बीजेपी के वो चेहरे जो पहली बार बने विधायक और सिर पर सजा CM का ताज ?

रेखा-मनोहर-भजन-भूपेंद्र…बीजेपी के वो चेहरे जो पहली बार बने विधायक और सिर पर सजा CM का ताज

दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ही बीजेपी की पहली ऐसी नेता नहीं हैं, जो पहली बार विधायक बनने के साथ ही सीएम बनी हों. इस लिस्ट में हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर से लेकर त्रिपुरा के सीएम रहे बिप्लव कुमार देब, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल का नाम भी शामिल है.

रेखा-मनोहर-भजन-भूपेंद्र...बीजेपी के वो चेहरे जो पहली बार बने विधायक और सिर पर सजा CM का ताज

रेखा गुप्ता, मनोहर लाल खट्टर, भजन लाल शर्मा, भूपेंद्र पटेल

दिल्ली का सत्ता परिवर्तन हो चुका है. अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी सत्ता से बाहर हो चुकी है और रेखा गुप्ता की अगुवाई में बीजेपी सरकार बन गई है. बीजेपी सरकार गठन के बाद अब मंत्रालयों का भी बंटवारा हो गया है. दिल्ली में 27 साल बाद सत्ता में लौटी बीजेपी ने सीएम की कुर्सी पहली बार विधायक बनी रेखा गुप्ता को सौंपी है. हालांकि, रेखा गुप्ता पहली ऐसी नेता नहीं है, जिनको बीजेपी ने पहली बार विधायक बनते ही सत्ता की कमान सौंप दी हो. इस फेहरिस्त में बीजेपी के कई दिग्गज नेताओं के नाम जुड़े हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केंद्र की राजनीति में आने के बाद से बीजेपी का देशभर में तेजी से विस्तार हुआ है. इसके साथ ही बीजेपी की राजनीतिक की दशा और दिशा बदली है. 2014 के बाद से बीजेपी नेतृत्व मुख्यमंत्री के चयन पर सरप्राइज देती रही है. पार्टी ऐसे चेहरों को सत्ता की बागडोर सौंपती रही है, जिनकी पहचान आम लोगों के बीच कम रही है. इस तरह बीजेपी नए और अनजान चेहरों को मुख्यमंत्री बनाकर चौंकाती रही है.

पहली बार बने MLA, सिर पर सजा CM का ताजदिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता ही बीजेपी की पहली ऐसी नेता नहीं है, जो पहली बार विधायक बनने के साथ ही सीएम बनी हों. इस लिस्ट में हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर से लेकर त्रिपुरा के सीएम रहे बिप्लव कुमार देब के नाम भी दर्ज है. इसके अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल भी किस्मत के धनी थे, जो पहली बार विधायक बनने के साथ ही सत्ता के सिंहासन पर विराजमान हुए हैं. इसके अलावा कई ऐसे भी नेता हैं, जो मुख्यमंत्री बनने के बाद विधायक बने.

मनोहर खट्टर की किस्मत के सितारे बुलंद

नरेंद्र मोदी 2014 में गुजरात के सीएम से देश के पीएम बने थे. केंद्र में पहली बार बीजेपी ने पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई थी. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद बीजेपी किसी राज्य में पहली बार सरकार बनाने में कामयाब रही तो वो हरियाणा था. हरियाणा में बीजेपी पहली बार 2014 में सरकार बनाने में सफल रही तो सत्ता की कमान पहली बार विधायक बने मनोहर लाल खट्टर के हाथों में सौंपी गई. हरियाणा में सात बार के बीजेपी विधायक अनिल विज को मंत्री पद से संतोष करना पड़ा था.संघ के आंगन में पले-बढ़े मनोहर लाल खट्टर करीब 10 साल तक हरियाणा के सीएम रहे. खट्टर ने अपनी राजनीति बीजेपी के कार्यकर्ता के तौर पर शुरू की और सीएम तक का सफर तय किया. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले खट्टर ने हरियाणा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह पर हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी बने. नायब सैनी बीजेपी दफ्तर में टाइप राइटर थे और आम कार्यकर्ता के तौर पर अपनी राजनीतिक पारी शुरू की थी. इस तरह बीजेपी हरियाणा में नई लीडरशिप खड़ी करने में कामयाब रही.

बिप्लव कुमार देब ने रचा था इतिहासत्रिपुरा में 25 साल तक लेफ्ट का दबदबा था. 2018 में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने दो तिहाई सीटें जीतकर सीपीएम को सत्ता से बेदखल कर दिया था. उस वक्त त्रिपुरा बीजेपी की कमान बिप्लब देब के हाथ में थी. 2018 विधानसभा चुनाव में देब पहली बार बनामालीपुर सीट से चुनाव लड़े थे. पहली बार विधायक बनने के साथ ही बिप्लव कुमार देब त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बने. बिप्लब साफ छवि के नेता हैं और संघ का बैकग्राउंड उनके सियासी सफर में काम आया. बिप्लव कुमार देब ने मई 2022 तक त्रिपुरा का सीएम पद छोड़ दिया और बीजेपी संगठन के काम में जुट गए.

