प्रमुख सचिव (GST) को हटाने के लिए मुख्य सचिव से मिले अफसर
काला फीता बांध करेंगे काम, मौखिक आदेश को न… प्रमुख सचिव (GST) को हटाने के लिए मुख्य सचिव से मिले अफसर
गाजियाबाद जिले में डिप्टी कमिश्नर जीएसटी संजय सिंह के सुसाइड केस ने तूल पकड़ लिया है. राज्य का कर्मचारी संघ विभाग के प्रमुख सचिव आईएएस अफसर एम. देवराज को हटाने की मांग कर रहा है. सोमवार को इसी को लेकर कर्मचारी संघ ने मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह से मुलाकात की.

यूपी सरकार का शायद ही कोई ऐसा विभाग हो, जिसके प्रमुख सचिव को हटाने के लिए कर्मचारी संघ मुख्य सचिव से मिला हो, लेकिन आज ऐसा ही हुआ. प्रमुख सचिव जीएसटी एम. देवराज को हटाने के लिए आज कर्मचारी संघ यूपी के मुख्य सचिव से मिला. कुछ साल पहले भी बिजली विभाग के कर्मचारी भी इसी तरह लामबंद हुए थे. संयोग से तब बिजली विभाग के सर्वे-सर्वा एम. देवराज ही थे. कर्मचारियों ने ठान लिया था कि जब तक इन्हें हटाया नहीं जाता आंदोलन जारी रहेगा. योगी सरकार को देवराज को हटाना पड़ा था.
अब वही देवराज जीएसटी विभाग से प्रमुख सचिव हैं और डिपार्टमेंट के अधिकारी उन्हें हटाने पर अड़े हैं. अधिकारियों का कहना है कि डिपार्टमेंट को तानाशाही के तरीके से चलाया जा रहा है. सस्पेंशन की धमकी दी जा रही है. समाधान योजना में जबरन व्यापारियों को शामिल करने के लिए कहा जा रहा है.
डिप्टी कमिश्नर GST संजय सिंह ने किया था सुसाइडबता दें कि काम के दबाव में गाजियाबाद में तैनात संजय सिंह ने नोएडा में बहुमंजिला इमारत से कूदकर आत्महत्या कर ली, तबसे अधिकारियों ने सीधे मोर्चा खोल दिया है. उन्हें लग रहा है कि अभी नहीं तो कभी नहीं. GST के डिप्टी कमिश्नर संजय सिंह की मौत ने पूरे विभाग को झकझोर कर रख दिया है. संघ का आरोप है कि सरकारी दबाव के कारण उन्होंने अपनी जान गंवाई.
काम के दबाव में संजय सिंह ने दे दी जान!वहीं संजय सिंह के परिजनों ने भी मीडिया के सामने काम के दबाव को मौत की वजह कहा है. इसी के बाद राज्य कर अधिकारी संघ में जबरदस्त आक्रोश फैल गया और एम.देवराज के विरुद्ध आर-पार की लड़ाई का घोषणा कर दी है.
संघ ने सरकार के सामने ये 8 मांगे रखींसंघ ने गवर्नमेंट के सामने 8 अहम मांगें रखी हैं. संघ ने संजय सिंह की मौत की CBI जांच करवाने और उनके कार्यस्थल का तनावपूर्ण माहौल और वरिष्ठों की जिम्मेदारी तय करने को बोला है. जांच के लिए SIT का गठन किया जाए. इसके साथ ही उनके परिवार को एक करोड़ रुपए का मुआवजा और उनके निर्भर को OSD (विशेष कार्याधिकारी) के रूप में राजपत्रित पद पर नियुक्त करने की मांग की है.
संघ के सभी सदस्य अब ‘स्टेट टैक्स’ वॉट्सऐप ग्रुप छोड़ देंगे. विरोध जताने के लिए सभी अधिकारी काला फीता बांधकर काम करेंगे. BO-Web पोर्टल के MIS डेटा के अतिरिक्त किसी अन्य प्लेटफॉर्म पर अतिरिक्त डेटा एंट्री नहीं की जाएगी. एमनेस्टी स्कीम (SPL-02) का बहिष्कार करेंगे.
