निर्भया कांड से 20 दिन पहले बनी ‘आप’:मोदी ने दिल्ली को रेप कैपिटल कहा !

निर्भया कांड से 20 दिन पहले बनी ‘आप’:मोदी ने दिल्ली को रेप कैपिटल कहा; फांसी के लिए रात ढाई बजे खुला सुप्रीम कोर्ट

16 दिसंबर 2012, संडे का दिन। शाम करीब 4 बजे का वक्त रहा होगा। 23 साल की एक लड़की अपने दोस्त के साथ दिल्ली के सिलेक्ट सिटी वॉक सिनेमा हॉल में मूवी देखने जाती है। मूवी का नाम था ‘लाइफ ऑफ पाई’। कनैडियन लेखक यान मार्तेल की किताब पर बनी यह फिल्म बेस्ट सर्वाइवल मूवी मानी जाती है।

फिल्म में पाई नाम का एक लड़का परिवार के साथ समुद्री जहाज से कनाडा जा रहा है। अचानक जहाज डूब जाता है। वह अपना परिवार गंवा देता है, लेकिन लाइफबोट पर होने के कारण उसकी जान बच जाती है। लाइफबोट पर उसके साथ एक बाघ भी जिंदा बच जाता है। अंत में दोनों की दोस्ती हो जाती है।

कॉल सेंटर में काम करके फिजियोथेरेपी की पढ़ाई करने वाली वो लड़की, मूवी देखने के बाद अपने घर द्वारका के लिए ऑटो का इंतजार करने लगती है। काफी इंतजार के बाद भी द्वारका के लिए कोई ऑटो नहीं मिलता है। फिर एक ऑटो में बैठकर वह दोस्त के साथ मुनिरका बस स्टैंड पहुंचती है।

अब तक रात के करीब आठ बज चुके हैं। मुनिरका से द्वारका के लिए वे बस का इंतजार करने लगते हैं। रात होने की वजह से बस मिलना मुश्किल लग रहा। दोनों घबराए हुए हैं। इसी बीच एक सफेद प्राइवेट बस उनके पास आकर खड़ी होती है। अंदर 5-6 लड़के बैठे हैं। एक लड़का गेट से नीचे उतरकर दोनों को बस में बैठाने लगता है। पहले दोनों थोड़ा घबराते हैं, फिर बैठ जाते हैं।

कुछ देर चलने के बाद बस अचानक से एक सुनसान रास्ते की तरफ बढ़ने लगती है। लड़की का दोस्त ड्राइवर से कहता है कि ये गलत रास्ता है, तभी बस में पहले से मौजूद लड़के उसके साथ मारपीट करने लगते हैं। नशे में धुत ये लड़के उसके सिर और पैरों पर रॉड से वार करके अधमरा कर देते हैं।

फिर लड़की को जबरन उठाकर पीछे की सीट पर ले जाते हैं। 6 लड़के उसके साथ गैंगरेप करते हैं। उसके शरीर में लोहे की रॉड डाल देते हैं। अब रात के 9 बज गए थे। लड़कों को लगा कि लड़की मर गई। वे मोबाइल, एटीएम कार्ड, पर्स, जूते और घड़ी लूट लेते हैं। फिर दोनों को दक्षिण दिल्ली के महिपालपुर इलाके में ले जाकर सड़क किनारे झाड़ियों में फेंक देते हैं।

रात करीब 11 बजे दिल्ली पुलिस कंट्रोल रूम की गाड़ी वहां से गुजरती है। लड़का आवाज देता है। पुलिस की गाड़ी रुकती है। लड़की लहूलुहान पड़ी है। शरीर पर दर्जनों घाव हैं। दरिंदों ने उसे निर्वस्त्र कर दिया था। उसका दोस्त भी जख्मी हो चुका था। पुलिस दोनों को गाड़ी में उठाकर रखती है और वहां से 12 किलोमीटर दूर सफदरजंग अस्पताल लेकर जाती है।

13 दिन बाद यानी 29 अक्टूबर को लड़की जिंदगी की जंग हार जाती है। मीडिया लड़की का नाम ‘निर्भया’ रखती है। निर्भया के इंसाफ के लिए ठिठुरती दिल्ली की सड़कों पर लोग जम जाते हैं। दरिंदों को फांसी दो के नारों से दिल्ली गूंज उठती हैं। पोस्टर-बैनरों से दीवारें पट जाती हैं। इस पर राजनीति भी जमकर होती है।

