंद्रीय नेतृत्व काे लेना है। फिलहाल यह अभी तक फाइनल नहीं हुआ है।

राज्यसभा सीट की वजह से गिर गई थी सरकार
एमपी में 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद जब कांग्रेस की सरकार बनी तो वह 15 महीने बाद ही गिर गई थी। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह राज्यसभा चुनाव बना था। उस वक्त राज्यसभा की दो सीटें कांग्रेस के हिस्से में आ रही थीं। ज्योतिरादित्य सिंधिया एक सीट से राज्यसभा जाना चाहते थे। मगर कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह के आगे उन्हें भाव नहीं दिया। इसके बाद सिंधिया ने बगावत कर दी और सरकार गिरा दी। ऐसे में सहमी कांग्रेस फूंक-फूंककर कदम उठा रही है।

ये है सीटों का गणित
एमपी विधानसभा में सीटों की संख्या 230 है। इनमें कांग्रेस के 96 विधायक हैं। बीजेपी के 127 विधायक हैं। BSP के 2, सपा का 1 और निर्दलीय 4 विधायक हैं। राज्यसभा की तीन सीटों के लिए वोटिंग होगी। इनमें किसी भी दल को एक सीट को जीतने के लिए 58 वोट की जरूरत पड़ेगी। विधायकों की संख्या को देखते हुए बीजेपी के खाते में दो सीटें जाती दिख रही हैं। वहीं, कांग्रेस अगर निर्दलीय और दूसरे दलों की मदद भी लेती है तो एक सीट से ज्यादा नहीं जीत सकती है।

राज्यसभा के लिए कैसे होती है वोटिंग
एमपी में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए वोटिंग है। प्रदेश में विधायकों की संख्या 230 है। नियम के अनुसार जितने सीटों पर चुनाव होने हैं, उसमें एक जोड़ देते हैं। एक जोड़ने के बाद सीटों की संख्या चार हो जाएगी। चार से 230 को डिवाइड किया जाएगा। इसका नतीजा 57.5 आएगा। इसे राउंड फिगर में करने के लिए फिर से एक जोड़ा जाता है। इसके बाद बाद यह 58 होगा। यानीकि तीन सीट खाली हैं तो एक सीट को जीतने के लिए पार्टी को 58 वोटों की जरूरत पड़ेगी।

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