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल बनेगुजरात बीजेपी की सियासी प्रयोगशाला मानी जाती है. बीजेपी जब से गुजरात की सत्ता में आई तब से उसका ही दबदबा कायम है. पहली बार विधायक बनने के साथ ही मुख्यमंत्री बनने की फेहरिस्त में भूपेंद्र पटेल का नाम भी दर्ज है. साल 2021 में बीजेपी ने गुजरात में विजय रुपाणी की अगुवाई वाली पूरी सरकार को बदल दिया था. सीएम पद से रुपाणी को हटाने के साथ उनके कैबिनेट के सभी 22 मंत्रियों को भी बदल दिया था. भूपेंद्र पटेल सियासत में लंबे समय से सक्रिय थे, लेकिन पहली बार विधायक 2017 में बने.

भूपेंद्र पटेल ने 2017 में घाटलोडिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था और 1.17 लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल करके विधायक चुने गए थे और 2021 में सीएम बने. इसके बाद 2022 में सत्ता में वापसी की तो सत्ता की कमान उनके हाथों में रही. पटेल जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं. सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा रखने वाले पटेल विधानसभा चुनाव लड़ने से पहले स्थानीय राजनीति में सक्रिय थे और अहमदाबाद जिले की मेमनगर नगरपालिका के सदस्य रहे और दो बार इसके अध्यक्ष बने. इस तरह सभासद से सीएम तक का सफर तय किया है.

राजस्थान के सीएम भजन लाल शर्माबीजेपी 2023 में राजस्थान की सत्ता में लौटी तो मुख्यमंत्री का ताज भजन लाल शर्मा के सिर सजा. शर्मा पहली बार 2023 में विधायक चुने गए थे. जयपुर के सांगानेर विधानसभा सीट से पहली बार विधायक बनने वाले भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाकर बीजेपी ने चौंका दिया था. विधायक दल की बैठक से पहले भजनलाल शर्मा के सीएम बनने की किसी को भी उम्मीद नहीं दी थी. चुनाव नतीजे के बाद सीएम के चयन के लिए विधायक दल की बैठक में भजनलाल शर्मा सबसे आखिरी पंक्ति में बैठे हुए थे, लेकिन संघ का बैकग्राउंड और राममंदिर आंदोलन से जुड़े रहने का इनाम उन्हें मिला.

रेखा गुप्ता ने रचा सियासी इतिहासदिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का भी नाम बीजेपी के उन नेताओं की फेहरिस्त में जुड़ गया है, जो पहली बार विधायक बनने के साथ ही मुख्यमंत्री बन गए हैं. दिल्ली में 27 साल बाद बीजेपी सत्ता में लौटी है तो मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर तमाम नेताओं के नाम की चर्चा थी. नई दिल्ली विधानसभा सीट पर अरविंद केजरीवाल को शिकस्त देने वाले प्रवेश वर्मा से लेकर विजेंद्र गुप्ता और आशीष सूद सहित कई नाम सीएम की रेस में थे. बुधवार शाम बीजेपी के विधायक दल की बैठक हुई तो रेखा गुप्ता के नाम पर मुहर लगी.

रेखा गुप्ता ने एबीवीपी से अपनी राजनीति शुरू की और डीयू की छात्र संघ महासचिव व अध्यक्ष रहीं. इसके अलावा तीन बार एमसीडी की पार्षद रहीं. शालीमार बाग सीट से 2015 और 2020 में विधानसभा चुनाव लड़ी, लेकिन जीत नहीं सकी. 2025 में बीजेपी ने अपने तमाम उन नेताओं के टिकट काट दिए थे, जो लगातार दो बार चुनाव हार चुके थे. रेखा गुप्ता को बीजेपी ने तीसरा मौका चुनाव लड़ने का दिया. इस बार पार्टी की उम्मीदों पर खरी उतरीं और विधायक बनी तो उनकी किस्मत के सितारे भी बुलंद हो गए. बीजेपी ने उन्हें दिल्ली का मुख्यमंत्री बनाकर बड़ा सियासी संदेश दिया है.

