कौन से राज्य टोल टैक्स से कमा रहे हैं सबसे ज्यादा?

 24 साल, 1.44 लाख करोड़ कलेक्शन… कौन से राज्य टोल टैक्स से कमा रहे हैं सबसे ज्यादा?

भारत में नेशनल हाईवे पर टोल प्लाजा लगाने के लिए कुछ नियम और शर्तें हैं. एक ही नेशनल हाईवे पर और एक ही दिशा में 60 किलोमीटर की दूरी के अंदर दो टोल प्लाजा नहीं हो सकते.

भारत में पिछले 5 सालों में नेशनल हाईवे पर टोल प्लाजा से यूजर फीस के रूप में वसूली गई रकम में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन जयराम गडकरी की ओर से संसद में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, यह वसूली 103.18 फीसदी बढ़ गई है. 

2019-20 में जहां टोल प्लाजा से 27,503.86 करोड़ रुपये की वसूली हुई थी, वहीं 2023-24 में यह आंकड़ा बढ़कर 55,882.12 करोड़ रुपये हो गया है, यानी दोगुनी से ज्यादा की बढ़ोतरी. वहीं अक्टूबर 2024 तक नेशनल हाईवे पर कुल 1015 टोल प्लाजा एक्टिव हैं.

PPP मॉडल से बनी सड़कों पर टोल से हुई बंपर कमाई!
दिसंबर 2000 से अब तक पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत बनी नेशनल हाईवे पर 1.44 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा टोल टैक्स के रूप में वसूले जा चुके हैं. PPP यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप, सरकार और निजी कंपनियों के बीच एक तरह की साझेदारी होती है. इसमें दोनों मिलकर किसी प्रोजेक्ट को पूरा करते हैं. सड़कों के मामले में सरकार और निजी कंपनियां मिलकर हाईवे का निर्माण और उनकी देखभाल करती हैं.

24 साल, 1.44 लाख करोड़ कलेक्शन... कौन से राज्य टोल टैक्स से कमा रहे हैं सबसे ज्यादा?

इस मॉडल के तहत, सरकार किसी निजी कंपनी को हाईवे बनाने का काम देती है. कंपनी अपने पैसे से हाईवे बनाती है और उसकी देखभाल करती है. इसके बदले में कंपनी को कुछ समय के लिए टोल वसूलने का अधिकार मिलता है. इस तरह, सरकार को हाईवे बनाने के लिए ज्यादा पैसा खर्च नहीं करना पड़ता और निजी कंपनी को अपने निवेश पर मुनाफा होता है.

टोल प्लाजा के बीच कितनी दूरी होनी चाहिए?
भारत में नेशनल हाईवे पर टोल प्लाजा लगाने के लिए कुछ नियम और शर्तें हैं. ये नियम ‘राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों का निर्धारण और संग्रह) नियम 2008’ में दिए गए हैं. इस नियम के अनुसार, एक ही नेशनल हाईवे पर और एक ही दिशा में 60 किलोमीटर की दूरी के अंदर दो टोल प्लाजा नहीं हो सकते. यह नियम इसलिए बनाया गया है ताकि लोगों को बार-बार टोल टैक्स न देना पड़े और उनका शोषण न हो.

लेकिन, अगर सरकार को किसी खास वजह से 60 किलोमीटर से कम दूरी पर दूसरा टोल प्लाजा लगाना जरूरी लगे, तो वह ऐसा कर सकती है. इसके लिए उन्हें लिखित में कारण देना होगा. अगर कोई टोल प्लाजा किसी पुल, बाईपास या सुरंग के लिए बनाया गया है, तो यह नियम लागू नहीं होता. ऐसे में 60 किलोमीटर से कम दूरी पर भी दूसरा टोल प्लाजा हो सकता है.

टोल टैक्स से सबसे ज्यादा कमाई करने वाले राज्य
लोकसभा में हालिया बताए गए आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से अक्टूबर 2024 के बीच देश भर के टोल प्लाजा ने यूजर फीस के रूप में कुल 33,523 करोड़ रुपये कमाए हैं. इनमें उत्तर प्रदेश में टोल प्लाजा से सबसे ज्यादा कमाई हुई है, जो 4254 करोड़ रुपये है. इसका कारण है उत्तर प्रदेश भारत का सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य है, जहां गाड़ियों की संख्या भी काफी ज्यादा है. यहां से कई महत्वपूर्ण नेशनल हाईवे गुजरते हैं. यहां माल ढुलाई के लिए ट्रकों का आवागमन भी ज्यादा होता है. यूपी में कानपुर के बाराजोर टोल प्लाजा ने सबसे ज्यादा वसूली की.