आखिरकार 7 साल 3 महीने और 8 दिन बाद 20 मार्च 2020 की सुबह 5.30 बजे चारों दरिदों को फांसी दे दी गई। ‘दिल्ली के महाकांड’ सीरीज के तीसरे एपिसोड में आज कहानी निर्भया गैंगरेप कांड की…

7 साल बाद इंसाफ... दोषियों की फांसी के बाद खुशी जाहिर करतीं निर्भया की मां।
7 साल बाद इंसाफ… दोषियों की फांसी के बाद खुशी जाहिर करतीं निर्भया की मां।

एक इंटरव्यू में निर्भया की मां बताती हैं- ‘संडे का दिन था। साढ़े तीन चार बजे वो घर से निकली और बोली कि दो-तीन घंटे में आती हूं। रात 9 बजे के आसपास बेटे से उसे फोन करवाया। एक-दो बार फोन किया, लेकिन लगा नहीं। एक बार फोन लगा भी तो एक-दो घंटी बाद ही कट गया। मैं कई बार पास के बस स्टैंड गई। बच्चे भी वहां गए, लेकिन उसकी कोई खबर नहीं मिली।

रात करीब 10 बजे उसके पापा काम से लौटे। हम लोग उन्हें बाहर सड़क पर ही मिल गए। उन्होंने हमें देखते ही कहा- इतनी रात को ठंड में क्यों खड़े हो तुम लोग। फिर मैंने उन्हें बताया कि बेटी अभी तक घर नहीं लौटी है। फोन भी नहीं लग रहा। उसके बाद वे भी फोन करने लगे, लेकिन बात नहीं हो पा रही थी।

रात करीब 11.30 बजे सफदरजंग हॉस्पिटल से उसके पापा के नंबर पर फोन आया। वहां से बताया गया कि आपकी बेटी का एक्सीडेंट हो गया है। उसके पापा अपने दोस्त के साथ बाइक पर बैठकर निकल लिए। बोले कि मैं फोन करूंगा तो तुम आना।

कुछ देर बाद उसके पापा का फोन आया कि जल्दी आ जाओ, उसकी हालत बहुत खराब है। मैं दौड़ी-भागी हॉस्पिटल पहुंची तो देखा कि डॉक्टर उसे ऑपरेशन के लिए ले जा रहे थे। वो आंख खोली तो रोने लगी। उसका पूरा शरीर खून से लथपथ था। ऐसा लग रहा था कि उसे जंगल-झाड़ियों से घसीटकर लाया गया है। पूरा शरीर छलनी हो गया था।’

निर्भया की मां बताती हैं कि मुझे नहीं पता था कि वो आखिरी बार घर से जा रही है।
निर्भया की मां बताती हैं कि मुझे नहीं पता था कि वो आखिरी बार घर से जा रही है।

निर्भया की मां कहती हैं- ‘एक डॉक्टर ने मुझसे बताया- ‘बीस साल हो गए इस पेशे में काम करते हुए। मुझे समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या जोड़ूं। बीस फीट की आंत होती है, लेकिन एक फीट भी आंत साबूत नहीं बची है। भगवान कोई चमत्कार करेंगे तो ही कुछ हो सकता है।’

निर्भया को होश आया तो उसने पानी मांगा। मैं पानी देने लगी तो डॉक्टरों ने मना कर दिया। मुझे याद है कि उसने खाना भी मांगा था, लेकिन मैं उसे खाना भी नहीं खिला पाई। आज भी दुख होता है कि 13 दिन जिंदा रहने के बाद भी वो एक बूंद पानी के लिए तरस गई।

एक रोज डॉक्टर मेरे पास आए और बोले कि चलो आपको कुछ दिखाता हूं। मैं उनके साथ बाहर गई, तो देखा कि सैकड़ों लोग प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस आंसू गैस के गोले दाग रही थी। पानी की बौछारें छोड़ी जा रही थीं, लेकिन लोग डटे हुए थे। डॉक्टर ने कहा कि देखिए आपकी बेटी के लिए पूरा देश इंसाफ मांग रहा है।’

