एक लाख की आबादी पर 60 की जगह दौड़ रही 45 बसें … कैसे दुरुस्त होगी हालत
दिल्ली: एक लाख की आबादी पर 60 की जगह दौड़ रही 45 बसें, निजी वाहन बढ़े; कैसे दुरुस्त होगी हालत
सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था सिर्फ दिल्ली में ही नहीं बल्कि एनसीआर में भी दुरुस्त करना होगा। गाजियाबाद, नोएडा समेत अन्य एनसीआर के शहरों में भी लाेग अपने निजी वाहनों से आवाजाही करते हैं।
राष्ट्रीय राजधानी की परिवहन व्यवस्था लोगों की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहा है। इस कारण सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में सड़कों से वाहनों को कम करने के लिए सार्वजनिक व्यवस्था को मजबूती देने के साथ ही लास्ट माइल कनेक्टिविटी की कमी काे दूर करना होगा। जब तक इस ओर विशेष तौर पर ध्यान नहीं दिया जाएगा तब तब निजी वाहनों की संख्या में कमी नहीं आने वाली।
जानकारों का कहना है कि सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था सिर्फ दिल्ली में ही नहीं बल्कि एनसीआर में भी दुरुस्त करना होगा। गाजियाबाद, नोएडा समेत अन्य एनसीआर के शहरों में भी लाेग अपने निजी वाहनों से आवाजाही करते हैं। निजी वाहनों में यह सुविधा है कि लोग अपने घर से सीधा कार्यालय बिना किसी झंझट के पहुंच जाते हैं। सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को भी ठीक इसी तरह से करना होगा।
दिल्ली में मेट्रो की बात करें तो अभी यह आधी आबादी से दूर है। लोग मेट्रो तक पहुंचने के लिए ई-रिक्शा का सहारा लेते हैं। वहीं बसों की बात करें तो बसों की संख्या काफी कम है। सड़कों पर लगने वाले जाम के कारण भी लोग बसों में यात्रा करने से बचते हैं।
मोहल्ला बस सेवा अभी तक नहीं हो सकी शुरू
दिल्ली में लास्ट माइल कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए दिल्ली सरकार ने करीब दो हजार मोहल्ला बस शुरू करने की योजना बनाई है। इसके तहत पांच से छह रूटों पर मोहल्ला बसें चलाई जा रही हैं। सरकार का दावा था कि बसें इसी साल से चलाई जाएंगी, लेकिन अभी तक यह शुरू नहीं हो सकी है। इस योजना का उद्देश्य यह है कि जिन क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन सेवा मौजूद नहीं है वहां पर इन बसों का संचालन किया जाए।
बसों की संख्या काफी कम
मौजूदा समय में दिल्ली में प्रति लाख जनसंख्या पर लगभग 45 बसें संचालित होती हैं, जो आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के प्रति लाख जनसंख्या पर 60 बसों के मानक से कम है। राजधानी में फिलहाल डीटीसी की 4,536 बसें चल रही हैं। इसमें से 2966 सीएनजी बसें और 1,570 इलेक्ट्रिक बसें हैं। वहीं दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी-माडल ट्रांजिट सिस्टम (डिम्ट्स) की ओर से 3,147 बसें संचालित की जा रही हैं। इसमें 2,747 सीएनजी और 400 इलेक्ट्रिक बसें हैं। दोनों को मिला लें तो बसों के बेड़े में इस समय 7,683 बसें हैं। दिल्ली सरकार का दावा है कि 2025 तक बसों की संख्या दस हजार की जाएगी। इसमें 80 फीसदी इलेक्ट्रिक बसें होंगी।
दिल्ली में वाहनों का पंजीकरण
राजधानी में वित्तीय वर्ष 2021-22 की तुलना में वाहनों की संख्या में वर्ष 2022-23 में 0.34 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। 31 मार्च 2023 तक दिल्ली में कुल वाहनों की संख्या 79.45 लाख थी। दिल्ली सरकार ने 10 वर्ष के डीजल और 15 वर्ष पेट्रोल वाहनों को प्रतिबंधित कर दिया है। इस वजह से दिल्ली में वर्ष 2022-23 तक 62,59,214 वाहनों का पंजीकरण रद्द कर दिया है। वहीं वर्ष 2022-23 के दौरान प्रति 1000 की आबादी पर वाहनों की संख्या 473 रही जबकि वर्ष 2021-22 में यह आंकड़ा 472 था।