दूसरे नबंर पर है राजस्थान, जहां टोल प्लाजा से 3638 करोड़ रुपये की कमाई हुई है. राजस्थान क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा राज्य है, जहां लंबे नेशनल हाईवे हैं. राजस्थान एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहां देश-विदेश से पर्यटक आते हैं. इससे भी ट्रैफिक बढ़ता है और टोल वसूली ज्यादा होती है. राजस्थान में अलवर के शाहजहांपुर टोल प्लाजा ने सबसे ज्यादा वसूली की.

24 साल, 1.44 लाख करोड़ कलेक्शन... कौन से राज्य टोल टैक्स से कमा रहे हैं सबसे ज्यादा?

महाराष्ट्र में टोल प्लाजा से 2972 करोड़ रुपये की कमाई हुई है. महाराष्ट्र भारत का एक प्रमुख आर्थिक केंद्र है, जहां मुंबई जैसा बड़ा शहर और कई इंडस्ट्रियल एरिया हैं. मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे जैसे व्यस्त हाईवे यहां से गुजरते हैं. यहां कमाई के मामले में पुणे स्थिति खेड़-शिवपुर टोल प्लाजा सबसे आगे है.

चौथा टोल टैक्स से सबसे ज्यादा कमाई करने वाला राज्य गुजरात है जहां अप्रैल से अक्टूबर 2024 के बीच 2838 करोड़ रुपये वसूले गए. यहां वड़ोदरा के भरथना टोल प्लाजा ने सबसे ज्यादा वसूले. असल में गुजरात भी एक तेजी से विकसित हो रहा राज्य है, जहां व्यापार और उद्योग काफी हैं. गुजरात में कई बंदरगाह हैं, इससे माल ढुलाई के लिए वाहनों का आवागमन ज्यादा होता है. 

इसके बाद तमिलनाडु से सबसे ज्यादा 2531 करोड़ रुपये वसूले गए. तमिलनाडु के धर्मापुरी में स्थित एलएंडटी कृष्णागिरि थोपपुर टोल प्लाजा ने सबसे ज्यादा कमाई की.

देश के टॉप 5 टोल प्लाजा
अप्रैल से अक्टूबर 2024 के बीच भारत के कुछ टोल प्लाजा ने 200 करोड़ रुपये से भी ज्यादा की कमाई की है. हरियाणा में स्थित घरौंदा टोल प्लाजा ने सबसे ज्यादा 256 करोड़ रुपये वसूले हैं. यह टोल प्लाजा नेशनल हाईवे 44 पर स्थित है, जो दिल्ली को अमृतसर से जोड़ता है. यह एक व्यस्त हाईवे है, जिससे दिल्ली और पंजाब के बीच काफी आवागमन होता है.

इसके बाद राजस्थान में नेशनल हाईवे 8 पर स्थित शाहजहांपुर टोल प्लाजा ने 224 करोड़ वसूले. ये हाईवे दिल्ली को मुंबई से जोड़ता है. तीसरे नंबर पर गुजरात में नेशनल हाईवे 48 पर स्थित दिल्ली को चेन्नई से जोड़ने वाला भरथना टोल प्लाजा है, जिसने 223 करोड़ की वसूली की.

पश्चिम बंगाल का जलढुलगोरी टोल प्लाजा (217 करोड़) नेशनल हाईवे 31 पर स्थित है, जो उत्तर बंगाल को बिहार और उत्तर प्रदेश से जोड़ता है. यह पूर्वोत्तर भारत के लिए भी एक महत्वपूर्ण मार्ग है. गुजरात का चोरयासी टोल प्लाजा (204 करोड़) पांचवां सबसे ज्यादा कमाई करने वाला है. यह अहमदाबाद शहर के पास है.

24 साल, 1.44 लाख करोड़ कलेक्शन... कौन से राज्य टोल टैक्स से कमा रहे हैं सबसे ज्यादा?

टोल प्लाजा पर सभी लेन अब FASTag लेन
सरकार ने 15-16 फरवरी 2021 की मध्यरात्रि से नेशनल हाईवे पर स्थित सभी टोल प्लाजा की सभी लेन को ‘FASTag लेन’ घोषित कर दिया है. इससे यूजर फीस वसूलने की व्यवस्था और भी बढ़िया हो गई है. आंकड़े बताते हैं कि हाल के महीनों में किए गए 98% से ज्यादा टोल टैक्स कलेक्शन FASTag तकनीक के जरिए हुए हैं. FASTag एक इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम है, जिससे गाड़ियों को टोल प्लाजा पर ऑटोमैटिक भुगतान करने की सुविधा मिलती है.

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया है कि 2022 में नेशनल हाईवे पर 97% और 2023 में 98% टोल प्लाजा पर इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ETC) का इस्तेमाल हो रहा है. यानी लगभग सभी लोग टोल का भुगतान करने के लिए FASTag का इस्तेमाल कर रहे हैं.

FASTag से क्या फायदा हुआ?
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने FASTag के असर का आंकलन करने के लिए एक अध्ययन किया. इस अध्ययन से पता चला है कि वित्तीय वर्ष 2022 में टोल प्लाजा पर गाड़ियों के इंतजार करने का औसत समय 734 सेकंड से घटकर 47 सेकंड रह गया है. यानी पहले जहां लोगों को टोल प्लाजा पर करीब 12 मिनट इंतजार करना पड़ता था, वहीं अब यह समय घटकर 1 मिनट से भी कम रह गया है.

पहले टोल प्लाजा पर नकद भुगतान करने के लिए अलग लेन होती थी, जिससे लंबी कतारें लग जाती थीं और समय बर्बाद होता था. अब सभी लेन FASTag लेन होने से गाड़ियां बिना रुके ही टोल का भुगतान कर सकती हैं और समय की बचत होती है. 

टोल प्लाजा पर भीड़भाड़ की स्थिति पर नजर रखने के लिए GIS (भौगोलिक सूचना तंत्र) आधारित एक खास सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है. इससे यह पता चलता है कि किस टोल प्लाजा पर कितनी भीड़ है और जरूरत पड़ने पर समस्या का तुरंत समाधान किया जा सकता है.

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बार-बार टोल प्लाजा पर टैक्स क्यों? जानिए इससे जुड़े अहम सवालों के जवाब

जब आप नेशनल या स्टेट हाइवे, पुलों, सुरंगों और इंटरस्टेट एक्सप्रेसवे पर जाते हैं तो आपको एक फीस देनी पड़ती है जिसे टोल टैक्स कहा जाता है. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानी NHAI इसकी व्यवस्था करता है. टोल टैक्स, रोड डेवलपमेंट और मेंटेनेंस फंड के लिए इकट्ठा किए जाते हैं. सड़कों पर इनके भुगतान केंद्र को टोल बूथ और टोल प्लाजा काउंटर कहा जाता है.

बार-बार टोल प्लाजा पर टैक्स क्यों? जानिए इससे जुड़े अहम सवालों के जवाब

टोल टैक्स.
 Aug 27, 2024 | 12:43 PM

अगर आप रोड से ट्रैवल करने का मन बनाते हैं तो सूटकेस पैक करने और गाड़ी फिट कराने के साथ-साथ जो काम सबसे जरूरी हैं वो है FASTag में पर्याप्त बैलेंस रखने का. कई बार कितना अच्छा लगता है, टोल पर गए, कैमरे ने FASTag स्कैन किया और गाड़ी तुरंत फर्राटा भरने लगी, लेकिन परेशानी तब शुरू होती है जब लोगों को लगता है ये क्या बात हुई? हर कुछ दूरी पर टैक्स भरना पड़ रहा है. तब मन में कई सवाल उठते हैं कि इतना टैक्स क्यों? टोल टैक्स का कोई नियम है क्या? कितनी दूरी पर कितना टैक्स लगता है?

टोल टैक्स आखिर है क्या?जब आप नेशनल या स्टेट हाइवे, पुलों, सुरंगों और इंटरस्टेट एक्सप्रेसवे पर जाते हैं तो आपको एक तय फीस देनी पड़ती है जिसे टोल टैक्स कहा जाता है. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण यानी NHAI इसकी व्यवस्था करता है. भारत का रोड नेटवर्क दुनिया के सबसे बड़े सड़कों के नेटवर्क में से एक है. टोल टैक्स, रोड डेवलपमेंट और मेंटेनेंस फंड के लिए इकट्ठा किए जाते हैं.