सफदरजंग अस्पताल में देर रात 2.30 बजे निर्भया की पहली सर्जरी की गई। उसके दोस्त को फर्स्ट एड दिया गया। सुबह तक देश में यह खबर फैल चुकी थी। शाम होते-होते दिल्ली की सड़कों पर निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए लोग सड़कों पर उतर गए थे। तब दिल्ली और केंद्र दोनों ही जगह कांग्रेस की सरकार थी। दिल्ली में पिछले 14 साल से शीला दीक्षित CM थीं।

22 दिसंबर 2012, दिल्ली में निर्भया के इंसाफ के लिए प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पानी के तेज बौछारें छोड़ती दिल्ली पुलिस। सोर्स : एनवाइटी
22 दिसंबर 2012, दिल्ली में निर्भया के इंसाफ के लिए प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पानी के तेज बौछारें छोड़ती दिल्ली पुलिस। सोर्स : एनवाइटी

अगले दिन यानी 17 दिसंबर को दिल्ली पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। 18 को चौथा आरोपी और 21 को पांचवां और छठा दोनों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए। जो आरोपी गिरफ्तार किए गए थे, उनमें राम सिंह बस ड्राइवर और उसका भाई मुकेश सिंह, जिम चलाने वाला विनय शर्मा, फल बेचने वाला पवन गुप्ता, 17 साल का हेल्पर और अक्षय ठाकुर शामिल थे। अक्षय नौकरी की तलाश में बिहार से दिल्ली आया था।

बस में निर्भया के साथ गैंगरेप की घटना से पहले आरोपियों ने एक कारपेंटर से लूटपाट की थी। इन लोगों ने कारपेंटर से दस रुपए का टिकट लिया और बस में बैठते ही उसकी जेब से जबरन 8 हजार रुपए लूट लिए। कारपेंटर ने थाने में शिकायत भी दर्ज कराई थी। इसके बाद इन लड़कों ने शराब पी थी।

निर्भया ने कहा था- फांसी नहीं… सभी को जिंदा जला देना चाहिए SDM उषा चतुर्वेदी ने घटना के 5 दिन बाद यानी 21 दिसंबर को निर्भया का बयान दर्ज किया था। उस दिन को याद करते हुए वो कहती हैं- ‘बहुत से सवाल-जवाब हुए, लेकिन मुझे उसकी एक बात बार-बार याद आती है। मैंने उससे पूछा कि अब तुम क्या चाहती हो?

उसका पहला जवाब था- सभी को फांसी मिले। थोड़ी ही देर बाद रुककर बोली कि नहीं..फांसी नहीं..सभी को जिंदा जला देना चाहिए। कुछ शब्द बोलकर और कुछ इशारों के साथ जब वो यह बात बता रही थी तो उन आरोपियों के लिए उसका गुस्सा और नफरत मैं महसूस कर सकती थी।’

निर्भया के शरीर पर मिले दांतों के निशान पता लगाने में 16 दिन लग गए निर्भया के शरीर पर दांतों के कई निशान थे। SI प्रतिभा शर्मा के आदेश पर फोटोग्राफर असगर हुसैन ने गैंगरेप के चार दिन बाद यानी 20 दिसंबर 2012 की शाम दांतों के निशानों के 10 फोटो खींचे। 2 जनवरी 2013 को ये फोटोग्राफ्स कर्नाटक के धारवाड़ में एसडीएम कॉलेज ऑफ डेंटल साइंस के हेड डॉक्टर असित बी आचार्या को भेजे गए। साथ ही पांचों आरोपियों के दांतों के मॉडल भी डॉ. आचार्या को भेजे गए।

लेजर स्कैनिंग, स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी और टोमोग्राफी के जरिए आरोपियों के दांतों की बनावट और निर्भया के शरीर पर मिले दांतों के निशानों को मिलाया गया। 10 में से 4 दांतों के निशानों की पहचान हो गई। इनमें से 3 निशान रामसिंह और 1 निशान अक्षय का पाया गया।

20 दिसंबर 2015, निर्भया के लिए इंसाफ की जंग लड़ती हुईं उनकी मां को संभालते उनके पति। सोर्स : एचटी
20 दिसंबर 2015, निर्भया के लिए इंसाफ की जंग लड़ती हुईं उनकी मां को संभालते उनके पति। सोर्स : एचटी

एक ने आत्महत्या की, नाबालिग बरी हो गया, चार को फांसी की सजा मार्च 2013 में मुख्य आरोपी बस ड्राइवर राम सिंह की तिहाड़ जेल में मौत हो गई। पुलिस ने कहा कि सिंह ने आत्महत्या की है, जबकि उसके वकील का कहना था कि राम सिंह की हत्या की गई है। अगस्त 2013 में नाबालिग आरोपी को जुवेनाइल कोर्ट ने बलात्कार और हत्या का दोषी घोषित करते हुए 3 साल के लिए बाल सुधार गृह भेज दिया। सितंबर 2013 में ट्रायल कोर्ट ने बचे हुए चार आरोपियों को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई।

दोषियों के वकील फांसी टालने की कोशिश करते रहे, चार बार बदली गई फांसी की तारीख ट्रायल कोर्ट के फांसी के फैसले के बाद आरोपी दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे, लेकिन वहां भी सजा बरकरार रही। अब आरोपी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। मामला तीन साल तक लटका रहा। मई 2017, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट की फांसी की सजा को बरकरार रखा। जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की पुनर्विचार याचिका भी खारिज कर दी।

इसके बाद दोषियों के वकील एपी सिंह ने फांसी को आगे खींचने की रणनीति अपनाई। उन्होंने एक साथ राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजने के बजाय बारी-बारी से एक-एक दोषी की याचिका भेजी। इस तरह मामला लंबा खिंचता चला गया।

7 जनवरी 2020 को पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी किया और फांसी के लिए 22 जनवरी, सुबह 7 बजे का वक्त मुकर्रर किया गया। अगले ही दिन दोषी विनय कुमार और मुकेश कुमार ने क्यूरेटिव पिटिशन दायर कर दी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 14 जनवरी को खारिज कर दिया।

15 जनवरी 2020 को दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि 22 जनवरी को फांसी नहीं हो सकती, क्योंकि एक दोषी की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है। दरअसल, 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था कि राष्ट्रपति की ओर से दया याचिका खारिज होने के बाद भी दोषियों को कम से कम 14 दिनों की मोहलत मिलनी चाहिए।

निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह।
निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह।

17 जनवरी 2020 को राष्ट्रपति ने मुकेश सिंह की दया याचिका खारिज कर दी। इसी दिन फांसी के लिए नई तारीख 1 फरवरी की सुबह 6 बजे तय की गई, लेकिन चार दिन पहले यानी 28 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश की दया याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया। 31 जनवरी को पटियाला हाउस कोर्ट ने फांसी अगले आदेश तक टाल दी।

17 फरवरी 2020 को चारों की फांसी के लिए कोर्ट ने 3 मार्च की सुबह 6 बजे का वक्त तय किया, लेकिन एक दिन पहले यानी 2 मार्च को पवन गुप्ता की दया याचिका राष्ट्रपति के पास होने के कारण फांसी की तारीख टाल दी गई। 5 मार्च को फांसी के लिए 20 मार्च सुबह 5.30 बजे का वक्त तय किया गया।

निर्भया के दोषियों का आखिरी दिन… चारों के हाथ-पैर कांप रहे थे 19 मार्च 2020 की दरमियानी रात। उस रोज गुरुवार था। 12.15 पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फांसी पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। तब तिहाड़ जेल नंबर तीन में बंद चारों दोषी जाग रहे थे। सुरक्षागार्ड के जरिए हाईकोर्ट के फैसले की खबर सुनते ही वे रोने लगे।

इधर दोषियों के वकील एपी सिंह, सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्रार के घर पहुंच गए। रजिस्ट्रार ने CJI को फोन कर इस बात की जानकारी दी। सुप्रीम कोर्ट रात 2.30 सुनवाई के लिए तैयार हुआ। एक घंटे की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फांसी टालने से इनकार कर दिया।

फांसी में अब बस दो घंटे का वक्त था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खबर चारों को मिल चुकी थी। चारों तिहाड़ जेल में सुरक्षा गार्डों के आगे गिड़गिड़ा रहे थे। फूट-फूटकर रो रहे थे। चारों से चाय पीने के लिए पूछा गया, लेकिन सबने मना कर दिया। चारों ने नहाने से भी इनकार कर दिया। फिर परिवार के नाम आखिरी पैगाम पूछा गया। सिर्फ अक्षय ने पैगाम लिखवाया।

4.45 पर चारों को काला कपड़ा पहनाकर उनके हाथ पीछे की तरफ बांध दिए गए। सुबह 5.15 बजे चारों को सेल से निकालकर फांसी कोठी तक ले जाया जाने लगा। अब सिर्फ 120 कदम का सफर बाकी था। उनके पैर कांप रहे थे। वे चल नहीं पा रहे थे। तमिलनाडु फोर्स के जवान लगभग सभी को उठाते हुए फांसी कोठी की तरफ चल पड़े।