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वो नेता जिन्हें बीजेपी ने पहली बार विधायक बनते ही बनाया सीएम, दिग्गज नेता चौंक गए
BJP First Time MLA Chief Minister List: साल 2014 से BJP ने नए और अनजान चेहरों को मुख्यमंत्री बनाने की रणनीति अपनाई है। हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर, राजस्थान में भजन लाल शर्मा और दिल्ली में रेखा गुप्ता इसके उदाहरण हैं। यह नई रणनीति पार्टी को नए और जमीनी स्तर के नेताओं को शीर्ष पदों पर लाने में मदद कर रही है।
  • बीजेपी ने नए चेहरों को मुख्यमंत्री बनाने की रणनीति अपनाई है
  • हरियाणा में खट्टर ने पहली बार विधायक बनकर मुख्यमंत्री बने
  • बीजेपी ने राजस्थान में भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया
  • रेखा गुप्ता को दिल्ली की मुख्यमंत्री पद के लिए तरजीह मिली
BJP First Time MLA Chief Minister
पहली बार चुनाव जीतने वाले बीजेपी विधायक बने सीएम
नई दिल्ली: बीजेपी बीते कुछ वक्त से अपने कार्यकर्ताओं को संदेश दे रही है कि विधानसभा चुनावों में पहली बार विधायक बनना फायदेमंद हो सकता है। 2014 के बाद से, पार्टी ने जिन राज्यों में जीत हासिल की है, वहां मुख्यमंत्री पद के लिए अनुभवी नेताओं के बजाय नए चेहरों को चुनने की रणनीति अपनाई है।
BJP ने 2014 में हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाकर पहली बार किसी नए विधायक पर दांव लगाया था। राज्य की राजनीति में एक अनजान चेहरा, खट्टर को शीर्ष पद सौंपे जाने से सभी हैरान थे। खट्टर चार दशकों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और 20 वर्षों से BJP से जुड़े थे। हरियाणा में BJP के संगठन सचिव के रूप में उन्होंने पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार के रूप में अपनी पहचान बनाई थी।
खट्टर ने 1996 में हरियाणा के BJP प्रभारी के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर काम किया था। 2014 के आम चुनावों में जब मोदी वाराणसी से चुनाव लड़ रहे थे, तब खट्टर निर्वाचन क्षेत्र के 50 वार्डों के प्रभारी थे। गैर-जाट मतदाताओं को BJP के पक्ष में एकजुट करने की उनकी क्षमता ने पार्टी में उनकी प्रतिष्ठा बढ़ाई।

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भजन लाल शर्मा के नाम ने चौंकाया

2024 में BJP ने राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में भजन लाल शर्मा को चुना, जो एक और आश्चर्यजनक कदम था। जयपुर के सांगानेर निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार विधायक बने शर्मा, BJP की राज्य इकाई में महासचिव थे और शीर्ष पद पर आने से पहले पार्टी में कम सक्रिय थे। दिलचस्प बात यह है कि विधायक दल की बैठक से पहले BJP कार्यालय में ली गई एक सामूहिक तस्वीर में, शर्मा पिछली पंक्ति में दिखाई दे रहे थे। हालांकि, राजस्थान विधायक दल की बैठक के दौरान, शर्मा को नेता घोषित किया गया।

कट्टर RSS कार्यकर्ता माने जाने वाले शर्मा, अयोध्या में राम मंदिर के लिए आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल थे। 1992 में, इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा। यहीं से उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई। पिछले 30 वर्षों में, शर्मा ने भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) और पार्टी संगठन में विभिन्न पदों पर कार्य किया।

रेखा गुप्ता का नाम भी जुड़ गया
पहली बार विधायक बनकर मुख्यमंत्री बनने वालों की सूची में बुधवार को रेखा गुप्ता का नाम भी जुड़ गया, जब BJP के शीर्ष नेतृत्व ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के लिए प्रवेश वर्मा पर उन्हें तरजीह दी। परवेश वर्मा ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल को विधानसभा चुनावों में हराया था। रेखा गुप्ता RSS से संबद्ध संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से आगे बढ़ीं। उन्होंने सरकार और पार्टी में महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। गुप्ता का राजनीतिक सफर DUSU से शुरू हुआ, जहां उन्होंने 1995-96 में सचिव के रूप में कार्य किया, और फिर 1996-97 में ABVP उम्मीदवार के रूप में अध्यक्ष पद जीता। उनका राजनीतिक सफर BJP की जमीनी स्तर के आंदोलनों से नेताओं को तैयार करने की रणनीति को दर्शाता है।
भूपेंद्र पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया
2021 में, BJP ने एक साहसिक कदम उठाते हुए गुजरात में विजय रूपाणी मंत्रिमंडल के सभी 22 मंत्रियों को बदल दिया। रूपाणी के अचानक इस्तीफे के साथ शुरू हुए इस बदलाव ने राज्य के लिए काफी हलचल मचा दी। और भी आश्चर्यजनक था पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया जाना। BJP विधायक दल के नेता के रूप में सर्वसम्मति से चुने गए, भूपेंद्र पटेल नगर पालिका स्तर से राज्य की राजनीति में आगे बढ़े।
इन नामों ने भी सबको सरप्राइज किया
मुख्यमंत्री चुनने के मामले में BJP का तरीका सिर्फ विधायकों तक ही सीमित नहीं है। पार्टी ने 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद के लिए गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ को चुना। मुख्यमंत्रियों के चयन के मामले में, BJP की रणनीति हर राज्य में एक जैसी रही है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, ओडिशा, गुजरात, हरियाणा – इन सभी BJP शासित राज्यों के मुख्यमंत्री पार्टी में अपेक्षाकृत अनजान चेहरे थे, जब तक कि उन्हें राज्य का नेतृत्व करने के लिए नहीं चुना गया। इन राज्यों में दिग्गज नेता शीर्ष पद की दौड़ हार गए। यह BJP को यह संदेश देने में भी मदद करता है कि गैर-राजनीतिक पृष्ठभूमि वाला एक जमीनी स्तर का नेता भी चुनावी राजनीति के शीर्ष पर पहुंच सकता है।

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