जिस RTI ने केजरीवाल को CM बनाया, वो वेंटिलेटर पर ?

जिस RTI ने केजरीवाल को CM बनाया, वो वेंटिलेटर पर
पंजाब में स्टाफ आधा किया, जवाब की जगह फाइन दे रही AAP सरकार

अरविंद केजरीवाल कभी RTI एक्टिविस्ट थे, उसी से मशहूर हुए, 2006 में रमन मैग्सेसे पुरस्कार जीता, फिर आम आदमी पार्टी बनाई और दिल्ली के CM बने। अब दिल्ली के साथ पंजाब में भी उनकी पार्टी की सरकार है। RTI एक्टिविस्ट आरोप लगा रहे हैं कि पंजाब सरकार इस कानून को खत्म कर रही है। इन्फॉर्मेशन डिपार्टमेंट का स्टाफ भी आधा कर दिया।

दिल्ली में भी आम आदमी पार्टी की सरकार है, लेकिन वहां सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमीशन काम करता है। इसलिए RTI एक्ट का पालन कराना AAP सरकार की जिम्मेदारी नहीं है।

एक्टिविस्ट्स को पंजाब की AAP सरकार से तीन शिकायतें हैं…

  • सरकार RTI के तहत मांगी गई जानकारी नहीं मिलती।
  • जवाब मिलता भी है, तो वे टालने वाले होते हैं।
  • जिस जानकारी से सरकार पर सवाल उठे, उन पर जवाब की बजाय फाइन दे दिया जाता है।

इस मसले पर दैनिक भास्कर ने पंजाब के दो एक्टिविस्ट हरमिलाप ग्रेवाल और मानिक गोयल से बात की। उनसे पूछा कि राज्य में RTI का सिस्टम कैसे काम कर रहा है।….

फोटो 2011 की है, जब अरविंद केजरीवाल एक्टिविस्ट के तौर पर मशहूर थे। उन्होंने जन लोकपाल विधेयक के लिए आंदोलन किया था। सरकार ने बिल का मसौदा पेश किया तो केजरीवाल ने जोकपाल बताकर उसकी प्रतियां जलाई थीं।
फोटो 2011 की है, जब अरविंद केजरीवाल एक्टिविस्ट के तौर पर मशहूर थे। उन्होंने जन लोकपाल विधेयक के लिए आंदोलन किया था। सरकार ने बिल का मसौदा पेश किया तो केजरीवाल ने जोकपाल बताकर उसकी प्रतियां जलाई थीं।

सरकार के विज्ञापन का खर्च पूछा, फाइन का चेक मिला, जवाब नहीं

पंजाब के चर्चित RTI एक्टिविस्ट हरमिलाप ग्रेवाल कहते हैं कि इन्फॉर्मेशन डिपार्टमेंट में सूचना छिपाने और सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करने वाले लोगों को भटकाने के कई उदाहरण हैं।

वे अपना एक अनुभव बताते हैं, ‘2022 में नई सरकार बनी थी। हर तरफ बड़े-बड़े होर्डिंग और अखबारों में फुल पेज विज्ञापन आ रहे थे। हमने सोचा कि इन विज्ञापनों का हिसाब पूछना चाहिए। मई में हमने डायरेक्टोरेट ऑफ इन्फॉर्मेशन एंड पब्लिक रिलेशन डिपार्टमेंट (DIPR) से सरकार के ऐडवर्टाइजमेंट के खर्च के बारे में पूछा।’

‘नियम के मुताबिक 30 दिन में जवाब आ जाना चाहिए था, लेकिन नहीं आया। मेरी टीम ने अपील डाली। कुछ हाथ नहीं लगा। फिर दूसरी अपील डाली। सुनवाई की डेट कई महीनों बाद आई। इन्फॉर्मेशन कमिश्नर ने DIPR पर फाइन लगा दिया। फाइन के 10 हजार रुपए का चेक कुछ दिन में मिल भी गया। विभाग ने फाइन का अमाउंट तो दे दिया, लेकिन जवाब आज तक नहीं दिया।’

गड़बड़ियां उजागर कीं, तो विभाग ने जवाब देने बंद किए

पंजाब में RTI की स्थिति पर एक्टिविस्ट मानिक गोयल एक लेटर दिखाते हुए कहते हैं, ‘7 नवंबर को मेरे साथी एक्टिविस्ट ने एक RTI एप्लिकेशन पोस्ट की। उसे मंजूर ही नहीं किया गया। रिफ्यूज्ड के कॉलम में टिक करके वापस भेज दिया। हमने सरकार के भीतर चल रही बड़ी गड़बडियों को RTI के जरिए एक्सपोज किया, तो विभाग ने हमारे जवाब देने ही बंद कर दिए।’

