IPS बनीं अपर्णा कौशिक !
एक बेटी की कामयाबी के पीछे पूरे परिवार का संघर्ष होता है। आज समय बदला है, बेटियां घर से निकलती हैं, तो उनकी सेफ्टी की पूरी गारंटी रहती है। एक समय था, जब महिलाएं रामपुर जैसे शहर में घरों से निकलने में कतराती थीं।
यह कहना है IPS अपर्णा रजत कौशिक का। 2015 बैच की IPS अधिकारी अपर्णा इस समय यूपी के अमेठी की SP हैं। इससे पहले कासगंज और औरैया जिले की कमान संभाल चुकी हैं। गाजियाबाद में सहायक पुलिस अधीक्षक और शाहजहांपुर में SPRA के पद पर तैनात रहीं।
राजधानी लखनऊ में DCP रहते हुए माफिया और बदमाशों की रीढ़ तोड़ी। अपर्णा कौशिक ने बिजनेस एनालिसेस की जॉब छोड़कर कैसे खाकी वर्दी तक का सफर पूरा किया?
खाकी वर्दी में IPS अपर्णा रजत कौशिक की कहानी 6 चैप्टर में पढ़ेंगे…
यूपी के रामपुर की रहने वाली अपर्णा रजत कौशिक बताती हैं- मेरी डेट ऑफ बर्थ 7 मार्च, 1991 है। मां के संघर्ष ने मुझे जो प्रेरणा दी, उसी वजह से आज मैं इस मुकाम पर हूं। मेरी सफलता के पीछे मां प्रीति गौतम का बहुत योगदान है। उनके जीवन के संघर्ष को मैं शब्दों में बता भी नहीं सकती।
मेरे पापा रणवीर सिंह गौतम सब-रजिस्ट्रार थे। यह दुर्भाग्य था कि मेरे जन्म से पहले ही पिता का निधन हाे गया। मम्मी ने मुझे और बहन को कभी कोई तकलीफ महसूस नहीं होने दी।
मेरी मम्मी पहली महिला उच्च शिक्षा निदेशक रही हैं। 2019 में वह रिटायर हुईं। साल 1985 में मम्मी ने UPSC क्रैक करते हुए IAS बनीं, लेकिन उन्होंने जॉइन नहीं किया। मैंने अपने पापा को नहीं देखा, लेकिन मम्मी ने मां और पिता दोनों का फर्ज निभाया। हमेशा हमें मोटिवेट किया।
अपर्णा बताती हैं- मेरी प्राइमरी एजुकेशन रामपुर शहर से हुई। दयावती मोदी एकेडमी से सीबीएसई से 10वीं तक की पढ़ाई की। घर से स्कूल की दूरी करीब 12 किमी थी। मैं बस से स्कूल जाती थी। 2006 में मैं हाईस्कूल में स्टेट की टॉपर रही।
मुझे कभी कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन पहले का रामपुर आज जैसा रामपुर नहीं था। कई बार फ्रेंड बताती थीं कि महिलाओं और छात्राओं को निकलने में असहजता होती थी। मैं तो स्कूल बस से जाती थी, लेकिन जो सहेलियां पैदल आती थी, उनकी बातें सुन मुझे गुस्सा आता था। वो बताती थीं कि कैसे लोग उन्हें घूरते हैं। तब महिलाएं सुरक्षित नहीं थीं। लेकिन, अब का रामपुर बदल गया है। अब बहन-बेटियां सुरक्षित हैं।
अपर्णा बताती हैं- मैं अपने परिवार की चौथी पीढ़ी की वो संतान हूं, जो पुलिस विभाग में है। मेरे परदादा अंग्रेजों के समय पुलिस में थे। दादा भी ब्रिटिश राज में पुलिस विभाग में रहे हैं। मम्मी अधिकारी रहीं, तो कभी मन में डर जैसी कोई बात नहीं रही। लेकिन दूसरी महिलाओं और छात्राओं की परेशानी हमेशा देखती, तो बस इसे सॉल्व करने के रास्ते तलाशती।
अपर्णा बताती हैं- रामपुर से हाईस्कूल की पढ़ाई करने के बाद मम्मी ने मुझे जयपुर भेज दिया। यहां 2008 में सेंट जेजियस स्कूल से फर्स्ट डिवीजन से 12वीं पास की। उसके बाद NIT प्रयागराज से बीटेक की पढ़ाई की। 2012 में बीटेक कंप्लीट किया। फिर मुझे कैंपस प्लेसमेंट से अच्छी जॉब मिल गई।
2012 में 18 लाख रुपए सालाना पैकेज पर गुरुग्राम में मुझे जॉब मिली। मैं बतौर बिजनेस एनालिटिक्स के पोस्ट पर थी। कॉर्पोरेट जॉब थी, जहां गाड़ी ऑफिस तक छोड़ने जाती, फिर लेकर आती। नौकरी बढ़िया थी, लेकिन मेरी मंजिल वो नहीं थी।
सच बताऊं, तो मैंने बीटेक की पढ़ाई के दौरान ही ठान लिया था कि पब्लिक के लिए काम करना है। लोगों की सुरक्षा के बारे में सोचना है। मैंने ठान लिया था कि सिविल सर्विसेज की तैयारी करनी है और UPSC क्रैक करना है।
गुरुग्राम में ही मैंने नौकरी करते हुए अपनी तैयारी शुरू कर दी। ऑफिस के बाद मैं स्टडी करती। हर रोज नोट्स बनाती। मुझे बस अपना टारगेट दिखाई देता। यही लगता कि किसी भी तरह मुझे यूपीएससी क्रैक करना है।
जब मैंने यूपीएससी का एग्जाम दिया, तो मुझे विश्वास था कि इसे क्रैक कर लूंगी। मैंने अपनी तरफ से पूरी तैयारी की थी। रिजल्ट आया, तो मेरा कॉन्फिडेंस और बढ़ गया। मैं पास हो गई थी।
इसके बाद इंटरव्यू की तैयारी की और फाइनल रिजल्ट में रामपुर से निकली लड़की यूपीएससी पास हो चुकी थी। रिजल्ट आते ही मैंने सबसे पहले मम्मी को फोन किया। मैंने बताया- मम्मी… सामने से मम्मी बोल पड़ी- बेटा, मुझे पता था कि आप जरूर अफसर बनोगे। मतलब, मम्मी को मुझसे पहले ही खुशखबरी मिल चुकी थी। घर-परिवार की खुशी देखते ही बन रही थी। अपनी लाइफ का वो दिन मैं कभी नहीं भूल सकती।
अपर्णा कौशिक बताती हैं- ट्रेनिंग के बाद मेरी पहली पोस्टिंग गाजियाबाद में हुई। मुझे मसूरी थाने का चार्ज मिला। यह सबसे संवेदनशील थाना है, जिसे एक बार दंगे में जला दिया गया था। यहां छात्राओं की सुरक्षा को लेकर मैंने अभियान चलाया। मुझे पता चला कि स्कूलों की छुट्टी से पहले ही कुछ लड़के रास्ते में खड़े हो जाते हैं। फिर लड़कियों का पीछा करते हैं। गलत कमेंट करते, कभी-कभी बात छेड़खानी तक भी पहुंच जाती।
लड़कों की इस हरकत पर मैंने सख्त एक्शन लिया। अपनी टीम को सिविल ड्रेस में तैनात किया। लड़कों की पहचान करते हुए उन्हें सजा दी। कई लड़के तो नाबालिग थे। ऐसे में उनके घर-परिवार के लोगों को बुलाकर मॉनिटरिंग के निर्देश दिए और मान-सम्मान, मर्यादा की बात की। इससे मसूरी में इस तरह की घटनाओं में तेजी से गिरावट आई।
मसूरी के बाद गाजियाबाद में ही ASP सदर और इंदिरापुरम में तैनाती मिली। जून, 2019 की बात है। मैं अपने ऑफिस में जनसुनवाई कर रही थी। तभी एक आदमी नेवी की ड्रेस में पहुंचा। वो जोरदार आवाज में खुद को कैप्टन बताने लगा। पहले तो उस शख्स ने पुलिस पर रौब झाड़ा। फिर मैं उठी। मैंने उससे पूछा कि भाई, पुलिस के साथ ऐसा बिहेवियर क्यों? जवाब में वो मुझसे भी भड़कने लगा। बोला- मैं नेवी का कैप्टन हूं। मुझसे सवाल नहीं कर सकती हो।
उसकी बातचीत से मुझे संदेह हुआ। मैंने उससे पोस्टिंग के बारे में पूछा। एक के बाद एक कई सवाल किए। उसके पास किसी भी सवाल का जवाब नहीं था। मैंने तत्काल एक्शन लिया और जांच करवाई। पता चला वो नेवी में नहीं है। उसके सारे डॉक्यूमेंट मांगे, तो सकपका गया।
वह बस फर्जी कैप्टन बनकर अपने काम का दबाव डालने आया था। लिहाजा, उसे गिरफ्तार करवाया गया। जांच में पता चला कि उसका असली नाम विभव पांडे है, जो यूपी के फतेहपुर का रहने वाला है।
अपर्णा बताती हैं- अगस्त 2020 की बात है। मैं शाहजहांपुर जिले में SPRA के पद पर तैनात थीं। एक महिला ने एसपी को शिकायत करते हुए आरोप लगाया कि इंस्पेक्टर सुनील शर्मा ने एक महीने तक रेप किया। पीड़िता 30 साल की होगी। यह केस मेरे पास आया। मैं सुबह-सुबह ही जांच करने पहुंच गई।
सिविल ड्रेस में गई, अपनी सरकारी गाड़ी और गनर दूर खड़े कर दिए। ऐसा इसलिए किया, ताकि किसी को शक न हो कि मैं एक महिला पुलिस अधिकारी हूं। मैंने सभी आरोपों की अलग-अलग एंगल से जांच की। पीड़िता की रिश्तेदार बनकर इंस्पेक्टर सुनील शर्मा से बात की।
उसके एटीट्यूड और तमाम सबूतों ने बताया कि जो आरोप सुनील शर्मा पर लगे हैं, वो बिल्कुल सही हैं। उसने बंडा थाना प्रभारी रहते हुए गलत हरकत की थी। इसके बाद महिला को इंसाफ दिलाते हुए इंस्पेक्टर की रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को भेजी। इंस्पेक्टर निलंबित हुआ और कानूनी कार्रवाई हुई। मुझे अच्छे से याद है कि उस पीड़िता ने मुझसे कहा था कि उसे न्याय की उम्मीद नहीं, क्योंकि केस पुलिस वाले से जुड़ा है। लेकिन, हमने उसके भ्रम को तोड़ा।
अपर्णा बताती हैं- शाहजहांपुर में अवैध शराब के मामले में 60 से ज्यादा लोगों को अरेस्ट किया। देहात क्षेत्र में बड़े स्तर पर कच्ची शराब का काम होता था। लखीमपुर बार्डर के जंगलों में बने घरों में शराब बनाकर अलग-अलग स्थानों पर सप्लाई होती। कई बार पुलिस पर हमले हुए। यहां शराब माफियाओं की रीढ़ तोड़ी। शराब माफियाओं के गैंग रजिस्टर्ड कर उनकी संपत्ति जब्त की। इस काम में महिलाएं भी साथ देती थीं।
शाहजहांपुर में सीढ़ी मार गैंग डकैती और लूट करता था। यह गैंग बरेली, पीलीभीत, हरदोई में भी कई घटनाओं को अंजाम दे चुका था। यह अपनी सीढ़ी साथ ले जाते, रात में घर में घुसकर डकैती डालते। कोई शक न करे, इसलिए खुद को बिजली विभाग का कर्मचारी बताते। कई बार यह सीढ़ी भी पड़ोस से चोरी करते थे, जिससे पुलिस पड़ोसी पर संदेह करे। इस गैंग ने 20 से अधिक वारदात कीं।
अपर्णा कौशिक ने बताया- शाहजहांपुर के कटरा क्षेत्र में 4 साल की बच्ची से रेप की घटना सामने आई। इस घटना में पुलिस ने 3 घंटे में ही दरिंदे को पकड़ लिया। पूछताछ में आरोपियों ने अपनी संलिप्तता स्वीकार की। इस घटना में शामिल बच्ची से दरिंदगी करने के आरोपी पर NSA लगाया गया।
अपर्णा बताती हैं- 2021 में मुझे औरैया का एसपी बनाया गया। कुछ समय बाद इटावा के एसपी आकाश तोमर पारिवारिक कारणों से अवकाश पर चले गए। इस दौरान मुझे औरैया के साथ इटावा के कप्तान का चार्ज भी सौंप दिया गया। इटावा में 4 लड़कियां एक साथ गायब हो गईं। रात में मुझे यह सूचना मिली। इसके बाद मैं इटावा पहुंच गई। लड़कियों का मामला था, पूरा घटनाक्रम उच्च अधिकारियों को बताया।
लड़कियों को बरामद करने के लिए पुलिस की 4 टीमें लगाईं। शहर से लेकर देहात तक सभी स्थानों पर कैमरों की फुटेज भी देखी गईं। पता चला कि चारों लड़कियां ट्रेन से महाराष्ट्र की तरफ गई हैं। आरपीएफ मुंबई की मदद से 48 घंटे में चारों लड़कियों को बरामद किया गया। अगर पुलिस एक्टिव नहीं होती तो इन लड़कियों के साथ अनहोनी भी हो सकती थी। इसमें पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए काम किया। यहां एक MLC पर भी रासुका के तहत कार्रवाई हुई।
औरैया में एक छोटी बच्ची के साथ घटना हुई। इसमें पता चला कि पास का रहने वाला एक युवक बच्ची को गलत काम से ले गया। आरोपी ने बच्ची से दरिंदगी की। बच्ची का मामला था, इसलिए मैं खुद जांच करने मौके पर पहुंची। उसी दिन आरोपी को अरेस्ट किया। साथ ही इस पूरे केस की मॉनिटरिंग की। चौथे दिन ही कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी। कोर्ट ने पुलिस की इस प्रक्रिया को सराहा।
अपर्णा बताती हैं- औरैया की एसपी रहने के बाद मैं लखनऊ में डीसीपी सेंट्रल रहीं। यहां विधानसभा चुनाव के साथ ही वीआईपी कार्यक्रम भी सकुशल सम्पन्न कराए। आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम पूरा कराया।
हजरतगंज थाना क्षेत्र में 70 साल की एक महिला अपने घर में अकेली रहती थीं। एक पड़ोस का व्यक्ति महिला के घर में घुस गया। आरोपी ने अश्लील हरकतें की। सूचना मिलने के 15 मिनट में ही मैं मौके पर पहुंच गई। महिला ने पूरी बात बताई। एक घंटे के अंदर केस दर्ज कर आरोपी को अरेस्ट किया। अगले ही दिन यानी 36 घंटे में आरोपी के खिलाफ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी।
यह मेरे अभी तक के रिकार्ड में सबसे तेज कार्रवाई रही। उसके बाद 2024 में कासगंज में एसपी की जिम्मेदारी मिली। यहां अधिवक्ता मोहिनी तोमर हत्याकांड का खुलासा किया।
अपर्णा बताती हैं- 19 नवंबर, 2024 को एक 35 साल की महिला का शव मिला। मैं मौके पर जांच करने गई, लेकिन शव की पहचान नहीं हो सकी। इसमें पुलिस की टीम लगाई। यह बात साफ होने लगी थी कि महिला को बेरहमी से मारा गया है। हत्या करने वाले उसके परिवार के लोग भी हो सकते हैं।