फांसी कोठी में उनकी मेडिकल जांच की गई। ठीक 5.30 बजे एक अधिकारी ने रूमाल नीचे गिराई और पवन जल्लाद ने लीवर खींच दिया। 5.45 पर डॉक्टर चारों की धड़कनें टटोलते हैं और उन्हें मुर्दा करार देते हैं। सुबह 6 बजे चारों की लाश फंदे से उतारकर एम्बुलेंस में रखी जाती है। पोस्टमॉर्टम के बाद लाश परिवार के हवाले कर दी जाती है।

20 मार्च 2020, निर्भया के दोषियों को फांसी दिए जाने के बाद विक्ट्री साइन दिखातीं निर्भया की मां और पिता।
20 मार्च 2020, निर्भया के दोषियों को फांसी दिए जाने के बाद विक्ट्री साइन दिखातीं निर्भया की मां और पिता।

निर्भया कांड से 20 दिन पहले आम आदमी पार्टी बनी, मोदी बोले- ‘वोट करते वक्त निर्भया को याद कर लेना’ निर्भया कांड, ऐसे वक्त हुआ जब कांग्रेस घोटालों के आरोपों से घिरी हुई थी। अन्ना आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी 20 रोज पहले ही बनी थी। अगले साल दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने थे।

ऐसे में आम आदमी पार्टी निर्भया को लेकर सड़कों पर उतर गई। जल्द ही इसमें ‌BJP भी शामिल हो गई। केंद्र और दिल्ली दोनों ही जगह कांग्रेस इस मामले को लेकर बैकफुट पर थी। तब कांग्रेस प्रेसिडेंट सोनिया गांधी ने अस्पताल जाकर निर्भया से मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को चिट्ठी लिखकर कहा था कि ये हम सब के लिए शर्म की बात है।

शीला दीक्षित अपनी किताब ‘सिटीजन दिल्ली: माई टाइम्स, माई लाइफ’ में लिखती हैं- ‘निर्भया कांड के बाद मेरा परिवार दुविधा में था। मुझसे पद छोड़ने का आग्रह भी किया गया, लेकिन मुझे लगा कि ऐसे समय भागना ठीक नहीं होगा। केंद्र चाहता था कि उस पर सीधे दोष नहीं लगे। किसी को तो दोष लेना ही था। मैंने उसे स्वीकार कर लिया।’

पहली तस्वीर में निर्भया की मां के साथ BJP नेता मनोज तिवारी और कांग्रेस नेता मीरा कुमार। दूसरी तस्वीर में निर्भया को श्रद्धांजलि देते हुए अरविंद केजरीवाल।
पहली तस्वीर में निर्भया की मां के साथ BJP नेता मनोज तिवारी और कांग्रेस नेता मीरा कुमार। दूसरी तस्वीर में निर्भया को श्रद्धांजलि देते हुए अरविंद केजरीवाल।

2 दिसंबर 2013, दिल्ली विधानसभा चुनाव की वोटिंग से ठीक दो दिन पहले की बात है। एक रैली के दौरान BJP के PM उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने कहा- ‘दिल्ली ने बलात्कार की राजधानी के रूप में बदनामी अर्जित की है। जब आप वोट दें, तो इसे न भूलें। कुछ समय के लिए निर्भया को याद करें।’

8 दिसंबर को नतीजे आए और दिल्ली से कांग्रेस की विदाई हो गई। 70 में से 32 सीटें BJP को मिलीं। आप ने 28 सीटें जीतीं और कांग्रेस 8 सीटों पर सिमट गई। उसके बाद 2020 के विधानसभा चुनाव में भी निर्भया का मुद्दा गरमाया। BJP ने फांसी में देरी के लिए केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराया।

निर्भया के पिता ने कहा, ‘पता नहीं कितने दिन मामला टलता रहेगा, इसका मतलब केजरीवाल ने ये काम किया है, केजरीवाल के अधिकार में जेल अथॉरिटी है, वहीं से सब कुछ रुका हुआ है।’ उस दौरान ये भी खबर आई कि निर्भया की मां केजरीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ेंगी, लेकिन बाद में उन्होंने मना कर दिया।

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