19 दिन में दिल्ली से नौ गुना ज्यादा लोग स्नान करके चले गए

Mahakumbh: 19 दिन में दिल्ली से नौ गुना ज्यादा लोग स्नान करके चले गए, कूड़ा निकला मात्र छह हजार मीट्रिक टन

19 दिन में दिल्ली से नौ गुना ज्यादा लोग स्नान करके चले गए। मेला क्षेत्र में मात्र छह हजार मीट्रिक टन कूड़ा निकला है। प्रयागराज नगर निगम के अनुसार, यहां रोज औसतन तीन सौ और विशेष पर्वों पर चार सौ मीट्रिक टन कूड़ा निकल रहा है। इसे घूरपुर स्थित प्लांट में भेजा जा रहा है। 

महाकुंभ में श्रद्धालु स्वच्छता का भी संकल्प निभा रहे हैं। 13 से 31 जनवरी तक दिल्ली की आबादी से करीब नौ गुना 31.46 करोड़ श्रद्धालु देश-दुनिया से आकर संगम में डुबकी लगाकर चले गए। लेकिन, 19 दिन में मेला क्षेत्र में करीब छह हजार मीट्रिक टन कूड़ा ही निकला। 

प्रयागराज नगर निगम के अनुसार, यहां रोज औसतन तीन सौ और विशेष पर्वों पर चार सौ मीट्रिक टन कूड़ा निकल रहा है। इसे घूरपुर स्थित प्लांट में भेजा जा रहा है। दिल्ली की जनसंख्या करीब 3.46 करोड़ है। 

एमसीडी के अनुसार यहां प्रतिदिन 11 हजार मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। वहीं, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी में कूड़ा उत्सर्जित करने में पहले नंबर पर लखनऊ तो दूसरे स्थान पर कानपुर है। 

2011 की जनगणना के आधार पर लखनऊ की आबादी 45,89,838 है। यहां प्रतिदिन औसतन दो हजार मीट्रिक टन कूड़ा निकल रहा है। वहीं, कानपुर की आबादी 45,81,268 है। यहां रोजाना औसतन साढ़े 11 सौ मीट्रिक टन कूड़ा निकल रहा है। 

13 जनवरी से शुरू हुए मेले में 31.46 करोड़ श्रद्धालु डुबकी लगा चुके हैं। इसके बावजूद मेला क्षेत्र व घाटों पर न के बराबर कूड़ा फेंकते हैं। खास बात यह है कि पान-मसाले की पीक भी मेले में देखने को नहीं मिलेगी। 

सफाईकर्मी भी तत्परता से जुटे हैं और कहीं भी कूड़ा दिखने पर उसे उठाने लगते हैं। रोजाना प्लांट में कूड़ा प्रोसेसिंग के बाद आरडीएफ को सीमेंट फैक्टरी में भेज दिया जा रहा है।
क्षेत्रफल

  • 4200 हेक्टेयर फैला है मेला क्षेत्र
  • 25 सेक्टर बनाए गए हैं मेले में
इंतजाम

  • 1,50,000 शौचालय बनाए गए हैं
  •  25,000 लाइनर बैग युक्त डस्टबिन, 
  • 300 सक्शन गाड़ियां 
  • 850 समूहों में 10,200 स्वच्छताकर्मी तैनात हैं
  • स्वच्छता निगरानी के लिए 1,800 गंगा सेवादूत 

पहल

  • आरएसएस ने 50 लाख स्टील की थाली और कपड़े के थैले एकत्र कर मेले में भेजने का किया दावा
  • कुल्हड़, दोना-पत्तल और कपड़े व जूट थैला की दुकान सभी 25 सेक्टरों में खोली गई हैं
मेला क्षेत्र से रोजाना घूरपुर के बसवार स्थित प्लांट में औसतन तीन सौ व विशेष पर्वों पर चार सौ मीट्रिक टन कूड़ा आ रहा है। प्रोसेसिंग के बाद आरडीएफ को सीमेंट फैक्टरी में भेज दिया जा रहा है। – उत्तम कुमार वर्मा, पर्यावरण अभियंता, नगर निगम, प्रयागराज

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