देश में खुलेंगे 100 नए सैनिक स्कूल, रक्षा मंत्री बोले- शिक्षा गुणवत्ता में सुधार ला रही सरकार

देश में खुलेंगे 100 नए सैनिक स्कूल, रक्षा मंत्री बोले- शिक्षा गुणवत्ता में सुधार ला रही सरकार

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने केरल के अलप्पुझा में विद्याधिराज सैनिक स्कूल के 47वें वार्षिक दिवस समारोह का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर भारत स्वास्थ्य, संचार, उद्योग, परिवहन और रक्षा जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बन रहा तो दूसरी ओर शिक्षा क्षेत्र में क्रांति और बच्चों के सर्वांगीण विकास की जरूरत है।
Defense Minister laid emphasis on environmental protection, said- use and throw economy should end
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह…

केरल में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि देश भर में 100 नये सैनिक स्कूल खोले जाएंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बुनियादी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने और देश के समग्र विकास के लिए काम कर रही है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने केरल के अलप्पुझा में विद्याधिराज सैनिक स्कूल के 47वें वार्षिक दिवस समारोह का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने सैनिक स्कूल में लड़कियों के दाखिले को मंजूरी दे दी है। 

उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने देश के दूरदराज के क्षेत्रों और विविध सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के कर्मियों को शामिल करने के लिए भारत के हर जिले में सैनिक स्कूल स्थापित करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि जहां एक ओर भारत स्वास्थ्य, संचार, उद्योग, परिवहन और रक्षा जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बन रहा तो दूसरी ओर शिक्षा क्षेत्र में क्रांति और बच्चों के सर्वांगीण विकास की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि सैनिक को केवल युद्ध के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि हर सैनिक में कई अन्य गुण मौजूद होते हैं। सैनिक अनुशासित होता है, अपने लक्ष्यों पर केंद्रित रहता है। वह निस्वार्थ भाव से सेवा करता है और आत्म-नियंत्रित एवं समर्पित होता है। उन्होंने कहा कि ये गुण स्वामी विवेकानंद, आदि शंकराचार्य और राजा रवि वर्मा जैसी महान हस्तियों में भी थे। उनके युद्धक्षेत्र सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और धार्मिक सुधार थे।

उपयोग करो और फेंक दो वाली अर्थव्यवस्था खत्म करने की जरूरत: राजनाथ
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने केरल के पथनमथिट्टा जिले में कवि, पर्यावरणविद् और मानवाधिकार कार्यकर्ता सुगाथाकुमारी की 90वीं जयंती समारोह के समापन कार्यक्रम में भी भाग लिया। उन्होंने कहा कि भारत का विकास तेजी हो रहा है। केंद्र सरकार जलवायु अनुकूल भविष्य के रोडमैप पर काम कर रही है। पर्यावरण को लेकर हमें अपने व्यवहार में बदलाव करने की जरूरत है। उपयोग करो और फेंक दो वाली अर्थव्यवस्था को खत्म करने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि सुगाथाकुमारी न केवल कवि थीं बल्कि समाज की अंतरात्मा की रक्षक थीं। उनका काम भावनात्मक सहानुभूति, मानवतावादी संवेदनशीलता और नैतिक सतर्कता से भरा हुआ था। उन्होंने सामाजिक और पर्यावरणीय चिंताओं को खूब उजागर किया। 

रक्षा मंत्री ने कहा कि मानव को प्राकृतिक संसाधनों का ट्रस्टी होना चाहिए, लेकिन कभी भी उसका स्वामी नहीं बनना चाहिए। प्रकृति का कभी भी दोहन नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि इसका आदर, पूजन और बिना किसी बर्बादी के इसका उपयोग किया जाना चाहिए। मनुष्य होने के नाते हम बुद्धिमान प्रजाति माने जाते हैं। लेकिन हमने कई गलत मोड़ लिए। शुक्र है कि हमारे पास सुगाथाकुमारी जी जैसे लोग थे, जिन्होंने प्रकृति की सेवा अपने बच्चे की तरह की। उन्होंने कहा कि महाकुंभ 2025 में वृक्षारोपण के लिए मियावाकी तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। लाखों श्रद्धालुओं के लिए स्वच्छ हवा और स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित करने के लिए प्रयागराज में घने जंगल बनाए गए हैं।

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