RTI के जवाब से कई बार घिरी सरकार

मानिक गोयल और हरमिलाप ग्रेवाल के मुताबिक, आम आदमी पार्टी की सरकार नई-नई बनी थी, तब जवाब मिल रहे थे। जवाबों के बाद जो खुलासे हुए, उससे सरकार असहज हो गई और RTI लगाने वालों पर सख्ती करने लगी।

पहली बार: सरकारी खजाने की फिजूलखर्ची पर

मानिक गोयल और हरमिलाप ग्रेवाल वे मामले बताते हैं, जब RTI के जवाब से सरकार परेशानी में घिर गई। वे बताते हैं, ‘11 मार्च, 2022 को पंजाब में विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आया था। 16 मार्च को भगवंत मान ने पंजाब के CM पद की शपथ ली। 12 मार्च को जीत का जश्न मना। ये सेलिब्रेशन अमृतसर में हुआ था।’

‘12 मार्च को पूरे राज्य की सरकारी बसों को जश्न में हिस्सा लेने वाले पंजाब और पूरे देश से आए पार्टी कार्यकर्ताओं की सेवा में लगा दिया गया। मतलब उस दिन सरकारी बसें आम लोगों के लिए थीं ही नहीं। एक दिन में करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए।’

RTI एक्टिविस्ट हरमिलाप ग्रेवाल कहते हैं, ‘RTI के तहत मिले जवाब बहुत हास्यास्पद थे। सबसे मजेदार जवाब CM हाउस से मिला। कहा गया कि सरकारी बसों से पोलिंग एजेंट को ले जाया जा रहा था।’

‘अब बताइए वोटिंग के बाद ही तो जीत हुई थी, तो फिर पोलिंग एजेंट कहां जा रहे थे। दूसरा मजेदार जवाब था कि बस से बरनाला के विधायक को मत्था टेकने ले जाया जा रहा था। पहली बात तो सरकारी बस से मत्था टेकने क्यों भेजा गया। उससे भी ज्यादा एक विधायक के साथ 30 बसें क्या कर रहीं थीं। ये जवाब सामने आए तो लोग सवाल करने लगे। विपक्ष ने भी सरकार को घेरा।’

RTI एक्टिविस्ट ने इस पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। खूब हंगामा हुआ। ये पहली बार था जब पंजाब की आम आदमी पार्टी को सूचना के अधिकार से दिक्कत हुई।

दूसरी बार: जब पंजाब के प्लेन से गुजरात गए केजरीवाल

दिसंबर, 2022 में गुजरात में विधानसभा चुनाव हुए थे। इस इलेक्शन में पंजाब के मुख्यमंत्री का जेट इस्तेमाल किया गया। भगवंत मान के साथ अरविंद केजरीवाल गुजरात गए थे। उस वक्त मुख्यमंत्री भगवंत मान की एक फोटो वायरल हुई थी, जिसमें वे चरखा चलाते दिख रहे थे। ये गुजरात की ही थी।

फोटो 2022 की है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान 1 से 3 अप्रैल तक गुजरात दौरे पर थे। तब अरविंद केजरीवाल भी उनके साथ थे। दोनों ने गुजरात चुनाव के लिए पार्टी कैंपेन की शुरुआत की थी।
फोटो 2022 की है। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान 1 से 3 अप्रैल तक गुजरात दौरे पर थे। तब अरविंद केजरीवाल भी उनके साथ थे। दोनों ने गुजरात चुनाव के लिए पार्टी कैंपेन की शुरुआत की थी।

RTI एक्टिविस्ट बताते हैं कि भगवंत मान तो सिर्फ मौजूद रहने के लिए गए थे। पंजाब सरकार का जेट दिल्ली के CM के नाम पर भेजते तो ज्यादा सवाल उठते। गुजरात चुनाव में आम आदमी पार्टी बहुत एक्टिव थी। पंजाब सरकार का पैसा पार्टी ने गुजरात चुनाव में खर्च किया।

हमने पूछा कि पंजाब के जेट को गुजरात ले जाने में कितना खर्च हुआ? जवाब मिला, 45 लाख रुपए। हमने इसे एक्सपोज कर दिया। फिर हंगामा मचा। दूसरी बार आम आदमी पार्टी को झटका लगा।