सड़कों पर इनके भुगतान केंद्र को टोल बूथ और टोल प्लाजा काउंटर कहा जाता है. फिलहाल तो टोल टैक्स नकद या FASTag के जरिये लिया जाता है, लेकिन सरकार ने FASTag का इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया है. अगर कोई व्यक्ति कैश में टोल टैक्स का भुगतान करना चाहता है तो उससे दोगुना शुल्क देना होता है.

सैटेलाइट टोलिंग सिस्टम से होगा बड़ा बदलावपॉलिसी और इंफ्रास्ट्रक्चर एक्सपर्ट वैभव डांगे कहते हैं कि टोल बूथ पर होने वाली तमाम समस्याओं को दूर करने का सरकार के पास एकमात्र तरीका है कि टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाये. जैसे कि सैटेलाइट टोलिंग गवर्नमेंट ने प्रस्तावित की थी. कई देशों में इसे ट्राई भी किया गया है. सैटेलाइट टोलिंग सिस्टम की वजह से दो बड़े फायदे होंगे, पहला ये कि सैटेलाइट टोलिंग की वजह से हाईवे पर बैरियर फ्री रोड मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं है कि बैरियर 4-6 महीनों में हटा दिया जाएगा, ये एक लंबा प्रॉसेस है.

दूसरा ये है कि सरकार केवल डिस्टेंस के अनुसार चार्ज लेगी, पहले से तय टैक्स नहीं वसूला जायेगा. जब पूरा हाइवे जियोफेंस (geofence) हो जाएगा तो जब आप हाइवे पर एंटर करेंगे तो और जब आप हाइवे से निकलेंगे, उतना ही चार्ज होगा. आप 5 किलोमीटर यात्रा करते हैं या 50 किलोमीटर की यात्रा करते हैं तो आपको उसी के हिसाब से चार्ज करना पड़ेगा.

भारत में टोल टैक्स का इतिहासभारत में सड़क शुल्क ब्रिटिश काल से ही वसूला जाता रहा है. साल 1851 में भारतीय टोल अधिनियम पारित किया गया और पहली बार सड़क शुल्क लागू हुआ. भारत में टोल टैक्स नीति नेशनल हाईवे एक्ट 1956 और नेशनल हाईवे फी रूल्स, 2008 पर आधारित है.

भारत में टोल टैक्स के नियम क्या हैं?टोल टैक्स की दरों में बदलाव नेशनल हाइवे फीस रूल्स, 2008 के अनुसार हर साल किया जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि भारत में टोल टैक्स के क्या नियम हैं-

  1. NHAI तय करता है कि किसी भी टोल बूथ पर टैक्स कितना हो और सभी के लिए बराबर हो. टैक्स की रकम, गाड़ी कौन सी है प्राइवेट या पब्लिक ट्रांसपोर्ट, सफर कितनी दूर का है और दिन का समय कौन सा है. इसके हिसाब से तय की जानी चाहिए.
  2. नियम के अनुसार अगर वाहन 24 घंटे के भीतर बूथ से दो बार गुजरता है तो टोटल टैक्स का केवल डेढ़ गुना भुगतान करना होगा.
  3. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की तरफ से साफ किया गया है कि एक प्लाजा पार करने के 60 किमी तक दूसरा टोल नहीं बनाया जा सकता है.
  4. देश के सभी नेशनल हाईवे और एक्सप्रेस-वे पर ये व्यवस्था लागू होती है. राज्यों के टोल उनके अपने नियमों के हिसाब से चलते हैं.

ज्यादातर नेशनल हाइवे पर टू व्हीलर गाड़ियों और ट्रैक्टर पर टोल लगने का नियम नहीं होता है. बहुत कम ऐसे शहरी हाइवे हैं, जो किसी सिटी के पास हो और वहां पर टू व्हीलर गाड़ियों पर टोल लगता हो.

कब नहीं देना होता है टोल टैक्स

  1. सभी चार पहिया वाहनों को टोल टैक्स देना होता है, लेकिन कई ऐसे भी नियम हैं, जब आप बिना टोल टैक्स दिए भी आगे बढ़ सकते हैं.
  2. अगर टोल टैक्स पर 10 सेकंड से ज्यादा टोल टैक्स कटने का इंतजार कर रहे हैं तो फिर आप बिना टोल टैक्स दिए ही आगे बढ़ सकते हैं.
  3. अगर टोल प्लाजा पर 100 मीटर से भी ज्यादा कारों की लंबी लाइन हो तो ऐसे में भी टोल टैक्स नहीं देना होता.
  4. हर टोल बूथ से 100 मीटर की दूरी पर पीली पट्टी होनी चाहिए.
  5. टोल टैक्स कितना लेना है, ये कई चीजों पर निर्भर होता है, जैसे सड़क की बनावट, सड़क की दूरी, गाड़ियां (कार, बस, ट्रक) डेस्टिनेशन आदि.

