ऑस्ट्रेलिया ने बच्चों के सोशल मीडिया पर क्यों लगाया बैन; क्या भारत में भी ऐसा होगा ?

ऑस्ट्रेलिया ने बच्चों के सोशल मीडिया पर क्यों लगाया बैन; क्या भारत में भी ऐसा होगा, वो सब कुछ जो जानना जरूरी

उत्तर प्रदेश के बलिया में 8 साल के दो लड़कों ने 7 साल की बच्ची से रेप किया। एक्सपर्ट्स का कहना था कि सोशल मीडिया की वजह से उनकी ऐसी सोच बनी होगी। भारत में ऐसी खबरें आए दिन आती हैं, जिसमें मासूम सोशल मीडिया से इंफ्लुएंस होकर अपना ही नुकसान कर बैठते हैं।

भारत में इस पर अभी तक कुछ नहीं हुआ, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने एक बड़ा एग्जांपल सेट किया है। वहां 16 साल से कम उम्र के बच्चे सोशल मीडिया नहीं चला सकेंगे।

ऑस्ट्रेलिया ने क्यों लगाया बैन, क्या भारत में भी ऐसा कुछ होगा; इसी टॉपिक पर है आज का एक्सप्लेनर…

सवाल 1: ऑस्ट्रेलिया में पास हुआ ‘द सोशल मीडिया मिनिमम एज बिल’ क्या है?

जवाबः 29 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अलबनीज ने एक घोषणा करते हुए कहा-

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16 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया के इस्तेमाल करने पर रोक लगेगी। इसके लिए हमने एक कानून पारित किया है। ऑस्ट्रेलिया, बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखने के लिए कानून बनाने वाला पहला देश बन गया है।

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28 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया की संसद ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए ‘द सोशल मीडिया मिनमम एज बिल’ नाम का लैंडमार्क कानून पास किया है।

सवाल 2: ऑस्ट्रेलिया में बच्चों के सोशल मीडिया पर बैन लगाने की जरूरत क्यों पड़ी?

जवाबः ऑस्ट्रेलिया में बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर बैन लगाने की चर्चा ऑस्ट्रेलियाई सांख्यिकी ब्यूरो (ABS) की रिपोर्ट के बाद शुरू हुई। ABS ने जून 2023 में एक रिपोर्ट जारी की। इसके मुताबिक देश में युवा अपराध में 6% की बढ़ोतरी हुई। इसका मतलब है कि पुलिस ने 10 से 17 साल की उम्र के 48,000 से ज्यादा बच्चों के खिलाफ कार्रवाई कई। 2022 में यह आंकड़ा 45,000 था।

रिपोर्ट के मुताबिक, ‘ऑस्ट्रेलिया के युवाओं पर सोशल मीडिया का बुरा प्रभाव पड़ा। 48,000 में से ज्यादातर बच्चों ने सोशल मीडिया के जरिए अपराध करना सीखा। साथ ही ऑस्ट्रेलियाई बच्चे सोशल मीडिया से धोखाधड़ी, पोर्नोग्राफी और झगड़ों की ओर तेजी से बढ़ रहे थे।’

रिपोर्ट आने के बाद ऑस्ट्रेलियाई PM अलबनीज ने सोशल मीडिया पर एक्शन लेने की तैयारी शुरू कर दी। इसी के तहत ऑस्ट्रेलियाई संसद में द सोशल मीडिया मिनिमम एज बिल एक्ट पारित हुआ। 77% ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों ने इसका समर्थन किया।

5 नवंबर संसद में बोलते हुए अलबनीज ने सोशल मीडिया को टेंशन बढ़ाने वाला, ठगों और ऑनलाइन अपराधियों का हथियार बताया था। वह चाहते हैं कि आस्ट्रेलियाई युवा फोन छोड़कर फुटबॉल, क्रिकेट और टेनिस खेलें।

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अलबनीज।
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अलबनीज।

सवाल 3: इस कानून को कैसे लागू किया जाएगा, क्या चुनौतियां हैं?