मानिक कहते हैं कि ऐसी और भी एप्लिकेशन के जवाब सामने आए। ये दोनों बहुत बड़े एक्सपोजर थे। इससे आम आदमी पार्टी ने सबक लिया और सूचना न देनी पड़े, इसके लिए रास्ते निकाले।

मानिक गोयल ने बताया- किन RTI पर जवाब नहीं मिला

1. 2022 जून में मोहल्ला क्लिनिक का डेटा मांगा, लेकिन जवाब नहीं मिला। इसमें 2 तरह का डेटा मांगा गया था, पहला दवाइयों का और टेस्ट कहां से करवाए जाते हैं।

2. पंजाब में बहुत हथियार पकड़े जाते हैं। ये पंजाब में आम खबर होती है। DGP इनकी फोटो भी डालते हैं कि पुलिस ने ये हथियार पकड़े हैं। एक रिपोर्ट आई थी कि इन हथियारों की नीलामी होती है।

हमने 25 अप्रैल, 2022 को RTI डाली कि हथियारों की नीलामी कब-कब हुई। कितने हथियार रिकवर किए गए। जवाब मिला कि आप अलग-अलग जिलों से ये जानकारी लीजिए। यानी हम 23 जिलों में RTI डालें और उनसे जवाब लें।

मानिक पूछते हैं कि क्या ये जवाब गले उतरने वाला है। इतना सेंसिटिव डेटा है, इसका कोई सेंट्रल डेटा बेस नहीं होगा क्या। क्या ये पॉसिबल है। बस इसलिए RTI को उलझाया गया, ताकि उन्हें जवाब न देना पड़े। 23 जिलों से अलग-अलग इन्फॉर्मेशन मिलना पॉसिबल नहीं है। एक जगह RTI डालने पर हमें कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं, फिर ये तो 23 जिले हैं। हम कई साल जवाब ही ढूंढते रहेंगे।

हमने फर्स्ट अपील की। तब DGP ऑफिस से जवाब मिला कि जो जानकारी पहले मिली, वो ठीक है।

3. अभी अगस्त में सरकार ने रेडक्रॉस की बठिंडा यूनिट को 11 करोड़ की जमीन कौड़ियों के भाव दे दी। सरकारी जमीन को ऐसे नहीं दिया जा सकता। हमने RTI डाली थी, लेकिन 3 महीने बाद भी जवाब नहीं मिला। एक महीने पहले हमने फर्स्ट अपील की है। उसका जवाब अब तक तो नहीं आया।

4. हमने सरकारी कॉलोनियों को लेकर 23 मई, 2022 को RTI डाली। 3 महीने इंतजार किया, लेकिन जवाब नहीं मिला। 2 अगस्त, 2022 को अपील डाली। आखिरकार कोर्ट ने 20 हजार का फाइन लगा दिया। संबंधित विभाग ने जवाब फिर भी नहीं दिया।

5. राघव चड्ढा और दूसरे मंत्रियों के बंगलों का रेनोवेशन हुआ था। हमने 19 जुलाई 2022 को RTI डाली कि इस काम में कितना पैसा लगा। दो साल हो गए, जवाब नहीं मिला है।

मिलावट के मामलों पर जानकारी मांगी, जवाब आया- जिलों से मांगिए

हरमिलाप ग्रेवाल कहते हैं कि मिलावट के मामलों पर हमने फूड एंड ड्रग डिपार्टमेंट से डेटा मांगा था। पूछा कि 2014 से 2024 तक विभाग कितने केस कोर्ट में लेकर गया। कितनों को सजा दिलवाई। खाने के सामान में मिलावट के मामलों पर रोज खबरें आती हैं। हमने RTI डाली, तो जवाब मिला कि ये डेटा आपको जिलों से मिलेगा। अब सोचिए कि इस विभाग के हेड ऑफिस में पूरे राज्य का डेटा ही नहीं है।

दरअसल ये जवाब इसलिए दिया गया कि 23 जिलों में RTI डालने की बात सुनकर एक्टिविस्ट का हौसला टूट जाएगा। हमने जिलों में भी RTI डालनी शुरू की हैं। अब तक 8 जिलों से जवाब मिला है। इनमें जालंधर में 10 साल में सिर्फ 10 लोगों को सजा मिली। अमृतसर में 10 साल में 2 और मानसा जिले में सिर्फ एक को सजा मिली।

