महायुति में जिन 5 मंत्रालयों पर फंसा है पेच, वो महाराष्ट्र में कितने अहम?

महायुति में जिन 5 मंत्रालयों पर फंसा है पेच, वो महाराष्ट्र में कितने अहम?

महाराष्ट्र में वित्त, राजस्व, गृह, सामान्य प्रशासन और शहरी विकास मंत्रालय पर पेच फंसा हुआ है. गृह और वित्त पर एकनाथ शिंदे की नजर है तो राजस्व पर अजित पवार की. सवाल उठ रहा है कि आखिर ये 5 मंत्रालय महाराष्ट्र की सियासत में कितने अहम हैं?

महायुति में जिन 5 मंत्रालयों पर फंसा है पेच, वो महाराष्ट्र में कितने अहम?

महायुति का पेच अभी तक नहीं सुलझा है
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बाद विभाग बंटवारे को लेकर पेच फंस गया है. कहा जा रहा है कि विभाग बंटवारे में शिवसेना को कम तरजीह मिलने से नाराज एकनाथ शिंदे अपने गांव सतारा चले गए हैं. इसकी वजह से सरकार गठन में देरी हो रही है.

महाराष्ट्र में कितने अहम हैं ये 5 विभाग?

1. शुरुआत गृह विभाग सेसबसे ज्यादा माथापच्ची इसी विभाग को लेकर है. 2022 में जब एकनाथ शिंदे की सरकार बनी तो बीजेपी के पास यह विभाग चला गया. डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस इस विभाग के मुखिया बने. अब मुख्यमंत्री की कुर्सी बीजेपी के पास जा रही है तो शिंदे सेना इसे खुद के पास रखना चाह रही है.

शिंदे सेना के संजय शिरसाट का कहना है कि एकनाथ शिंदे वरिष्ठ नेता हैं और उन्हें गृह विभाग दिया जाना चाहिए. 2019 में उद्धव ठाकरे की जब सरकार बनी तो गृह विभाग एनसीपी को दिया गया था.

किसी भी राज्य में गृह विभाग को सबसे अहम माना जाता है. इसी विभाग के अधीन पुलिस और इंटेलिजेंस है. महाराष्ट्र में सिर्फ पुलिस का सालाना बजट 24050 करोड़ रुपए का है.

पावर के हिसाब से भी इसे अहम विभाग माना जाता है, क्योंकि इसी विभाग के मंत्री के अधीन पुलिस आती है. पुलिस और इंटेलिजेंस होने की वजह से अन्य मंत्रियों की तुलना में गृह मंत्री का कनेक्शन सबसे ज्यादा रहता है.

2. वित्त पर भी पेच फंस गयागृह के साथ-साथ वित्त विभाग पर भी पेच फंसा हुआ है. वित्त विभाग पहले अजित पवार के पास था, लेकिन इस बार बीजेपी और शिवेसना दोनों अपना-अपना दावा कर रही है. अजित पुराने समीकरण का हवाला देते हुए इस विभाग को अपने पास रखना चाहते हैं.

सरकार के भीतर वित्त विभाग को भी काफी अहम विभाग माना जाता है. विभाग से जुड़े मंत्री योजनाओं के लिए फंड जारी करने के साथ-साथ विधायक निधि कोष भी तय करते हैं. महाराष्ट्र में अभी लाडकी बहिन समेत कई बड़ी योजनाएं चल रही है.

अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से महाराष्ट्र देश का सबसे अग्रणी राज्य है. यहां की कुल GSDP 330 मिलियन डॉलर है. टैक्स देने के मामले में पूरे देश में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी करीब 40 प्रतिशत है.

3. राजस्व का मसला भी नहीं सुलझामहाराष्ट्र के राजस्व विभाग पर पेच फंसा हुआ है. अजित की पार्टी वित्त न मिलने की स्थिति में राजस्व विभाग अपने लिए चाहती है. वहीं बीजेपी अपने लिए यह विभाग चाहती है. शिंदे सेना की भी नजर इस विभाग पर है.

राजस्व विभाग जमीन और अन्य बंदोबस्ती से जुड़े कामों को देखती है. शहरी और अर्द्धशहरी इलाके होने की वजह से महाराष्ट्र में राजस्व विभाग को अहम माना जाता है.

2019 में जब उद्धव की सरकार बनी थी तो कांग्रेस को राजस्व विभाग ही मिला था. बाला साहेब थोराट इस विभाग के मंत्री बनाए गए थे.

4. सामान्य प्रशासन पर भी किचकिचट्रांसफर-पोस्टिंग और नियुक्ति से जुड़े सभी काम सामान्य प्रशासन विभाग के अधीन है. आमतौर पर मुख्यमंत्री अपने पास इस विभाग को रखते हैं. सामान्य प्रशासन विभाग को सबसे पावरफुल विभाग माना जाता है.

यही विभाग महाराष्ट्र में गार्जियन मिनिस्टर की नियुक्ति करता है. साथ ही महाराष्ट्र के सभी आईएएस और पीसीएस अधिकारी इसी विभाग के अधीन काम करते हैं. महाराष्ट्र में बीजेपी इस विभाग पर दावेदारी कर रही है.

5. शहरी विकास पर भी सबकी नजर2014 में जब बीजेपी की सरकार बनी तो देवेंद्र फडणवीस ने इस विभाग को अपने पास रखा. फडणवीस उस वक्त महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे. 2019 में उद्धव ठाकरे की पार्टी के पास यह विभाग चला गया. 2022 में एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने शहरी विकास को अपने ही पास रखा.

अब इस विभाग पर भी पेच फंस गया है. शिंदे की नजर इस विभाग पर ही है. महाराष्ट्र में मुंबई महानगरी है. साथ ही राज्य में पुणे, नागपुर, नासिक, औरंगाबाद जैसे बड़े शहर हैं. इन शहरों में विधानसभा की करीब 100 सीटें हैं. ऐसे में पार्टी इसे अपने पास रख शहरी मतदाताओं को आसानी से साधना चाहती है.

वहीं मुंबई के सियासी गलियारों में इस विभाग को मलाईदार विभाग भी कहते हैं. 2023 में इस विभाग का रिवाइज्ड बजट 31082 करोड़ रुपए था.

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