जवाबः इस कानून को लागू करने के लिए ऑस्ट्रेलियाई सरकार जनवरी 2025 से मार्च 2025 के बीच एक ट्रायल करेगी। इस ट्रायल में 1200 ऑस्ट्रेलियाई लोगों को चुना जाएगा। इसमें उम्र की वैरिफिकेशन के 3 तरीकों पर रिसर्च की जाएगी…

1. बायोमैट्रिक वैरिफिकेशन इस टेक्नोलॉजी में चेहरे को देखकर उम्र का अंदाजा लगाया जाएगा। बच्चों को सोशल मीडिया पर अकाउंट बनाने के लिए एक वीडियो सेल्फी अपलोड करनी होगी। वैरिफिकेशन के बाद वीडियो सेल्फी को डेटा से डिलीट कर दिया जाएगा।

2. डॉक्यूमेंट वैरिफिकेशन इसमें बच्चों के डॉक्यूमेंट्स को वैरिफाई करके देखा जाएगा। पासपोर्ट, बर्थ सर्टिफिकेट जैसे सरकारी डॉक्यूमेंट्स के आधार पर सही उम्र का पता लगाया जाएगा। हालांकि, इसमें सरकार की ओर से निर्देश दिए गए कि इस तरीके का इस्तेमाल करने से बचा जाए, क्योंकि इससे पर्सनल इन्फॉर्मेशन लीक होने का खतरा बढ़ जाएगा।

3. सोशल मीडिया एक्टिविटी इसमें पहले से इस्तेमाल हो रहे सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच की जाएगी। सोशल मीडिया एक्टिविटी को ध्यान में रखकर सही उम्र का अंदाजा लगाया जाएगा।

ट्रायल में इन तीनों तरीकों को इस्तेमाल किया जाएगा। फिर इन्हीं में से किसी एक तरीके को लागू किया जाएगा। इसके तहत सिर्फ फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिकटॉक और स्नेपचैट पर बैन लगाया जाएगा। यूट्यूब और व्हाट्सएप पर बैन नहीं लगेगा। क्योंकि ये दोनों एजुकेशनल प्लेटफॉर्म्स भी हैं।

सवाल 4: इस कानून का विरोध कौन कर रहे हैं और क्यों?

जवाबः फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिकटॉक और एक्स जैसी सोशल मीडिया कंपनियां इस कानून का विरोध कर रही हैं। कंपनियों का कहना है कि इस कानून से उनके प्लेटफॉर्म्स पर यूजर्स घट जाएंगे। ऑस्ट्रेलियाई सरकार इस कानून के सहारे युवाओं से सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने का अधिकार छीन रही है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के मालिक इलॉन मस्क ने भी ट्वीट कर कहा, ‘ऑस्ट्रेलियाई सरकार जानबूझकर नागरिकों के इंटरनेट इस्तेमाल करने के अधिकारों को खत्म कर रही है।’

कुछ कंपनियों ने कहा कि यह कानून प्राइवेसी को खत्म कर सकता है। क्योंकि उम्र के वैरिफिकेशन के लिए डॉक्यूमेंट्स जमा करने होंगे। इससे बच्चों की पर्सनल डिटेल्स लीक हो सकती है। फेसबुक की ओनर कंपनी मेटा ने कानून का विरोध करते हुए एक बयान जारी किया। मेटा ने कहा, ‘इस कानून में वैरिफिकेशन के लिए प्रोसेस स्टेप जारी नहीं किया गया। इसे लागू करने की प्रोसेस भी जारी नहीं की गई है। इस कानून को लागू करने की वजह साफ नहीं की गई है।’

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनियों का कहना है कि इस कानून के लागू होने से उनके बिजनेस को नुकसान होगा, क्योंकि सोशल मीडिया के ज्यादातर यूजर्स युवा हैं। यह कानून बच्चों को सोशल मीडिया के फायदों से भी दूर कर देगा।

सवाल 5: भारत के बच्चे सोशल मीडिया का कितना इस्तेमाल करते हैं और उसके क्या इम्पैक्ट हैं?

जवाबः रिसर्च फर्म ‘रेडसियर’ के मुताबिक, इंडियन यूजर्स हर दिन औसतन 7.3 घंटे अपने स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं। इसमें से ज्यादातर समय वे सोशल मीडिया पर बिताते हैं। अमेरिकी यूजर्स का औसतन स्क्रीन टाइम 7.1 घंटे और चीनी यूजर्स का 5.3 घंटे है।

सितंबर 2023 के आंकड़ों के मुताबिक, शहरों में रहने वाले 46% बच्चे सोशल मीडिया, OTT और ऑनलाइन गेम्स का भी इस्तेमाल करते है। साथ ही इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, डिस्कॉर्ड, स्नैपचैट जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल भी दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है।

भारतीय बच्चों पर भी सोशल मीडिया का बुरा असर पड़ रहा है। देश में 18 साल से कम उम्र के बच्चों के बीच आपराधिक मामले भी तेजी से बढ़े हैं। इसका एक मामला 30 अक्टूबर 2024 को सामने आया। उत्तर प्रदेश के इटावा में दो दोस्तों की ट्रेन से कटकर मौत हो गई। यह दोनों दोस्त दिवाली के दिन रेलवे ट्रैक पर रील बनाने के लिए गए थे। हादसा इतना भयानक था कि दोनों के शरीर के टुकड़े हो गए।

