स्मार्टफोन के बगैर नहीं रह सकते हैं 71 प्रतिशत बच्चे, माता-पिता भी कम नहीं ?
स्मार्टफोन के बगैर नहीं रह सकते हैं 71 प्रतिशत बच्चे, माता-पिता भी कम नहीं; रिसर्च में हुए चौंकाने वाले खुलासे
एक सर्वे में पता चला कि माता-पिता और बच्चों के मजबूत रिश्तों के निर्माण में स्मार्टफोन बाधक है। सर्वे के खुलासे से यह सवाल उठने लगा है कि स्मार्टफोन की इस दुनिया में परिवार कैसे एक-दूसरे से सार्थक रिश्ते कायम कर सकता है। बच्चों में स्मार्टफोन की बुरी लत को देखते हुए ही आस्ट्रेलिया में 16 साल तक के बच्चों पर इंटरनेट के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है।
- स्मार्टफोन बना वास्तविक जीवन के रिश्तों में रूकावट
- स्मार्टफोन पर होता है सबसे ज्यादा समय खराब
नई दिल्ली। देश के 76 प्रतिशत बच्चे तो 84 प्रतिशत अभिभावक एक-दूसरे के साथ अधिक समय व्यतीत करना चाहते हैं, लेकिन स्मार्टफोन और सोशल मीडिया एप उन्हें ऐसा करने से रोक रहे हैं। तभी 94 प्रतिशत बच्चे चाहते हैं कि उनके माता-पिता के स्मार्टफोन में कॉलिंग, मैसेजिंग और कैमरा जैसे सिर्फ तीन फीचर होने चाहिए।
स्मार्टफोन की आदत को छोड़ने के लिए तैयार नहीं
बच्चे नहीं चाहते हैं कि माता-पिता के स्मार्टफोन में सोशल मीडिया, इंटरटेनमेंट और गेमिंग एप की सुविधा हो। दूसरी तरफ 75 प्रतिशत अभिभावक इस बात को लेकर चिंतित है कि उनके बच्चे स्मार्टफोन की लत की वजह से परिवार के साथ सार्थक रिश्ते नहीं बना पा रहे हैं। परंतु बच्चे और अभिभावक दोनों ही स्मार्टफोन की आदत को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है।
फोन पर घंटों बिताते हैं अभिभावक और बच्चे
स्मार्टफोन निर्माता कंपनी वीवो और साइबर मीडिया रिसर्च की तरफ से अभिभावक-बच्चों के रिश्तों पर स्मार्टफोन का असर संबंधी अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, अभिभावक रोजाना औसतन पांच घंटे से अधिक तो बच्चे चार घंटे स्मार्टफोन पर अपना समय व्यतीत करते हैं। दोनों ही इनमें से अधिकतर समय सोशल मीडिया और इंटरटेनमेंट एप पर बिताते हैं।
स्मार्टफोन की बुरी लत, बच्चों ने कहा- नहीं छोड़ सकते
76 प्रतिशत अभिभावक तो 71 प्रतिशत बच्चों ने सर्वे के दौरान यह माना कि वे स्मार्टफोन के बगैर नहीं रह सकते हैं। 64 प्रतिशत बच्चे मानते हैं कि उन्हें स्मार्टफोन की बुरी लत लग चुकी है। 60 प्रतिशत से अधिक बच्चों ने बताया कि अगर उनके दोस्त सोशल मीडिया एप से हट जाए तो वे भी सोशल मीडिया एप के इस्तेमाल को छोड़ सकते हैं।
स्मार्टफोन से रिश्तों में दरार की संभावना बढ़ रही
तीन में एक बच्चों ने यहां तक कहा कि इन सोशल मीडिया एप का आविष्कार ही नहीं होना चाहिए था। वीवो इंडिया के कॉरपोरेट स्ट्रेटजी हेड गीतज चन्नना कहते हैं कि टेक्नोलॉजीज का इस्तेमाल सकारात्मक बदलाव और जिंदगी को आसान बनाने के लिए होना चाहिए, लेकिन स्मार्टफोन वास्तविक जीवन के रिश्तों में रूकावट बन सकता है।