सिंधिया को बताया ‘भगौड़े राजाजी’ ?

एमपी कांग्रेस के बड़े नेता ने सिंधिया को बताया ‘भगौड़े राजाजी’, मचा सियासी घमासन

MP News: पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सिंधिया पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि ‘भगौड़े राजाजी’ जितनी जल्दी समझ जाएंगे, ‘संतुलित’ हो जाएंगे। वैसे भी मप्र की जनता एक कथित ‘महाराज’ को “महा-राज़” बना चुकी है।

MP News: मध्यप्रदेश की राजनीति में अब ज्तोरिादित्य सिंधिया और पीसीसी जीतू पटवारी आमने-सामने आ गए हैं। सिंधिया ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि विधान को अपनी ‘पॉकेट डायरी’ समझने वाले नेता राहुल गांधी द्वारा आजादी से पूर्व भारत के राजपरिवारों की भूमिका को लेकर दिया गया बयान उनकी संकीर्ण सोच व समझ को उजागर करता है। इस पर जीतू पटवारी ने पलटवार करते हुए कहा कि लोकतंत्र में सिर्फ जनता ही राजा है! ‘भगौड़े राजाजी’ जितनी जल्दी समझ जाएंगे, ‘संतुलित’ हो जाएंगे।
सिंधिया ने राहुल गांधी पर साधा था निशाना
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के माध्यम से राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए कहा था कि विधान को अपनी ‘पॉकेट डायरी’ समझने वाले नेता राहुल गांधी द्वारा आजादी से पूर्व भारत के राजपरिवारों की भूमिका को लेकर दिया गया बयान उनकी संकीर्ण सोच व समझ को उजागर करता है। सत्ता और कुर्सी की भूख में वह भूल गए हैं की इन राजपरिवारों ने वर्षों पहले भारत में समानता और समावेशी विकास की नींव रखी थी।
तानाशाही विचारधारा को जन्म देने वाली कांग्रेस थी- सिंधिया
आगे सिंधिया ने लिखा कि बड़ौदा महाराज सयाजीराव गायकवाड़ ने हमारे संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर को शिक्षा प्राप्त करने के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई थी। छत्रपति साहूजी महाराज ने 1902 में पहली बार देश के बहुजनों को अपनी शासन व्यवस्था में 50 प्रतिशत आरक्षण देकर सामाजिक न्याय की बुनियाद रखी थी। पिछड़े वर्गों को शैक्षणिक रूप से सशक्त बनाने के लिए ग्वालियर के माधव महाराज प्रथम ने पूरे ग्वालियर- चंबल में शिक्षा और रोजगार के केंद्र खुलवाये थे। वह तानाशाही विचारधारा को जन्म देने वाली कांग्रेस थी जिन्होंने दलितों, वंचितों और पिछड़े वर्ग के अधिकारों पर कुठाराघात करने का काम किया। राहुल गांधी, पहले इतिहास पढ़ें, फिर बयानबाजी करें।
जीतू पटवारी ने बताया ‘भगौड़े राजाजी’
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने एक्स के माध्यम से सिंधिया पर पलटवार करते हुए लिखा कि राजस्थान की एक चर्चित लोकोक्ति है -“राणाजी केहवे वठैई रेवाड़ी।” मतलब ‘समर्थ और समृद्ध व्यक्ति की उचित या अनुचित बात को हर जगह प्रधानता मिलती है!’ लेकिन, यह पुरानी किताबों में दर्ज उस दौर की दास्तां है, जब राजे-रजवाड़े हुआ करते थे। हमारे ज्योतिरादित्य सिंधिया जी जब भी उस दौर में दाखिल होते हैं, पुराना दर्द उभर आता है! भूल जाते हैं कि “राजशाही” के अंतिम संस्कार के बाद अब “लोकशाही” का दौर है। लोकतंत्र में सिर्फ जनता ही राजा है। ‘भगौड़े राजाजी’ जितनी जल्दी समझ जाएंगे, ‘संतुलित’ हो जाएंगे। वैसे भी मप्र की जनता एक कथित ‘महाराज’ को “महा-राज़” बना चुकी है।

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