अधिकारियों पर बढ़ते दबाव से रोषसंघ ने आरोप लगाया कि वित्तीय साल के अंतिम महीनों में अनुचित टारगेट थोपे जा रहे हैं. लगातार समीक्षा बैठकों में दबाव बनाया जा रहा है. छुट्टियों में काम करने के आदेश दिए जा रहे हैं. मनमाने तरीक से सस्पेंड करने के प्रस्ताव तैयार हो रहे हैं.
संघ का ऐलान- अब आर-पार की लड़ाईराज्य कर अधिकारी संघ के अध्यक्ष दिव्येंद्र शेखर गौतम और महासचिव सुशील कुमार गौतम ने दो टूक कह दिया है कि जब तक मांगें पूरी नहीं होतीं, विरोध और तेज होगा. हम पीछे हटने वाले नहीं हैं.
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IAS M Devaraj Success Story: 1996 बैच के IAS, 11 जिलों के डीएम, कौन हैं GST प्रमुख सचिव एम देवराज, जिन्हें हटाने पर अड़े अधिकारी-कर्मचारी
IAS M Devaraj Success Story: जीएसटी डिप्टी कमिश्नर संजय सिंह आत्महत्या मामले के बाद जीएसटी विभाग के प्रमुख सचिव एम देवराज को हटाने की मांग होने लगी है. 1996 बैच का यह आईएएस अधिकारी कई प्रमुख पदों पर काम कर चुका है. आईएएस एम देवराज उत्तर प्रदेश के 10 से भी अधिक जिलों में डीएम की भूमिका निभा चुके हैं.

जीएसटी डिप्टी कमिश्नर संजय सिंह का सुसाइड मामला काफी चर्चा में है. वह उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में तैनात थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीते 10 मार्च को उन्होंने अपने अपार्टमेंट की 15वीं मंजिल से कूदकर सुसाइड कर लिया. इस सुसाइड मामले में कई अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं. पुलिस कह रही है कि वह कैंसर से पीड़ित थे और इस वजह से डिप्रेशन में थे, जबकि मृतक संजय सिंह की पत्नी का दावा है कि उनके ऊपर ऑफिशियली बहुत ज्यादा प्रेशर था. इस बीच वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी विभाग के प्रमुख सचिव एम देवराज को हटाने की मांग होने लगी है. आइए जानते हैं कि एम देवराज कौन हैं, किस बैच के अधिकारी हैं और कितने पढ़े लिखे हैं?
कौन हैं एम देवराज?एम देवराज 1996 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. तमिलनाडु के विरुधुनाग के रहने वाले देवराज 4 सितंबर 1996 को आईएएस के रूप में नियुक्त हुए थे. देहरादून के मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन यानी लबासना (LBSNAA) से ट्रेनिंग के बाद उन्हें असिस्टेंट मजिस्ट्रेट के रूप में गोंडा में पहली पोस्टिंग मिली थी. उसके बाद बलिया और गोरखपुर में वह संयुक्त मजिस्ट्रेट रहे. फिर एटा में मुख्य विकास अधिकारी और उसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार के तकनीकी शिक्षा विभाग में विशेष सचिव के रूप में तैनात हुए. उन्होंने अब तक कई विभागों में अलग-अलग पदों पर काम किया है.
वह कई जिलों में मजिस्ट्रेट एवं कलेक्टर की भूमिका भी निभा चुके हैं, जिसमें कौशांबी, औरैया, श्रावस्ती, बलिया, मैनपुरी, रामपुर, बरेली, झांसी, उन्नाव, बदायूं और प्रतापगढ़ शामिल हैं. फिलहाल वह जीएसटी विभाग के प्रमुख सचिव हैं. इससे पहले वह यूपी सरकार के तकनीकी शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग में प्रमुख सचिव के पद पर तैनात थे.
