MP में एक हजार से अधिक Specialist Doctors की कमी ?
- डाक्टरों की कमी के बावजूद एमडी-एमएस सत्र में देरी
- एमडी-एमएस प्रवेश से पिछड़ रहे डॉक्टर अगले प्रभावित
- डाक्टरों के साथ ही आम जनता को भी हो रही परेशानी
भोपाल। प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमडी-एमएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश में कोरोना काल के बाद शुरू हुई देरी में सुधार की जगह स्थिति बिगड़ती जा रही है। इस सत्र यानी 2024-25 में तो नौ माह की देरी हो चुकी है।
कोरोना के पहले तक मई के पूर्व प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो जाती थी, इस वर्ष अभी यह तय नहीं है कि प्रवेश कब से शुरू होगा। सेवारत उम्मीदवारों की मेरिट सूची में गड़बड़ी के चलते हाई कोर्ट ने सोमवार को इसे रद भी कर दिया। अब नए सिरे से मेरिट सूची बनेगी।
एमडी-एमएस में प्रवेश में जितनी देरी हो रही है उतना ही विलंब पाठ्यक्रम पूरा होने में हो रहा है। छह से नौ माह विलंब होने के कारण डाक्टरों के हाथ से नौकरी के कई अवसर चले जाते हैं। साथ ही सुपरस्पेशियलिटी पाठ्यक्रम की प्रवेश परीक्षा के लिए भी वह पिछड़ जाते हैं।
अगला सत्र भी प्रभावितयही सत्र ही नहीं, एमडी-एमएस का अगला सत्र प्रारंभ होने में भी देरी होगी। कारण, अभी तक नीट-पीजी की तिथि तक घोषित नहीं हुई है। नीट-यूजी और नीट-पीजी की प्रवेश परीक्षा देने के बाद अभ्यर्थी छह से नौ माह तक प्रवेश के इंतजार में बैठे रहते हैं। एमडी-एमएस के साथ ही एमबीबीएस का सत्र भी लगभग छह माह देरी से चल रहा है।
प्रदेश में सितंबर में प्रवेश प्रक्रिया पूरी हुई है, जबकि कोरोना के पहले अप्रैल में हो जाती थी। ऐसे में डाक्टरों के विभिन्न संगठनों की मांग है कि इंटर्नशिप के दौरान भी सरकारी स्तर पर भर्ती निकलती है तो आवेदन के लिए मान्य किया जाना चाहिए।
- आठ निजी कालेजों में – 1007
- 12 सरकारी कालेजों में – 1327
सत्र देरी से शुरू होने से आम मरीजों को भी असुविधा संबंधित नुकसान उठाना पड़ता है। एमबीबीएस और एमडी-एमएस करने के बाद डाक्टरों का बैच समय पर नहीं मिल पा रहा है। वहीं, डिग्री पूरी होने तक डाक्टर पढ़ाई या नौकरी के लिए कहीं आवेदन नहीं कर पा रहे हैं।कुछ राज्यों में एमबीबीएस के बाद इंटर्नशिप करने वालों को भी सरकारी भर्ती में आवेदन का अवसर मिलता है, पर मध्य प्रदेश में ऐसा नहीं है।
– डा. आकाश सोनी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, फेडरेशन आफ आल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन