भारत की तरक्की का एक रास्ता जमीन की नीचे भी ?
भारत की तरक्की का एक रास्ता जमीन की नीचे भी,
समझिए खनन और खनिजों की दुनिया …
भारत में अभी तक खनिज खोजने का काम बहुत कम हुआ है. कुछ जगहों पर इन खनिजों के होने के बारे में पता चला है जैसे जम्मू-कश्मीर. लेकिन अभी तक इनको निकालने का बड़ा काम शुरू नहीं हो पाया है.
इससे इलेक्ट्रिक गाड़ियां बनाने वाली कंपनियों को काफी फायदा होगा. उन्हें कच्चा माल सस्ता मिलेगा और वो ज्यादा गाड़ियां बना सकेंगे. साथ ही देश में ही इन गाड़ियों के पुर्जे बनने लगेंगे जिससे नई नौकरियां भी पैदा होंगी.
इन गाड़ियों की सबसे जरूरी और महंगी चीज होती है लिथियम-आयन बैटरी. अगर हम ऐसी बैटरियां बना पाए जो अच्छी तकनीक वाली हों, सस्ती पड़े और ज्यादा बिजली बचाएं तो इलेक्ट्रिक गाड़ियां बहुत जल्द आम हो सकती हैं. सरकार का प्लान है कि 2030 तक 30% गाड़ियां इलेक्ट्रिक हो जाएं.
लेकिन समस्या ये है कि जिन देशों में ये खनिज मिलते हैं वो बहुत कम हैं. चीन के पास दुनिया का 79% ग्रैफाइट, कांगो के पास 70% कोबाल्ट, चीन के पास ही 60% रेयर अर्थ एलिमेंट्स और ऑस्ट्रेलिया के पास 55% लिथियम है. सबसे बड़ी बात ये है कि इन खनिजों को साफ करके तैयार करने का काम भी ज्यादातर चीन ही करता है. वो 67% लिथियम, 73% कोबाल्ट, 70% ग्रैफाइट और 95% मैंगनीज को साफ करके तैयार करता है.
भारत की लिथियम पर बढ़ रही निर्भरता
भारत को लिथियम और दूसरे खास तरह के खनिजों की बहुत जरूरत पड़ती है. पिछले साल 2023 में भारत ने 23,171 करोड़ रुपये का लिथियम ही आयात किया, जबकि पिछले-पिछले साल ये सिर्फ 13 हजार करोड़ का था. यानी इसकी मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है.
आज दुनियाभर नई-नई चीजें बनाने के लिए कुछ खास तरह के खनिज चाहिए होते हैं. ये खनिज ही तो हैं जो हमारी दुनिया को बिजली से चलाने में मदद कर रहे हैं. अगर ये खनिज नहीं होंगे तो हम बिजली से चलने वाली दुनिया का सपना भी नहीं देख सकते. इसलिए बड़े-बड़े देशों की सरकारें इन खनिजों को लेकर बहुत सतर्क हैं.
क्या होते हैं खास खनिज?
कुछ खास तरह के खनिज होते हैं जो देश की तरक्की और सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी हैं. इन्हें खास खनिज कहते हैं. ये खनिज इतने जरूरी हैं कि अगर इनकी कमी हुई या ये बहुत कम जगहों पर मिले तो देशों को बहुत दिक्कत हो सकती है. सामान बनाने की सारी व्यवस्था गड़बड़ हो सकती है.
ये खनिज आज की दुनिया की हर चीज में लगे होते हैं. जैसे सोलर पैनल, पवन चक्की, इलेक्ट्रिक गाड़ियां, इलेक्ट्रॉनिक सामान, सेना का सामान और दवाइयां बनाने में इनका खूब इस्तेमाल होता है. दूसरी बात, ये खनिज बहुत कम देशों में मिलते हैं. इसलिए इनकी कीमतें कभी बढ़ जाती हैं, कभी घट जाती हैं. ये बहुत ही अनिश्चित रहते हैं. हालांकि इन खनिजों को निकालने और साफ करने से पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच सकता है अगर सावधानी ना बरती जाए.
भारत के लिए कौन से खनिज खास हैं
हर देश के पास अपनी अलग-अलग जरूरतें होती हैं. इसलिए हर देश तय करता है कि कौन से खनिज उसके लिए खास हैं. ये किस हिसाब से तय करते हैं? देश कितना तरक्की कर रहा है, उस देश की इंडस्ट्री को क्या चाहिए, देश की सुरक्षा की क्या जरूरत है, नई-नई तकनीक की क्या मांग है, बाजार में क्या चल रहा है और देश में कौन-कौन से खनिज मिलते हैं, इन सब बातों को देखकर तय करते हैं.
भारत सरकार के खान मंत्रालय ने 30 ऐसे खनिजों की लिस्ट बनाई है जो टेक्नोलॉजी और बिजली बनाने के कामों के लिए बहुत जरूरी हैं. ये हैं वो 30 खास खनिज: एंटिमनी, बेरिलियम, बिस्मुथ, कोबाल्ट, कॉपर, गैलियम, जर्मेनियम, ग्रैफाइट, हैफ्नियम, इंडियम, लिथियम, मोलिब्डेनम, नियोबियम, निकेल, प्लैटिनम ग्रुप एलिमेंट्स (PGE), फॉस्फोरस, पोटाश, रेयर अर्थ एलिमेंट्स (REE), रेनियम, सिलिकॉन, स्ट्रोंशियम, टैंटालम, टेल्यूरियम, टिन, टाइटेनियम, टंगस्टन, वैनेडियम, ज़िरकोनियम, सेलेनियम, कैडमियम.
अंतरिक्ष की दुनिया और खास खनिज
भारत अब अंतरिक्ष में भी बड़ा काम कर रहा है. ‘गगनयान’ जैसी बड़े मिशन की तैयारी चल रही है. इन सबके लिए बहुत सारे खास खनिज चाहिए होते हैं. भारत का स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) बहुत आगे बढ़ रहा है. 2035 तक उनका अपना स्पेस स्टेशन बनाने की योजना है.
सैटेलाइट और स्पेसक्राफ्ट बनाने के लिए बहुत मजबूत चुंबक, खास तरह की धातुएं और बहुत ही अच्छी इलेक्ट्रॉनिक्स चाहिए होती हैं. इन सब चीजों को बनाने के लिए खास खनिज ही काम आते हैं.
बिजली बनाने के लिए खास खनिज
भारत ने तय किया है कि साल 2030 तक 500 गीगावाट बिजली सिर्फ सूरज, हवा और पानी से बनाएगा. इसके लिए कुछ खास खनिज बहुत जरूरी हैं. उदाहरण के लिए, सूरज की रोशनी से बिजली बनाने वाले पैनल में इंडियम, गैलियम और टेल्यूरियम जैसे खनिज चाहिए होते हैं. वहीं हवा से बिजली बनाने वाली चक्कियों में रेयर अर्थ एलिमेंट्स जैसे खनिज लगते हैं.
ये खनिज सिर्फ बिजली बनाने के लिए नहीं, बल्कि हमारे देश की ताकत बढ़ाने के लिए भी जरूरी हैं. अगर हमारे पास ये खनिज होंगे तो हमें दूसरे देशों से तेल कम खरीदना पड़ेगा, जिससे हमारे देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी.
भारत की डिजिटल दुनिया बहुत तेजी से बढ़ रही है. 5G नेटवर्क भी तेजी से बिछाया जा रहा है. उम्मीद है कि साल 2025 तक ये 10 लाख करोड़ रुपये की हो जाएगी. इसका मतलब है कि इलेक्ट्रॉनिक सामान और टेलीकॉम के सामान बनाने के लिए बहुत सारे जरूरी खनिजों की जरूरत पड़ेगी. इन सबके लिए गैलियम, इंडियम और टैंटालम जैसे खनिज बहुत जरूरी हैं.
भारत के लिए खनिजों की सबसे बड़ी चुनौती क्या है
भारत के लिए सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि हमें ज्यादातर खनिज बाहर से मंगाने पड़ते हैं. इससे दो बड़ी समस्याएं हैं, पहली तो ये कि हमारा बहुत सारा पैसा दूसरे देशों में चला जाता है. दूसरा, अगर इन देशों में कोई दिक्कत हुई जैसे युद्ध हो गया या किसी ने रोक लगा दी तो हमारे यहां खनिजों की कमी हो जाएगी.
एक दिक्कत ये है कि इन खनिजों को साफ करके तैयार करने का काम ज्यादातर एक ही देश चीन करता है. मतलब अगर चीन ने इन खनिजों की सप्लाई बंद कर दी या उनकी कीमत बढ़ा दी तो भारत को बहुत दिक्कत होगी. ये हमारे लिए बहुत बड़ा खतरा है.
वहीं भारत में अभी तक खनिज खोजने का काम बहुत कम हुआ है. कुछ जगहों पर इन खनिजों के होने के बारे में पता चला है जैसे जम्मू-कश्मीर. लेकिन अभी तक इनको निकालने का बड़ा काम शुरू नहीं हो पाया है. हाल ही में जम्मू-कश्मीर में लिथियम का भंडार मिला है. इस सब में सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि हमारी धरती बहुत जटिल है, हमारे पास खनिज खोजने की अच्छी तकनीक नहीं है और सरकार की भी कई बाधाएं हैं.
अगर अपनी जमीन से खनिज भी मिल गए तो ये सोचना गलत है कि काम खत्म हो गया. भारत में इन खनिजों को साफ करने और तैयार करने की गिनी-चुनी फैक्ट्रियां हैं. इसका मतलब ये हुआ कि हम तो कच्चा माल निकाल लेंगे लेकिन उसको तैयार करने के लिए हमें दूसरे देशों खासकर चीन पर निर्भर रहना पड़ेगा. इससे खनिजों की कीमत बढ़ जाएगी.