कितने पढ़े लिखे हैं?जीएसटी प्रमुख सचिव एम देवराज के पास कई डिग्रियां हैं. उन्होंने डबल नहीं ट्रिपल एमए किया है. सबसे पहले उन्होंने कृषि से एमएससी की डिग्री ली थी और उसके बाद पर्यावरण से एमए किया. फिर विकास मानक से एमए की डिग्री ली थी. यूपी सरकार की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, मैट्रिक्स 15 के तहत 67000-79000 रुपये के बीच सैलरी मिलती है.
विवादों से पुराना नाताआईएएस अधिकारी एम देवराज का विवादों से पुराना नाता है. जब वह उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के चेयरमैन के पद पर तैनात थे, तब ऐसा बवाल हुआ था कि उन्हें उनके पद से हटाना पड़ा था. ऐसा माना गया कि ऊर्जा मंत्री एके शर्मा से मतभेदों की वजह से उन्हें हटाया गया था. इसके अलावा कर्मचारी यूनियन से भी उनकी भिड़ंत हो गई थी. ऐसे में कई कर्मचारी भी उनसे नाराज चल रहे थे.
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संजय सिंह सुसाइड: डेढ़ गुना टारगेट, भर्ती बंद, सस्पेंशन की तलवार… तानाशाही से तंग GST अफसर

सवाल उठ रहे हैं कि अगर काम के दबाव में संजय सिंह ने आत्महत्या की तो जीएसटी डिपार्टमेंट में काम कैसे होता है? आखिर समस्या कहां है? उंगलियां कहां उठ रही हैं? क्यों उठ रही हैं? आइए उनके कारणों को जानते हैं. सरकारी अफसर सीधे मीडिया से बात नहीं करते. इस समस्या की जड़ तक जाने के लिए हमने कई अफसरों से भी बात की, सभी ने खुलकर जानकारी दी लेकिन नाम न छापने की शर्त पर क्योंकि सरकारी अफसरों का मीडिया से बात करना नाफरमानी माना जाता है. ये हैं बड़े कारण
1-70 फीसदी बढ़ा दिया गया टारगेटजीएसटी डिपार्टमेंट के एक बड़े अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि 2023-2024 में एक लाख तीन हजार (103000) करोड़ रुपये की राजस्व वसूली हुई थी, लेकिन 2024 में टारगेट बढ़ाकर एक लाख पचहत्तर हजार (175000) करोड़ कर दिया गया. प्रमुख सचिव देवराज की जिद है कि इसको हर हाल में हासिल करना है. इसके लिए हर रोज सुबह घंटे-डेढ़ घंटे की वर्चुअल मीटिंग होती है. जो अधिकारी इसमें शामिल होते हैं, उनके जूनियर उनकी तैयारी में लगे रहते हैं कि क्या पूछ लिया जाए. अगर कोई गलती हो गई तो वहीं कहा जाता है कि काम न हुआ तो सस्पेंड कर देंगे. पीसीएस अधिकारियों के लिए यह बड़ी जिल्लत की बात होती है.
अधिकारियों को सबसे ज्यादा रंज इस बात का है कि यह कमाकर देने वाला विभाग है लेकिन ऐसे ट्रीट किया जाता है कि सारे अधिकारी नकारा हैं. किसी को काम नहीं आता, कोई भी अधिकारी काम नहीं करता है. दावा किया जा रहा है कि प्राइवेट सेक्टर से भी बुरा हाल है. ये करना है अभी करना है जैसे आदेशों की भरमार है. एक अधिकारी ने बताया कि जैसे प्रदेश का एक जेंटलमैन पानी का, बिजली का, फोन का, गैस का बिल समय से जमा करना अपना कर्तव्य समझता है, उसी तरह 90 फीसदी व्यापारी समय से टैक्स जमा करना अपनी जिम्मेदारी समझते हैं. 10 फीसदी लोग किसी मजबूरी में या अपनी आदत के कारण टैक्स देने में देरी करते हैं. लेकिन कहा ये जाता है कि व्यापारी टैक्स ही नहीं जमा कर रहे हैं.
2-2016 से नहीं हुई समूह ‘ग’ की भर्ती, 65 फीसदी पद खालीनाम न छापने की शर्त पर एक अफसर का कहना है कि अधिकारी तो आदेश देते हैं. मामलों का निपटारा करते हैं, काम तो जूनियर कर्मचारी करते हैं. लेकिन वो हैं ही नहीं. विभाग में जूनियर असिस्टेंट के 1700 पद स्वीकृत हैं लेकिन 1500 पद खाली हैं. सीनियर असिस्टेंट के 2400 पद स्वीकृत हैं लेकिन 1200 पद खाली हैं. ऐसे में काम हो कैसे, स्टेनो का काम तो स्टेनो ही करेगा. लेकिन हालात और डर का माहौल ऐसा है कि अफसरों को ही स्टेनो का भी काम करना पड़ता है. अधिकारियों ने तो नहीं लेकिन वकीलों का कहना है कि हालात यह हैं कि प्राइवेट लोगों से काम कराया जा रहा है.
3-समय सीमा से पहले काम खत्म करने का मौखिक आदेशजीएसटी के एक अफसर ने बताया, ‘जीएसटी में सेंट्रल की भी हिस्सेदारी है. हमें उनका भी काम करना होता है. अगर सेंट्रल की कोई फर्म टैक्स ना दे तो हमें बोला जाता है कि आप क्यों नहीं देख रहे हैं, क्योंकि टैक्स तो उससे हमें भी मिलता है. एक्ट के अनुसार जीएसटी के मामलों की आखिरी तारीख 28 फरवरी होती है. आदेश दिया गया कि 10 से 11 तारीख में काम खत्म करो. सारे आदेश मौखिक होते हैं, कोई लिखित आदेश नहीं दिया जाता है. कहा जाता है कि एसआईबी के केस 10 दिनों में कर दो जबकी उसकी एक प्रक्रिया होती है. ये आदेश भी मौखिक ही दिया जाता है.’ क्वासी जूडिशियल काम जिसका जिक्र सिटिजन चार्टर में है उसके लिए कहा जाता है. इतने टाइम में कराओ.
4- हर वक्त लटकती है सस्पेंशन की तलवारजीएसटी अफसर ने आगे बताया, ‘सरकार द्वारा जो ब्याज माफी योजना चलाई गई है वो स्वैछिक है. ये व्यापारी तय करता है कि वो इसका लाभ लेना चाहता है या नहीं. सेंट्रल वालों के लिए भी यही स्कीम है. हमारे ऊपर दबाव बनाया जा रहा है कि व्यापारियों को ये योजना लेनी ही होगी. दूसरी तरफ सेंट्रल जीएसटी वालों के यहां इस तरह का कोई दबाव नहीं है. हर आदेश के बाद बोला जाता है सस्पेंड कर दूंगा.
हर जोन के लिए उक्त योजना लागू करने के लिए लक्ष्य दिया जा रहा है और ना करने पर जोन से अधिकारियों के नाम मांगे जा रहे हैं, जिनकी खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. हर अधिकारी से कहा जा रहा है कि 5 व्यापारियों को समाधान योजना में लाओ. अधिकारी पूछ रहे हैं सरकार की समाधान योजना में कौन आना चाहता है, कौन नहीं आना चाहता, यह अधिकारी कैसे तय करेगा. व्यापारी के पास योजना में न आने के कई कारण होते हैं. लेकिन कहा जाता है सस्पेंड कर देंगे, इसी का शिकार डिप्टी कमिश्नर संजय सिंह हो गए. वो सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखने वाले वकीलों को तथ्य मुहैया कराते थे, उन्हें सेक्टर के टारगेट में झोंक दिया गया. उन्होंने परेशान होकर जान दे दी.