Grafix 1 इन छूटों और नियमों के बावजूद कई बार टोल बूथ पर आपको लड़ाई होती दिखती हैं, आइए उसका भी कारण आपको बता दें.

  • टोल पॉलिसी के अनुसार जो लोग टोल प्लाजा के आसपास के होते हैं. उनको मंथली पास मिलता है. उनकी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन टोल प्लाजा के पास का लोकल है. जिससे वह कितनी बार भी आ-जा सकते हैं, लेकिन परेशानी ये होती है कि वह रहते तो वहां हैं लेकिन उनकी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कहीं और का होता है तो गाड़ी टोल प्लाजा में रजिस्टर्ड नहीं होती है. RTO के नियम के अनुसार अगर आप एक शहर से दूसरे शहर में शिफ्ट हो गए हैं तो आपको अपनी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन उसी शहर में कराना होगा.
  • ट्रैक्टर फार्मिंग यानी कृषि में आने के कारण टोल फ्री है, लेकिन आपने देखा होगा कि उसकी ट्रॉली में बालू-सीमेंट ले जाया जाता है तो वो कमर्शियल ट्रैक्टर हो जाता है, जिसकी वजह से टोल प्लाजा पर बहस हो जाती है.
  • टोल सर्विंग अफसर, सेना और कई तरह के सरकारी कर्मचारियों के लिए मुफ्त है, लेकिन जब वो प्राइवेट गाड़ी लेकर जाते हैं तो कार्ड दिखाकर काम कभी चलता हैं कभी नहीं.
  • मंत्रालय ने vip कल्चर कम करने के लिए सांसदों तक के लिए दो FASTag इस्तेमाल करने के लिए दिया है, क्योंकि उनकी एक गाड़ी दिल्ली में रहती है और एक उनके संसदीय क्षेत्र में.
  • MLA को अपने विधानसभा क्षेत्र में exemption मिलता है लेकिन दूसरे शहर के हाईवे और नेशनल हाईवे पर उन्हें छूट नहीं मिलेगी.

Grafix 2 टोल टैक्स और रोड टैक्स में क्या अंतर है?कई बार लोगों के मन में यह सवाल आता है कि जब सरकार रोड टैक्स लेती है फिर अलग से टोल टैक्स क्यों वसूला जाता है? तो चलिए इसका भी जवाब जान लेते हैं.

  1. रोड टैक्स का भुगतान गाड़ी का मालिक आरटीओ को करता है. यह राज्य के अंदर की सड़कों को इस्तेमाल करने के लिए दिया जाता है जबकि टोल टैक्स का भुगतान टोल रोड पर सफर करने पर ये इनडॉयरेक्ट टैक्स होता है.
  2. रोड टैक्स वाहन की कीमत का एक हिस्सा होता है. वहीं टोल टैक्स टोल रोड की लंबाई पर निर्भर करता है.
  3. प्राइवेट व्हीकल पर रोड टैक्स एक बार देना पड़ता है और कमर्शियल वाहन पर सालाना रोड टैक्स देना होता है.
  4. टोल टैक्स एक खास सड़क, हाईवे या एक्सप्रेसवे पर वसूला जाता है.
  5. ये पैसा उस हाईवे को बनाने वाली कंपनी या फिर एनएचएआई को जाता है.

टोल टैक्स को लेकर क्यों नाराज हैं लोग?हाइवे के या एक्सप्रेसवे के आसपास रहने वाले लोगों की शिकायत रहती है कि उन्हें दिन में कई बार टोल प्लाजा पार करना होता है और हर बार उन्हें टोल टैक्स देना पड़ता है. सरकार के कई नियमों के बाद भी कई जगहों पर आसपास के लोगों से निर्धारित शुल्क वसूला जाता है जिसको लेकर लोग सोशल मीडिया से सड़क तक नाराजगी जताते रहे हैं, जबकि ज्यादातर हाईवे इस हिसाब से बने हैं कि लगभग सभी गांवों में अंडरपास दिया जाता है या 8-10 किलोमीटर आगे पीछे उन लोगों को बाहर आने-जाने के लिए रैंप दिए जाते हैं.

