साइबर ठगी का हर पांचवां मामला यूपीआई से जुड़ा ?
साइबर ठगी का हर पांचवां मामला यूपीआई से जुड़ा, बचाव के लिए इन बातों का रखें ख्याल
नामी संस्थाओं की ओर से यूपीआई पेमेंट की रिक्वेस्ट डालकर रकम निकलवाने से लेकर यूपीआई ऑटो-पे रिक्वेस्ट जैसे तरीकों से लोगों के खातों में सेंध लगाई जा रही है।
- इंटरनेट मीडिया के विभिन्न मंचों पर चारा डालते हैं डिजिटल ठग।
- नौकरी प्रस्ताव और आसान लोन के नाम पर भी फंस रहे हैं लोग।
- निवेश पर मोटे मुनाफे का लालच देकर हो रही सर्वाधिक ठगी।
भोपाल। साइबर ठगों ने इंटरनेट मीडिया का दुरुपयोग कर जालसाजी का ऐसा ताना-बाना बुना है कि बैंकिंग, डिजिटल पेमेंट कंपनियां और पुलिस एजेंसियां उलझ कर रह गई हैं। साइबर क्राइम सेल में दर्ज अपराधों के विश्लेषण से सामने आया है कि ठगी का हर पांचवा मामला यूपीआई से जुड़ा है। यानी ऑनलाइन पेमेंट एप से ठगों के खातों में रकम पहुंची है। इस धोखाधड़ी का सबसे अधिक झांसा निवेश पर मोटे मुनाफे के नाम पर दिया गया है।
बढ़ रहा यूपीआई का चलन
कैशलेस अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ रही दुनिया में डिजिटल पेमेंट अथवा यूपीआई बड़ा जरिया है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के आंकड़े बताते हैं कि एक नवंबर से 21 नवंबर तक 15 लाख 32 हजार 344 करोड़ रुपये का भुगतान यूपीआई के जरिये हुआ है। लेन-देन के इस बेहद लोकप्रिय तरीके को साइबर अपराधियों ने ठगी के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इसमें हर रोज कोई नया तरीका निकालकर लोगों को लूटा जा रहा है।
ऐसे करते हैं ठगी
नामी संस्थाओं की ओर से यूपीआई पेमेंट की रिक्वेस्ट डालकर रकम निकलवाने से लेकर यूपीआई ऑटो-पे रिक्वेस्ट जैसे तरीकों से लोगों के खातों में सेंध लगाई जा रही है। इसमें ऑटो पे रिक्वेस्ट सबसे खतरनाक है। इसमें फोन, बिजली, बीमा अथवा फाइनेंस कंपनी के नाम पर ऑटो पे रिक्वेस्ट भेजी जाती है।
ठग उस संस्थान का प्रतिनिधि बनकर फोन करके वह रिक्वेस्ट स्वीकार करने को कहता है। वह बताता है कि ऐसा करने से आपको बार-बार भुगतान की तिथि याद करने की जरूरत नही पड़ेगी। आपके खाते से प्रीमियम की रकम अपने आप कट जाएगी और आप विलंब शुल्क से बच जाएंगे। लेकिन इसको स्वीकार करते ही आपके खाते की रकम ठग के खाते में ट्रांसफर हो जाती है।
ये ठग इसी तरह शेयर बाजार में निवेश, आसान लोन और सस्ती दरों पर खरीद-फरोख्त जैसे लुभावने प्रस्ताव देते हुए लिंक भेजकर खाते खाली कर रहे हैं। भोपाल साइबर क्राइम सेल में इस वर्ष 42 प्रकार की कुल पांच हजार 463 शिकायतें पहुंची हैं। इनमें से 80 प्रतिशत मामले सिर्फ साइबर ठगी से जुड़े हैं। इसमें भी हर पांचवां मामला यूपीआई से संबंधित है। यानि ठगी के लिए डिजिटल भुगतान के किसी न किसी एप का उपयोग किया गया है।
इन दस तरीकों से ठगी के सर्वाधिक मामले
इंटरनेट मीडिया उत्पीड़न | 1186 | 21 प्रतिशत |
यूपीआई | 1067 | 19.5 प्रतिशत |
डेबिट/क्रेडिट कार्ड | 572 | 10.47 प्रतिशत |
ऑनलाइन खरीदफरोख्त | 361 | 6.6 प्रतिशत |
टास्क | 287 | 5.5 प्रतिशत |
लोन एप | 242 | 4.43 प्रतिशत |
निवेश प्रस्ताव | 238 | 4.37 प्रतिशत |
नौकरी प्रस्ताव | 175 | 3.20 प्रतिशत |
ऑनलाइन लिंक | 138 | 2.53 प्रतिशत |
मिरर एप | 104 | 1.90 प्रतिशत |
बचाव के लिए यह करें
- साइबर एक्सपर्ट प्रथमेश कापड़े के मुताबिक यूपीआई से ठगी केवल उपभोक्ताओं में जागरूकता की कमी के चलते होती है।
- इससे बचने के लिए यूपीआई पर भेजी गई ऐसी किसी भी रिक्वेस्ट को स्वीकार न करें।
- बिल पेमेंट के लिए ऑटो-पे की सुविधा शुरू करना है तो उसके लिए यूपीआई एप्स में अलग से व्यवस्था दी गई है।
- कंपनियों के प्रतिनिधि कभी भी फोन कर इस सुविधा को शुरू करने का दबाव नहीं बनाते हैं।
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डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्राड होने पर सर्वप्रथम हेल्पलाइन टोल-फ्री नंबर 1930 पर करें डायल