जून 2024 में महाराष्ट्र के औरंगाबाद में एक लड़की कार समेत 300 फीट गहरी खाई में जा गिरी। वे कार के साथ रील बना रही थी। इस दौरान उससे गाड़ी में बैक गियर लग गया और वे खाई में जा गिरी। उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

ऐसे एक-दो नहीं, बल्कि हजारों केस हैं जिनमें सोशल मीडिया की वजह से बच्चों ने अपनी जान गवां दी। इसका एक उदाहरण ब्लू व्हेल चैलेंज भी है। इस चैलेंज की वजह से दुनियाभर में कई बच्चों ने आत्महत्या कर ली। इस चैलेंज में बच्चों को खुदकुशी करने के लिए उकसाया जाता था।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में 18 साल से कम उम्र के 1,70,924 बच्चों ने आत्महत्या की थी।

सवाल 6: क्या भारत में भी बच्चों के सोशल मीडिया पर प्रतिबंध की मांग हो रही है?

जवाबः रिसर्च ऑर्गनाईजेशन लोकलसर्कल ने 2024 में सोशल मीडिया यूजर्स का सर्वे किया। सर्वे के मुताबिक, 368 शहरों में 70 से ज्यादा पेरेंट्स से बात की गई। पेरेंट्स ने केंद्र सरकार से सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर कानून बनाने की मांग की। पेरेंट्स ने कहा-

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18 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया, OTT प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स से जुड़ने के लिए माता-पिता की इजाजत लेना अनिवार्य किया जाए। इसके लिए केंद्र सरकार कानून बनाए।

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एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भारत में हर घर में माता-पिता अपने बच्चों को फोन से दूर रहने की सलाह देते हैं। हालांकि, बच्चे सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने का चोर रास्ता ढूंढ ही लेते हैं। 2021 में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने एक सर्वे किया। सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, 10 से 14 साल की उम्र वाले 37% बच्चे तमाम पाबंदियों के बावजूद सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं।

सवाल 7: दुनिया के अन्य देश सोशल मीडिया को कैसे रेगुलेट कर रहे हैं, भारत में अब तक क्या कुछ हुआ है?

जवाबः भारत सरकार ने 17 अक्टूबर 2000 में सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर IT एक्ट बनाया था। इसे साइबर कानून भी कहा जाता है। इस एक्ट में 94 धाराएं हैं, जिसमें 13 अध्याय और 4 अनुसूचियां शामिल हैं। 2008 में IT एक्ट में संशोधन किया गया।

20 दिसंबर 2018 को गृह मंत्रालय ने 10 केंद्रीय एजेंसियों को कंप्यूटर में स्टोर डेटा को मॉनिटर करने का अधिकार दिया। इस एक्ट की धारा 69A के तहत ऑनलाइन कंटेंट और मोबाइल ऐप्स बैन किए जा सकते हैं। इसी कानून के तहत 2020 में टिकटॉक ऐप को बैन किया गया था।

29 जून 2020 को भारत में टिकटॉक बैन होने के बाद भारतीय युवा।
29 जून 2020 को भारत में टिकटॉक बैन होने के बाद भारतीय युवा।

भारत के अलावा कई देश सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर कानून बना चुके हैं…

  • अक्टूबर 2024 में नॉर्वे ने बच्चों को सोशल मीडिया के इस्तेमाल से रोकने के लिए एक कानून पारित किया था। इसके तहत 13 से 15 साल की उम्र के बच्चे सोशल मीडिया नहीं चला सकते।
  • 2023 में फ्रांस की सरकार ने 15 साल से कम उम्र के बच्चों पर सोशल मीडिया यूज करने पर रोक लगा दी थी। यहां 15 साल से कम उम्र के बच्चों को सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने के लिए पेरेंट्स की इजाजत लेना जरूरी है।
  • यूरोपीय यूनियन ने भी 13 साल से कम उम्र के बच्चों पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने पर प्रतिंबध लगाया हुआ है। यूनियन ने 27 सदस्यीय राज्यों में यह कानून लागू किया था।
  • जर्मनी में 13 से 16 साल के बच्चे सोशल मीडिया नहीं चला सकते। अगर किसी वजह से सोशल मीडिया चलाना पड़ जाए, तो पेरेंट्स की परमिशन लेना जरूरी है।
  • बेल्जियम में 13 साल और इटली में 14 साल से कम उम्र के बच्चों पर सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर पाबंदी है।

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