भागवत के बयान पर अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने जताई नाराजगी ?

भागवत के बयान पर अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने जताई नाराजगी, कहा- हिंदुओं की दुर्दशा नहीं समझते

संघ प्रमुख ने पुणे में नए मंदिर-मस्जिद विवादों के फिर से उभरने पर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था कि अयोध्या के राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ व्यक्तियों को यह विश्वास हो गया है कि वे ऐसे मुद्दों को उठाकर “हिंदुओं के नेता” बन सकते हैं। इस पर ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि मोहन भागवत हिंदुओं की दुर्दशा नहीं समझते हैं।
Avimukteshwaranand expressed displeasure on Bhagwat's statement said- does not understand the plight of Hindus
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज 
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के ‘मंदिर-मस्जिद’ विवाद नहीं उठाने के बयान पर संत भी सवाल उठा रहे हैं। ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि मोहन भागवत हिंदुओं की दुर्दशा नहीं समझते हैं। कई हिंदू मंदिर तोड़े जा रहे हैं। यह सच है। लेकिन मोहन भागवत को हिंदुओं का दर्द महसूस नहीं हो रहा है। 

ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने मोहन भागवत पर ‘राजनीतिक सुविधा’ के अनुसार बयान देने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि जब उन्हें सत्ता प्राप्त करनी थी, तब वह मंदिर-मंदिर करते थे, अब सत्ता मिल गई तो मंदिर नहीं खोजने की नसीहत दे रहे हैं। मोहन भागवत ने दावा किया है कि कुछ लोग नेता बनने के लिए ये मुद्दे उठाते हैं, लेकिन मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि आम हिंदू नेता बनना नहीं चाहते हैं। 

गौरतलब है कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का ये बयान संघ प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयानों पर आया है। संघ प्रमुख ने पुणे में नए मंदिर-मस्जिद विवादों के फिर से उभरने पर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा था कि अयोध्या के राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ व्यक्तियों को यह विश्वास हो गया है कि वे ऐसे मुद्दों को उठाकर “हिंदुओं के नेता” बन सकते हैं। भागवत के बयान पर सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव और कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी सवाल उठाया था। 

क्या बोले थे मोहन भागवत?
सहजीवन व्याख्यानमाला में भारत-विश्वगुरु विषय पर बोलते हुए भागवत ने एक समावेशी समाज की आवश्यकता की बात की। उन्होंने कहा कि दुनिया को यह दिखाना चाहिए कि भारत में विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ शांति से रह सकते हैं।  राम मंदिर के निर्माण के बारे में उन्होंने कहा कि यह सभी हिंदुओं की आस्था से जुड़ा मामला था। लेकिन अब कुछ लोग नए विवाद उठाकर समाज में तनाव फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, जो स्वीकार्य नहीं है। भागवत ने यह भी कहा कि ऐसे मुद्दे उठाना और समाज में विवाद फैलाना जारी नहीं रह सकता। हाल ही में मंदिरों के सर्वेक्षण के लिए मस्जिदों से जुड़े मामलों की मांग अदालतों में उठी है, लेकिन भागवत ने इस बारे में किसी का नाम नहीं लिया। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *