महज 15 महीने में अर्श से फर्श पर आकाश ?
महज 15 महीने में अर्श से फर्श पर आकाश, उत्तराधिकारी से निष्कासन तक का सफर
बीएसपी प्रमुख मायावती की ओर से सभी पदों से हटाए जाने के बाद आकाश आनंद ने सोमवार को कहा था, “मायावती जी द्वारा मुझे पार्टी के सभी पदों से मुक्त करने का फैसला मेरे लिए निजी तौर पर भावनात्मक है, लेकिन साथ ही अब एक बड़ी चुनौती भी है, परीक्षा कठिन है और लड़ाई लंबी है.” लेकिन कुछ घंटे बाद मायावती ने उन्हें पार्टी से भी निष्कासित कर दिया.

जितनी तेजी आकाश आनंद ने सियासी करियर में बुलंदियों को छुआ था, उतनी ही तेजी से उनका सियासी ग्राफ नीचे भी आ गया. आज की तारीख में मायावती के भतीजे आकाश आनंद अब बहुजन समाज पार्टी (BSP) में भी नहीं हैं. पार्टी प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सख्त फैसला लेते हुए आकाश को पार्टी से निष्कासित कर दिया है.
आकाश का 15 महीने का आनंदमय सफरआकाश आनंद अब बीएसपी से बाहर कर दिए गए हैं. यूं तो वह कई सालों के मायावती के भतीजे के रूप में लोगों के बीच में जाने-पहचाने जाते थे. लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 से कुछ महीने पहले मायावती ने सभी को चौंकाते हुए 10 दिसंबर 2023 को अपने छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया और पार्टी में उनका कद कहीं न कहीं अपने करीब तक ला दिया था. हालांकि तब वह पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक के रूप में काम कर रहे थे. लेकिन तब से लेकर अब करीब 15 महीने के अंदर आकाश के करियर में काफी उतार-चढ़ाव आया और अब वह पार्टी का हिस्सा नहीं रहे.
मायावती ने साल 2019 में आकाश आनंद को पहली बार पार्टी का राष्ट्रीय समन्वयक बनाया गया. तब आकाश के पिता और उनके छोटे भाई आनंद कुमार पार्टी के उपाध्यक्ष बने थे. अब अपने नए फैसले में मायावती ने आकाश को पार्टी के सभी पदों से हटाते हुए उनके पिता आनंद कुमार के साथ-साथ रामजी गौतम को राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किया. आकाश को सभी पदों से हटाने के एक दिन बाद उन्हें पार्टी से भी निष्कासित कर दिया.
साल 2023 रहा आनंद के लिए शानदारसाल 2023 आकाश आनंद के लिए बेहद शानदार रहा था. इसी साल उनकी शादी हुई. आकाश ने 26 मार्च 2023 को गुरुग्राम में डॉक्टर प्रज्ञा सिद्धार्थ के साथ शादी रचाई. शादी में बुआ मायावती समेत कई दिग्गज हस्तियां भी शामिल हुईं. शादी का रिसेप्शन 29 मार्च को नोएडा में कराया गया. फिर 8 महीने बाद बुआ ने उन्हें अपना सियासी उत्तराधिकारी बनाने की घोषणा कर दी.
सियासी उत्तराधिकारी बनने से पहले आकाश ने राजस्थान में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रभारी के तौर पर अहम भूमिका निभाई थी. साथ ही उन्होंने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में भी पार्टी के लिए काफी काम किया. ये अलग बात है कि पार्टी इन राज्यों में खास असर छोड़ पाने में नाकाम रही.
आम चुनाव 2024 के दौरान ग्राफ में गिरावटहालांकि साल 2023 के गुजरते और साल 2024 के आते-आते आकाश की किस्मत साथ छोड़ती नजर आई. लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान आकाश भारतीय जनता पार्टी पर लगातार हमला कर रहे थे, ऐसे में मायावती पर खासा दबाव बना. उन्होंने चुनाव प्रचार के बीच ही 8 मई को आकाश आनंद को पार्टी के राष्ट्रीय समन्वयक पद से हटा दिया. तब उन्होंने अपने फैसले को लेकर कहा था कि अभी उन्हें और परिपक्व होने की जरूरत है.
लोकसभा चुनाव के बाद आकाश का ओहदा फिर से बढ़ा. उनको पार्टी में दूसरी बार राष्ट्रीय समन्वयक बनाए जाने में अशोक सिद्धार्थ की अहम भूमिका मानी जाती है. आकाश को हरियाणा और दिल्ली के विधानसभा चुनाव में अहम जिम्मेदारी दी गई. इस बीच पार्टी में राज्यसभा सांसद रामजी गौतम और अशोक सिद्धार्थ के बीच तनातनी बनी रही. अशोक सिद्धार्थ को राजस्थान के साथ-साथ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रभारी बनाया गया, लेकिन पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा.
22 साल की उम्र में राजनीति में एंट्रीआकाश आनंद ने महज 22 साल की उम्र में साल 2017 में राजनीति की एंट्री की. नोएडा में शुरुआती पढ़ाई करने के बाद उन्होंने लंदन से एमबीए की डिग्री हासिल की. फिर आकाश ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में बुआ मायावती के साथ रैली करके अपनी राजनीतिक शुरुआत की थी. यह शुरुआत इसलिए भी खास रही क्योंकि मंच पर अखिलेश यादव और अजीत सिंह जैसे कद्दावर नेता भी मौजूद थे.
करीब 2 साल बाद 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान आकाश ने आगरा में अपनी पहली चुनावी रैली में भाषण दिया. इस आम चुनाव से पहले बीएसपी महागठबंधन का हिस्सा थी. यह महागठबंधन कांग्रेस और बीजेपी दोनों का विरोध कर रहा था. लेकिन गठबंधन को खास कामयाबी हासिल नहीं हुई थी.
आकाश आनंद पर एक्शन लेने से पहले मायावती ने उनसे ससुर और कभी बेहद करीबी रहे अशोक सिद्धार्थ को पिछले महीने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निष्कासित कर दिया था. तब मायावती ने अपने फैसले में कहा था, “बीएसपी दक्षिणी राज्यों के प्रभारी रहे डॉक्टर अशोक सिद्धार्थ और पूर्व सांसद नितिन सिंह समेत कई को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कारण तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित किया जाता है.”
अशोक सिद्धार्थ पेशे से डॉक्टर हैं और वह साल 2007 में बीएसपी में शामिल हुए थे. बहुत जल्द वह मायावती के बेहद करीबी हो गए. लेकिन अब अशोक सिद्धार्थ और उनके दामाद आकाश आनंद दोनों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है. अब देखना होगा कि इनका अगला कदम क्या होता है.