5-रोज होती है मीटिंग, नाराज अफसरों ने छोड़ा वॉट्सऐप ग्रुपएक जीएसटी अफसर ने बताया, ‘रोजाना 10 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए प्रमुख सचिव जीएसटी देवराज मीटिंग लेते हैं. हर रोज नया आदेश दिया जाता है और उसका तुरंत पालन करने को कहा जाता है. आदेश के पालन नहीं करने पर सस्पेंड की धमकी दी जाती है. रोजाना 50 तरीके की सूचना मांगी जाती है, जिसको तैयार करने में दो घंटे लग जाते हैं, फिर काम और टारगेट पूरा न हो तो सस्पेंशन की धमकी दी जाती है.’ संजय सिंह के सुसाइड के बाद जीएसटी अधिकारियों के अलग-अलग यूनियन ने मोर्चा खोल दिया है. स्टेट टैक्स वॉट्सऐप ग्रुप को 800 से अधिक अफसरों ने छोड़ दिया है. इसी ग्रुप में रोजाना कमांड मिलता है.
होली के बाद मास कैजुअल लीव ले सकते हैं अफसरइस मामले में टीवी9 डिजिटल ने स्टेट टैक्स डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव एम. देवराज से बात करने की कोशिश तो उनका मोबाइल नंबर बंद आया. फिलहाल, जीएसटी अधिकारियों के यूनियन ने वॉट्सऐप ग्रुप छोड़ दिया है और काली पट्टी बांधकर काम कर रहे हैं. संगठनों ने यूपी के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह से मिलकर अपनी समस्या बताने का भी फैसला किया है. साथ ही होली की छुट्टी के बाद मास कैजुअल लीव लेकर विरोध प्रदर्शन करने की रणनीति भी बनाई जा रही है.
कौन थे डिप्टी कमिश्नर संजय सिंहसंजय सिंह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मऊ के रहने वाले थे. वह पिछले चार साल से गाजियाबाद में तैनात थे, लेकिन उनका निवास नोएडा के सेक्टर 75 स्थित एक सोसायटी में था. उनके परिवार में पत्नी और दो बेटे हैं. बड़ा बेटा गुरुग्राम की एक कंपनी में जॉब कर रहा है, जबकि छोटा बेटा नोएडा स्थित एक निजी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहा है.
1996 बैच के IAS हैं एम देवराजवस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी विभाग के प्रमुख सचिव एम देवराज 1996 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. मूल रूप से तमिलनाडु के विरुधुनाग के रहने वाले देवराज को ट्रेनिंग के बाद असिस्टेंट मजिस्ट्रेट के रूप में गोंडा में पहली पोस्टिंग मिली थी. उसके बाद बलिया और गोरखपुर में वह संयुक्त मजिस्ट्रेट रहे. फिर एटा में मुख्य विकास अधिकारी और उसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार के तकनीकी शिक्षा विभाग में विशेष सचिव के रूप में तैनात हुए. उन्होंने अब तक कई विभागों में अलग-अलग पदों पर काम किया है.
एम देवराज कई जिलों में मजिस्ट्रेट एवं कलेक्टर की भूमिका निभा चुके हैं, इसमें कौशांबी, औरैया, श्रावस्ती, बलिया, मैनपुरी, रामपुर, बरेली, झांसी, उन्नाव, बदायूं और प्रतापगढ़ शामिल हैं. वह यूपी सरकार के तकनीकी शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विभाग में प्रमुख सचिव पद पर भी रहे हैं. अगर एम देवराज की पढ़ाई की बात करें तो उन्होंने ट्रिपल MA किया है. उनके पास कृषि, पर्यावरण, विकास मानक की डिग्रियां हैं. सख्त अधिकारी माने जाते हैं. इसके पहले यूपीसीएल में थे, भारी विरोध के बाद उन्हें वहां से हटाया गया था.