गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में CBI को मिले अहम सुराग, योगी सरकार से मांगी FIR दर्ज करने की इजाजत

लखनऊ: अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में गोमती नदी पर बने रिवर फ्रंट में हुए घोटाले के मामले में सीबीआई ने योगी सरकार से नई एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी है. सीबीआई ने करीब एक दर्जन लोगों पर एफआईआर दर्ज करने की अनुमति मांगी है. योगी सरकार से अनुमति मिलते ही सिंचाई विभाग के तत्कालीन इंजीनियरों पर सीबीआई का शिकंजा कसेगा.

सीबीआई ने 30 नवंबर 2017 को शुरू की थी जांच
आपको बता दें कि 19 जून, 2017 को लखनऊ के गोमती नगर थाने में सिंचाई विभाग के तत्कालीन चीफ इंजीनियर गुलेश चंद (अब सेवानिवृत्त) सहित आठ अभियंताओं के खिलाफ गोमती रिवर फ्रंट निर्माण घोटाले में मुकदमा दर्ज कराया गया था. योगी सरकार ने 30 नवंबर 2017 को गोमती रिवर फ्रंट निर्माण में हुई अनियमितता की जांच सीबीआई को सौंपी थी. सीबीआई की शुरूआती जांच में पता चला था कि अखिलेश यादव की सरकार में टेंडर जारी करने तक के अधिकार भी चीफ इंजीनियरों को दिए गए थे. रिवर फ्रंट निर्माण के लिए जो अलग-अलग टेंडर किए गए थे उसमें सीबीआई को घपले के साक्ष्य मिले.

ईडी ने 2019 में 3 आरोपियों की संपत्ति अटैच की थी 
ईडी ने भी फरवरी 2018 में रिवरफ्रंट घोटाले के मामले में मनीलांड्रिंग का केस दर्ज कर अपनी पड़ताल शुरू की थी. ईडी के तत्कालीन संयुक्त निदेशक राजेश्वर सिंह के निर्देश पर 4 जुलाई 2019 को रिवर फ्रंट निर्माण घोटाले में आरोपित इंजीनियर रूप सिंह यादव, अनिल यादव और एसएन शर्मा के खिलाफ कार्रवाई की.

ईडी ने रूप सिंह यादव का नोएडा स्थित भूखंड, अनिल यादव के लखनऊ स्थित तीन भूखंड और एसएन शर्मा का गाजियाबाद स्थित फ्लैट अटैच किया था. ईडी ने इसके बाद आरोपित इंजीनियरों को तलब कर उनसे पूछताछ की थी. रिवर फ्रंट के निर्माण काम से जुड़े कई ठेकेदारों से भी गहनता से पूछताछ की गई थी.

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