जूना अखाड़े में 1500 से अधिक नागा संन्यासियों का हुआ दीक्षा संस्कार

सनातन की शक्ति का हुआ विस्तार, जूना अखाड़े में 1500 से अधिक नागा संन्यासियों का हुआ दीक्षा संस्कार
नागा संन्यासियों केवल कुंभ में बनते हैं वहीं उनकी दीक्षा होती है। सबसे पहले साधक को ब्रह्मचारी के रूप में रहना पड़ता है। उसे तीन साल गुरुओं की सेवा करने और धर्म-कर्म और अखाड़ों के नियमों को समझना होता है। 
प्रयागराज महाकुम्भ में 5 हजार से अधिक नागाओं की फौज होगी अखाड़ों में शामिल ….
प्रयागराज महाकुम्भ का श्रृंगार है यहां सेक्टर 20 में मौजूद सनातन धर्म के ध्वज वाहक 13 अखाड़े। महाकुम्भ नगर में जन आस्था के केंद्र इन अखाड़ों के नागा संन्यासियों की फौज में नई भर्ती का सिलसिला शुरू हो गया है। गंगा के तट पर श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अवधूतों को नागा दीक्षा की प्रक्रिया शुरू हो गई। संन्यासी अखाड़ों में सबसे अधिक नागा संन्यासियों वाला अखाड़ा है श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा जिसमें निरंतर नागाओं की संख्या बढ़ती जा रही है जिसके विस्तार की प्रक्रिया शनिवार से शुरू हो गई। 
Mahakumabh 2025 more than 1500 Naga ascetics initiated in Juna Akhara
श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के 1500 अवधूत बने नागा संन्यासी
भगवान शिव के दिगम्बर भक्त नागा सन्यासी महाकुम्भ में सबका ध्यान अपनी तरह खींचते हैं और यही वजह है शायद कि महाकुम्भ में सबसे अधिक जन आस्था का सैलाब जूना अखाड़े के शिविर में दिखता है। अखाड़ों की छावनी की जगह सेक्टर 20 में गंगा का तट इन नागा संन्यासियों की उस परम्परा का साक्षी बना जिसका इंतजार हर 12 साल में अखाड़ों के अवधूत करते हैं । श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय मंत्री श्री महंत चैतन्य पुरी ने बताया कि शनिवार को नागा दीक्षा की शुरुआत हो गई है। पहले चरण में 1500 से अधिक अवधूत को नागा संन्यासी की दीक्षा दी जा रही है । नागा संन्यासियों की संख्या में जूना अखाड़ा सबसे आगे है जिसमे अभी 5.3 लाख से अधिक नागा संन्यासी हैं। 
Mahakumabh 2025 more than 1500 Naga ascetics initiated in Juna Akhara
महाकुम्भ और नागा संन्यासियों का दीक्षा कनेक्शन
नागा संन्यासियों केवल कुंभ में बनते हैं वहीं उनकी दीक्षा होती है। सबसे पहले साधक को ब्रह्मचारी के रूप में रहना पड़ता है। उसे तीन साल गुरुओं की सेवा करने और धर्म-कर्म और अखाड़ों के नियमों को समझना होता है। इसी अवधि में ब्रह्मचर्य की परीक्षा ली जाती है। अगर अखाड़ा और उस व्यक्ति का गुरु यह निश्चित कर ले कि वह दीक्षा देने लायक हो चुका है तो फिर उसे अगली प्रक्रिया में ले जाया जाता है। यह प्रकिया महाकुम्भ में होती है जहां वह ब्रह्मचारी से उसे महापुरुष और फिर अवधूत बनाया जाता है। 
Mahakumabh 2025 more than 1500 Naga ascetics initiated in Juna Akhara
मुंडन के बाद 108 बार नदी में लगवाई डुबकी
महाकुम्भ में गंगा किनारे उनका मुंडन कराने के साथ उसे 108 बार महाकुम्भ की नदी में डुबकी लगवाई जाती है। अन्तिम प्रक्रिया में उनका स्वयं का पिण्डदान तथा दण्डी संस्कार आदि शामिल होता है। अखाड़े की धर्म ध्वजा के नीचे अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर उसे नागा दीक्षा देते हैं। प्रयाग के महाकुम्भ में दीक्षा लेने वालों को  राज राजेश्वरी नागा, उज्जैन में दीक्षा लेने वालों को खूनी नागा, हरिद्वार में दीक्षा लेने वालों को बर्फानी व नासिक वालों को खिचड़िया नागा के नाम से जाना जाता है। इन्हें अलग-अलग नाम से केवल इसलिए जाना जाता है, जिससे उनकी यह पहचान हो सके कि किसने कहां दीक्षा ली है।

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