एक साल पहले अफसर का ट्रांसफर, पोर्टल पर अपडेट नहीं

हरमिलाप ग्रेवाल बताते हैं, ‘मैंने कृषि विभाग में एक RTI डाली थी, लेकिन जवाब नहीं आया। मैंने पोर्टल में पब्लिक इन्फॉर्मेशन ऑफिसर का नंबर लेकर फोन किया। मैंने कहा कि 3 महीने हो गए, मुझे जवाब नहीं मिला। आपका जवाब देने का इरादा है, तो मैं फर्स्ट अपील नहीं डालूंगा। उसने पूछा आपने RTI कहां डाली है। मैंने बताया बठिंडा में। उसने कहा, ‘अरे, वहां से तो एक साल पहले मेरा ट्रांसफर हो गया है।’

10 हजार एप्लिकेशन पेंडिंग, फिर भी स्टाफ आधा किया

हरमिलाप ग्रेवाल बताते हैं कि फरवरी, 2023 में सरकार ने RTI डिपार्टमेंट से जुड़े इन्फॉर्मेशन कमिश्नर की संख्या 10 से कम करके 5 कर दी। उस वक्त तक बैकलॉग 10 हजार के करीब पहुंच चुका था। अभी पंजाब इन्फॉर्मेशन कमीशन में एक चीफ इन्फॉर्मेशन ऑफिसर और उसके नीचे 3 स्टेट ऑफिसर हैं। कटौती के बाद भी स्टेट ऑफिसर की संख्या 5 होनी चाहिए थी।

हरमिलाप ग्रेवाल कहते हैं कि सरकार की मंशा तो उस वक्त ही साफ हो गई थी, जब स्टेट इन्फॉर्मेशन कमिश्नर की तय संख्या को घटाकर आधा कर दिया था।

एक-एक करके स्टाफ रिटायर, महीनों तक चीफ कमिश्नर के हवाले कमीशन

इन्फॉर्मेशन कमीशन की स्ट्रेंथ पर एक्टिविस्ट निखिल थम्मन ने PIL डाली। इस पर हरियाणा-पंजाब हाईकोर्ट ने अपॉइंटमेंट के लिए सरकार को आदेश दिया। ये आदेश 18 जुलाई, 2024 को आया। मार्च 2022 में सरकार बनने के बाद से लेकर जुलाई 2024 तक कमीशन में एक भी अपॉइंटमेंट नहीं हुआ। पिटिशनर ने डेटा देते हुए कहा था कि आखिरी अपॉइंटमेंट जुलाई, 2021 में हुआ था।

सितंबर, 2021 तक कमीशन ने फुल स्ट्रेंथ में काम किया। 10 स्टेट इन्फॉर्मेशन कमिश्नर और एक चीफ था। इस बीच एक-एक करके सारे स्टेट इन्फॉर्मेशन कमिश्नर रिटायर होते रहे। 9 जुलाई, 2024 को आखिरी स्टेट इन्फॉर्मेशन कमिश्नर असित जौली रिटायर हो गए।

एक समय ऐसा भी आया जब कमीशन में सिर्फ चीफ कमिश्नर बचे। करीब 4 महीने तक ऐसा रहा। कोर्ट के आदेश के बाद अगस्त में 3 कमिश्नर नियुक्त किए गए, लेकिन अब भी दो कमिश्नर कम हैं।

हमने इस मामले में चीफ इन्फॉर्मेशन कमिश्नर इंदरपाल धनोआ से बात करने की कोशिश की। हम 25 अक्टूबर को चंडीगढ़ में उनके दफ्तर गए, लेकिन मुलाकात नहीं हो पाई। उन्हें कई बार कॉल किया, मैसेज भेजे, लेकिन उनकी तरफ से जवाब नहीं आया। जवाब आते ही स्टोरी में अपडेट किया जाएगा।

पाटी के नेशनल स्पोक्सपर्सन बोले- मुझे कुछ नहीं पता

पंजाब के पब्लिक रिलेशन मिनिस्टर हरजोत सिंह बैंस से बात करने के लिए हमने कई कॉल किए, वॉट्सएप पर सवाल भेजे, लेकिन जवाब नहीं मिला। स्पोक्सपर्सन अमनशेर सिंह की तरफ से भी जवाब नहीं आया।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है। हमने यहां भी RTI कमीशन की स्थिति देखी। पता चला कि यहां अलग से कमीशन नहीं है। सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमीशन ही काम करता है। पंजाब में सूचना के अधिकार कानून पर हमने आम आदमी पार्टी के नेशनल स्पोक्सपर्सन कुलदीप कुमार से बात की। उन्होंने जवाब दिया कि ये मामला पंजाब का है। आप वहीं बात करें। मुझे इस बारे में कुछ नहीं पता है।

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