50 मी. दायरे में 1300 से ज्यादा अवैध निर्माण, इन्हें रोकना जरूरी, क्योंकि?
50 मी. दायरे में 1300 से ज्यादा अवैध निर्माण, इन्हें रोकना जरूरी, क्योंकि……

50 मी. दायरे में 1300 से ज्यादा अवैध निर्माण, इन्हें रोकना जरूरी, क्योंकि……
आम तौर पर किसी भी नदी या तालाब को केवल पेयजल के स्त्रोत के रूप में ही जाना जाता है। लेकिन, भोपाल का बड़ा तालाब आज अपने निर्माण के 1000 साल बाद भी न केवल पानी सप्लाई के काम आ रहा है, बल्कि भोपाल के पर्यावरण और मौसम के साथ पूरी बायो डायवर्सिटी को रथा कर रहा है।
जिस तेजी से तालाब के कैचमेंट पर अतिक्रमण हो रहा है और तालाब उथला होता जा रहा है, यह तालाच के लिए एक बड़ा खतरा है। यदि बड़ा तालाब खत्म हुआ तो भोपाल में प्रदूषण बढ़ेगा और रातें भी ठंडी नहीं होंगी। वातावरण की नमी खत्म हो जाएगी और हवा में खुश्की होगी।
बैरागढ़ से कमला पार्क होते हुए भदभदा तक में शेप का यह तालाब लगभग 36 वर्ग किमी में फैला हुआ है और इसका कैचमेंट इससे भी दस गुना है। 36 वर्ग किमी में पानी भरा होने से शहर शहर के भीतर एक बड़ा ओपन स्पेस है, जहां हया के बहाव पर कोई रोक नहीं है। जबकि शहरों में हाईराइन बिल्डिंग के बीच हवा के मुक्त बहाव की जगह नहीं मिलती।
एक ही जगह पर हवा के ठहर जाने से प्रदूषण बढ़ता है। दिल्ली में प्रदूषण का यह एक बड़ा कारण है। भोपालवासी इस मामले में खुशकिस्मत हैं। इतने बड़े इलाके में पानी भरा होने से वातावरण में नमी बनी रहती है और तापमान भी नियंत्रित रहता है।
खतरे क्या...
बढ़ता अतिक्रमण और गाद पिछले 60 सालों में तालाब में आई गाद से 25 अरब लीटर जलग्रहण क्षमता कम हुई है। बड़े तालाब के 50 मीटर दायरे में 1300 से ज्यादा चिह्नित अतिक्रमण हैं। इसके अलावा भदभदा, बैरागढ़ और सीहोर रोड यानी तालाब के हर छोर के आसपास तेजी से निर्माण हो रहे हैं। जिस इलाके में लो डेंसिटी रेसीडेंशियल की अनुमति होना चाहिए, वहां अवैध कॉलोनियां बन गई हैं। बिशनखेड़ी के आसपास बने कई फार्म हाउस नक्को पर 50 मीटर दूर हैं, लेकिन वास्तव में से तालाब से सटे हुए हैं।
नुकसान कैसे…
हरियाली की जगह कांक्रीट नियमों में से गलियां निकालकर तालाब किनारे निर्माण अनुमतियां ली जा रहीं हैं। जहां जंगल था, वहां खेत हुए और अब कांक्रीट बढ़ रहा है। हरियालों कम हो रही है। इसका सीधा असर बायो डायवर्सिटी पर पड़ेगा। बड़े तालाब को भरने वाली कोलांस के किनारे प्लॉटिंग से सीहोर जिले में होने वाली बारिश का तालाब में न आकर खेतों में भर रहा है। कई सालों से बड़े तालाब के संरक्षण के लिए सीहोर और भोपाल जिले को मिलाकर एक अथॉरिटी बनाने की बात चल बनाने की बात चल रही है, लेकिन अब तक हुआ कुछ नहीं है।