टोल टैक्स कब तक?लोगों की शिकायत ये भी होती है अगर किसी हाइवे या सड़क, पुल, सुरंग जो भी टोल रोड हैं. उन पर खर्च होने वाला पैसा वसूल कर लिया जाता है तो कुछ चुनिंदा स्थितियों में टोल टैक्स वसूलना बंद भी हो जाता है, लेकिन ऐसा बहुत कम ही होता है. इसको लेकर भी लोगों की शिकायत रहती है. कई लोगों का मानना है कि टोल टैक्स वसूलने वाली कंपनियां वहां से गुजरने वाले वाहनों की संख्या कम बताती हैं, जिससे वे निर्धारित अवधि से अधिक समय तक टोल वसूल सकें. खर्च होने वाला पैसा वसूल लिए जाने के बाद भी जनता की जेब ढीली की जाती है.

दिल्ली नोएडा डायरेक्ट फ्लाइवे टोल विवाददिल्ली नोएडा डायरेक्ट फ्लाइवे को लेकर कोर्ट में एक PIL दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि 9.2 किलोमीटर लंबा फ्लाइवे बनाने का पैसा वसूल लिया गया है. उसके पास भी टोल टैक्स लिया जा रहा है. PIL पर सुनवाई करते हुए इलाहबाद हाईकोर्ट ने माना था कि DND बनाने की लागत वसूली जा चुकी है और कोर्ट ने इस रोड को टोल फ्री घोषित कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले पर मुहर लगा दी थी. इसके साथ टोल टैक्स वसलूने वाली कंपनी को कोर्ट की ओर से फटकार लगाई गई थी.

इस पर वैभव डांगे का कहना है कई बार सड़क के रिकंस्ट्रक्शन, रिपेयरिंग और डेवलपमेंट का काम लगातार चलता है जैसे दिल्ली-जयपुर हाईवे पहले ये चार लेन का था, फिर इसमें गुड़गांव, मानेसर को जोड़ा गया. ये 6 लेन हुआ, लेकिन ये इसके बावजूद भी ब्लॉक हो जाता था तो इसमें जगह-जगह लगभग 35 फ्लाईओवर बनाए गए. इस पर लोग लगभग 25 साल से टोल दे रहें हैं लेकिन लगातार काम भी तो हो रहा हैं. ये भी पहलू ध्यान में रखना चाहिए.

क्यों जरूरी हैं टोल बूथ?हाइवे एक्सेस कंट्रोल केवल इसलिए बनाए जाते हैं ताकि हाइवे की यात्रा को सेफ बनाया जाए. आपको हाइवे पर लगातार स्पीड मिल सके. कोई भी हाइवे पर ऐसे ही ना गाड़ी दौड़ा दे. आज हमारे देश में 5 लाख से अधिक एक्सीडेंट हर रोज हो रहे हैं. सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के निजी सचिव रहे वैभव डांगे बताते हैं कि हमने एक पायलट स्डटी की थी. दिल्ली से मुंबई के रास्ते में 12 टोल प्लाजा हैं. अगर एक ट्रक को एक टोल पर 8 से 10 मिनट लगते हैं तो वह पूरे रास्ते में लगभग 2 घंटे का फ्यूल वेस्ट करता है. अब हमारा प्रॉडक्ट दिल्ली से जेएनपीटी यानी महाराष्ट्र डेढ़ दिन में पहुंच रहा है. इससे आपका समय और फ्यूल दोनों बच रहा है और आखिरी में देखा जाए तो लॉजिस्टिक कॉस्ट भी बच रही है.

वैभव डांगे कहते हैं कि भारत में 2014 के पहले लॉजिस्टिक कॉस्ट 18 फीसदी के आसपास थी, जबकि ग्लोबल एवरेज 10 से 12 परसेंट था. हम 6 परसेंट के नुकसान पर पहले ही दिन से थे. 6 परसेंट बहुत ज्यादा होंगे तो वो कहां से कम्पीट करेंगे. जैसे ईस्टर्न पेरीफेरल का इम्पैक्ट ये है कि करीब 25 फीसदी कमर्शियल गाड़ियां दिल्ली में कम प्रवेश कर रही हैं जिससे पुलिसिंग पर इम्पैक्ट कम हुआ है, पॉल्यूशन पर असर पड़ा है.

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