क्या टीपू सुल्तान ने हजारों हिन्दुओं को जबरन मुस्लिम बनाया?

क्या टीपू सुल्तान ने हजारों हिन्दुओं को जबरन मुस्लिम बनाया? इतिहासकारों ने बताया सच

Tipu Sultan: टीपू सुल्तान का नाम सुल्तान फतेह अली साहब वास्तव में अर्काट में टीपू मस्तान औलिया नाम के एक संत के नाम पर रखा गया था. टीपू की छवि को लेकर इतिहासकारों में अलग-अलग मत रहे हैं. बार-बार चर्चा उठती है कि टीपू ने हजारों हिन्दुओं को जबरन मुस्लिम बनाया था. जानें, इतिहासकार ने क्या बताया.

क्या टीपू सुल्तान ने हजारों हिन्दुओं को जबरन मुस्लिम बनाया? इतिहासकारों ने बताया सच

इतिहासकारों का कहना है, टीपू ने केरल के मालाबार इलाके में हमले किए और वहां के हिन्दुओं के साथ क्रूरता की थी.

सुल्तान फतेह अली साहब टीपू को हम सामान्य तौर पर टीपू सुल्तान के नाम से जानते हैं. दक्षिण भारत के मैसूर (अब मैसुरु) राज्य के शासक टीपू सुल्तान का जन्म 20 नवंबर 1750 को हुआ था. कहीं-कहीं यह तारीख एक दिसंबर 1951 भी पाई जाती है. बेंगलुरु से 33 किमी उत्तर में देवनहल्ली में जन्मे टीपू सुल्तान की जयंती पर आइए इतिहासकारों के हवाले से जान लेते हैं कि क्या टीपू सुल्तान ने हजारों हिन्दुओं को जबरन मुसलमान बनाया था?

टीपू सुल्तान का नाम सुल्तान फतेह अली साहब वास्तव में अर्काट में टीपू मस्तान औलिया नाम के एक संत के नाम पर रखा गया था. टीपू के पिता हैदर अली मैसूर के सैन्य अधिकारी थे जो बाद में इस राज्य के शासक बने थे. उनके बाद टीपू ने मैसूर की सत्ता संभाली थी. कई इतिहासकार टीपू सुल्तान को बहादुर-देशभक्त शासक के रूप में याद करते हैं. टीपू को धार्मिक रूप से सहिष्णु भी बताया जाता है. बताया जाता है कि टीपू के शासनकाल में मैसूर में हिन्दू बहुतायत में थे और उन्होंने खुद अपने राज्य में श्रीरंगपट्टनम और मैसूर समेत कईजगहों पर मंदिर बनवाए थे और मंदिरों को जमीन भी दी थी.

महल के गेट के पास ही मंदिरटीपू की राजधानी रहे श्रीरंगपट्टनम में आज भी जगह-जगह टीपू के समय के महल, इमारतें और खंडहर पाए जाते हैं. इतिहासकार बताते हैं कि राजधानी श्रीरंगपट्टनम में एक बड़ा मंदिर टीपू के महल के प्रवेश द्वार से कुछ ही दूरी पर स्थित था. इसके बावजूद टीपू को कुछ इतिहासकार हिन्दू विरोधी मानते हैं. कर्नाटक के रहने वाले डॉक्टर चिदानंद मूर्ति ने टीपू सुल्तान पर कन्नड़ में एक किताब लिखी है, इस किताब में डॉ. चिदानंद कहते हैं कि टीपू एक चालाक शासक थे. उन्होंने अपने राज्य में हिन्दुओं पर अत्याचार नहीं किया. उनके मंदिरों को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाया. हालांकि, उन्होंने केरल के मालाबार इलाके पर हमले किए और वहां के हिन्दुओं पर क्रूरता की थी.

डॉ. चिदानंद की मानें तो टीपू एक क्रूर शासक थे और हजारों हिन्दुओं को जबरन मुसलमान बनाया था. डॉ. चिदानंज अपनी किताब में टीपू सुल्तान को क्रूर और पक्षपाती शासक बताते हैं.

नष्ट किए गए मंदिरों की सूची दीइतिहासकार रवि वर्मा ने टीपू सुल्तान के बारे एक लेख लिखा है. इसमें वह लिखते हैं कि केरल में टीपू के सैन्य अभियानों के कई प्रमाणित दस्तावेज मिलते हैं. इनसे स्पष्ट होता है कि मैसूर का सुल्तान पक्षपातपूर्ण मुस्लिम क्रूर शासक था. वह केरल में सैकड़ों हिन्दू मंदिरों को नष्ट करने के लिए जिम्मेदार था. यही नहीं, बड़ी संख्या में हिन्दुओं को जबरन मुस्लिम बनाने और उन पर अत्याचार करने के लिए भी जिम्मेदार था. रवि वर्मा ने ऐसे सैकड़ों मंदिरों की एक सूची भी दी थी, जिन्हें कथित रूप से टीपू सुल्तान ने नष्ट किया था.

ऐतिहासिक प्रमाण न मिलने का दावादूसरी ओर, टीपू सुल्तान के कार्यकाल का अध्ययन करने वाले एक और इतिहासकार प्रोफेसर बी शेख वास्तव में रवि वर्मा से इत्तेफाक नहीं रखते. उनका कहना है कि रवि वर्मा के दावों के लिए कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिलता है. उनका मानना है कि टीपू सुल्तान की क्रूर शासक की छवि वर्तमान राजनीति से प्रभावित है. वह कहते हैं कि मुसलमान आए तो अपना इतिहास लिखा. फिर अंग्रेज आए तो अपनी ही तरह से इतिहास लिखा. अब नई सत्ता अपनी तरह से इतिहास बदलना चाहती है.

मैसूर गजेटियर की यह है कहानीधर्म के आधार पर टीपू के बारे में एक और कहानी मीडिया में प्रचलित है. इसमें बताया गया है कि टीपू ने मैसूर की गद्दी पर बैठते ही अपने राज्य को मुस्लिम राज्य घोषित कर दिया था और बड़ी संख्या में धर्मांतरण कराया. जिन लोगों ने धर्म बदलने का विरोध किया, उनकी हत्या कर दी गई. मीडिया की रिपोर्ट्स की मानें तो द मैसूर गजेटियर में लिखा है कि टीपू सुल्तान ने एक हजार मंदिरों को तोड़ा था. यही नहीं, 22 मार्च 1727 को टीपू के लिखे एक पत्र में धर्मांतरण किए गए लोगों की संख्या भी लिखी थी.

दक्षिण भारत में अंग्रेजों को रोकाटीपू सुल्तान के बारे में दूसरी कहानी यह मिलती है कि वह एक बहादुर योद्धा और योग्य शासक था. विद्वान और कवि टीपू सुल्तान राम के नाम की अंगूठी पहनता था. यह अंगूठी युद्ध में टीपू की मौत के बाद एक अंग्रेज ने उतार ली थी, जिसे ब्रिटेन के एक नीलामी घर ने नीलाम भी किया था. अंग्रेजों ने जब भारत पर कब्जा करना शुरू किया था, तब दक्षिण भारत में टीपू सुल्तान ने ही उन्हें रोका था. टीपू की वीरता से अंग्रेज भी चकित थे. यहां तक कि टीपू के साहस की प्रतीक उसकी तलवार भी अपने साथ ले गए थे.

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