मैं रोज इस केस के लिए सीओ और थाना प्रभारी से पूछती। करीब 15 दिन बाद एक महिला मेरे ऑफिस आई। उन्होंने कहा कि मैम, जो लाश मिली थी वह मेरी बहन है। मैंने महिला की पूरी बात सुनी। महिला ने बताया कि जो मारी गई है,, उसकी दो बेटियां भी नहीं मिल रही हैं। इसके बाद मैंने फिर से जांच शुरू की। वो महिला दिल्ली की रहने वाली थी।
मैंने तत्काल दो टीमें दिल्ली भेजीं। क्राइम स्पॉट से लेकर दिल्ली जाने वाले रास्ते के तमाम सीसीटीवी फुटेज देखे गए। पता चला कि दोनों बेटियां भी महिला के साथ घर से आई थीं। महिला के पति को ट्रेस किया गया। जांच में आया कि महिला जिसकी हत्या की गई, उसके पति के एक अन्य महिला से संबंध हैं। दोनों को पुलिस ने हिरासत में लिया।
पुलिस ने सबसे पहले महिला की दोनों बेटियों की तलाश की। पति लगातार अपने को बेकसूर बताता रहा था। इसके बाद महिला के पति के सामने उसकी प्रेमिका को लाया गया। पूछताछ में प्रेमिका ने बताया कि दोनों बेटियों की हत्या कर दी गई है। दोनों की लाशें कासगंज-बदायूं नहर के किनारे फेंकी गई हैं। उसकी निशानदेही पर हमने बच्चियों की सड़ी हुई लाशें बरामद कीं।
इस पूरी वारदात के बाद डीआईजी अलीगढ़ प्रभाकर चौधरी भी घटनास्थल पर पहुंचे। अज्ञात में जिस महिला का शव मिला था, उसकी पहचान करते हुए तिहरे हत्याकांड का खुलासा किया। यह पूरी घटना ढोलना थाना क्षेत्र की थी। 19 नवंबर को महिला का शव मिला। उसकी पहचान बबीता के रूप में हुई। 15वें दिन केस को सॉल्व करते हुए महिला के पति अभिषेक, उसकी प्रेमिका मुस्कान को अरेस्ट कर जेल भेजा। प्रेमिका से शादी के लिए अभिषेक ने अपनी पत्नी और 2 बेटियों की हत्या की थी। दो सप्ताह पहले शासन ने अमेठी जिले में एसपी की जिम्मेदारी दी है।
शादी में फिजूल खर्च न करें अपर्णा कहती हैं- मैं समाज में यह मैसेज देना चाहती हूं कि शादी में फिजूल खर्च न करें। मैंने 2018 में अपनी और परिवार की मर्जी से रजत कौशिक से शादी की। रजत कौशिक प्राइवेट जॉब में सीनियर पोस्ट पर हैं। हमारी शादी में जो खर्च होना था, उसे बचाया गया। पूरा पैसा महिला सहायता समूह को लोगों की मदद के लिए दिया गया। जिससे उन महिलाओं की आर्थिक मदद हो सके। समाज में दहेज के बिना शादी करनी चाहिए।
अपर्णा को जानवरों से बेहद लगाव है। इसके अलावा वह त्योहार-पर्व पर गरीब-वंचितों से मुलाकात करती हैं। उन्हें गिफ्ट देती हैं। लेडी IPS अधिकारी जब भी अपने काम से ऑफिस निकलती हैं, तो रास्ते में पैदल स्कूल जा रहीं छात्राओं को गाड़ी में बैठा लेती हैं। उन्हें स्कूल तक छोड़ती हैं और इस दौरान दोस्त की तरह बातें करती हैं।
अचीवमेंट्स
- डीजीपी के सिल्वर मेडल से सम्मानित किया जा चुका है।
- डीजीपी के गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जा चुका है।
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