ग्वालियर सुपर स्पेशलियटी अस्पताल में एमआरआई जांच के लिए आ रहा है दो महीने में नंबर
- सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में MRI के लिए दो माह का इंतजार
- वहां भर्ती मरीजों को भी करना पड़ रहा है लंबी वेटिंग का सामना
- प्रबंधन का जवाब… 25 MRI रोजाना होती है, आते हैं 100 मरीज
ग्वालियर। जेएएच समूह के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में यूं तो बेहतर सुविधाओं के होने का दावा किया जाता है, मगर हकीकत में इस अस्पताल में बीमारियों की जांच के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। यहां एमआरआइ जैसी महत्वपूर्ण जांच के लिए एक से दो महीने की वेटिंग है। नतीजतन लोगों को बाहर निजी सेंटरों में जाकर जांच करानी पड़ रही है। इतना ही नहीं अगर मरीज को जांच के लिए एनेस्थीसिया विशेषज्ञ की जरुरत पड़ती है, तो वह भी यहां उपलब्ध नहीं होते। जिससे मरीज की जान खतरे में पड़ रही है।
सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में दूरदराज से आए लोगों को सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन जांच की वेटिंग को मरीजों का लोड बढ़ने का कारण बता रहा है। एमआरआइ जांच समय पर न होने के कारण मरीजों को दर्द इसलिए भी झेलना पड़ रहा है कि शहर के अन्य सरकारी अस्पतालों में एमआरआइ की सुविधा नहीं है।
ऐसे में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में जांच का लंबा इंतजार न केवल मर्ज बढ़ाने का काम कर रहा है बल्कि निजी सेंटरों पर जाकर जांच कराने से आर्थिक हानि भी मरीजों को झेलनी पड़ रही है।
केस-एक
- छतरपुर निवासी चंद्रकला न्यूरो की समस्या से पीड़ित है। न्यूरोलाजी की ओपीडी में जब यह उपचार के लिए पहुंची, तो यहां मौजूद चिकित्सक ने उनको एमआरआइ जांच कराने की सलाह दी। वह पर्चा लेकर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल पहुंची जहां उनको 11 जनवरी की तारीख दी गई।
केस- दो
- जौरा मुरैना निवासी गादीपाल कुशवाह को चिकित्सक ने एमआरआइ की सलाह दी। स्वजन डाक्टर का पर्चा लेकर एमआरआइ जांच के लिए सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल पहुंचे जहां उनको 11 जनवरी की तारीख देकर शाम पांच बजे आने को कहा गया।
केस- तीन
- मुरार निवासी आमना अस्पताल में भर्ती हैं। इनको चिकित्सक ने एमआरआइ जांच लिखी, लेकिन जब स्वजन जांच के लिए पहुंचे तो उनको नौ दिसंबर की तारीख दी गई। यानी अस्पताल में भर्ती मरीजों की जांच भी समय पर नहीं हो पा रही हैं।
अधीक्षक डॉ. जीएस गुप्ता की प्रतिक्रिया
यह बात सही है कि जांच के लिए वेटिंग चल रही है। सुबह आठ बजे से रात 11 बजे तक 25 एमआरआइ होती हैं, लेकिन जांच के लिए करीब 100 मरीज पहुंचते हैं। इस कारण अन्य मरीजों को वेटिंग की सूची में रखना पड़ता है। – डॉ. जीएस गुप्ता, अधीक्षक, सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल