नागपुर हिंसा के पीछे कितनी बड़ी साजिश? 

नागपुर हिंसा के पीछे कितनी बड़ी साजिश? 

महाराष्ट्र के नागपुर में हाल ही में हुई हिंसा के पीछे की क्या साजिश है? इसे लेकर हो रही है सियासत पर इस हफ्ते खबरों के खिलाड़ी में चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह, विनोद अग्निहोत्री, पूर्णिमा त्रिपाठी, समीर चौगांवकर और हर्षवर्धन त्रिपाठी मौजूद रहे।  

औरंगजेब मामले में छिड़े विवाद के बीच नागपुर के कई हिस्सों में 17 मार्च को बड़े पैमाने पर पथराव और आगजनी की खबरें आईं। इस हिंसा के बाद राजनीतिक दलों में बयानबाजी जारी है। इस बयानबाजी के पीछे राजनीतिक दल अपने-अपने समीकरण साध रहे हैं। नागपुर की हिंसा के पीछे की क्या साजिश है? इसे लेकर हो रही है सियासत पर इस हफ्ते खबरों के खिलाड़ी में चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह, विनोद अग्निहोत्री, पूर्णिमा त्रिपाठी, समीर चौगांवकर और हर्षवर्धन त्रिपाठी मौजूद रहे।  

रामकृपाल सिंह: यह योजना पहले से थी। इसे मैं नहीं मनता कि यह केवल आक्रोश था। समाज में इस तरह की तमाम ताकतें हैं। ये ताकतें ज्यादा संगठित हो रही हैं। प्रशासन को भी चाहिए था कि वो त्वरित कार्रवाई करे, लेकिन वह हाथ पर हाथ धरे बैठा है। इससे माहौल विषाक्त हो रहा है। नागपुर की घटना पूरी तरह से सुनियोजित घटना था। इसकी पूरी जांच होनी चाहिए। ममला कानूनी तौर पर विचाराधीन है, इसलिए इसमें कौन गलत, कौन सही कर रहा है इस पर टिप्पणी नहीं करुंगा। 
पूर्णिमा त्रिपाठी: यह जो भी था यह पूरा एक साजिश की तहत हुआ है। इससे किसे फायदा होगा और किसे नुकसान होगा यह सभी को पता है। मैं एक बात कहना चाहती हूं कि औरंगजेब के मामले में जो बवाल चल रहा है वो बारूद में तीली लगाने के जैसा है। किसी फिल्म को अपने एक्शन का आधार बना लेना कहीं से भी उचित नहीं है। जो भी इस तरह की चीजों को बढ़ावा दे रहा है उसे समझना होगा कि ये चीजें यहीं नहीं रुकेंगीं। आप ढूंढने जाएंगे तो भारत में ऐसे हजारों हजार आक्रांता हैं। इस तरह की कब्र खोदने जाएंगे तो देश तबाह हो जाएगा। ऐतिहासिक अन्याय को आप कहां तक उभाकर घावों को कितना हरा कर रहे हैं, इसका आपको अनुमान भी नहीं है। ऐसा करके देश को मत जलाइये। 

हर्षवर्धन त्रिपाठी: जब से महाराष्ट्र में सरकार बनी तब से क्या हो रहा है। ये जो घटना है, उसमें हम मुख्य किरदार को भूल गए हैं। इसमें मुख्य किरदार अबु आसिम आजमी हैं। इस पूरे विवाद में हम उन्हें भूल गए। अबु आजमी के बयान के बाद जब उन्हें निलंबित किया गया, उसके बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जिस तरह का बयान दिया उसे देखिए। फ्रॉड सेक्युलरिज्म का राग गाना कहां तक सही है। इस मामले में जितने भी दोषी साबित होते हैं उन्हें ऐसी सजा दी जाए जिससे कोई भी इस तरह की हिम्मत न कर सके। 

समीर चौगांवकर: इस मामले में नागपुर के कमिश्नर ने बता दिया है कि इस पूरे दंगे के पीछे कौन था। पुलिस ने बताया है कि फहीम शेख ने यह माना है कि उसने लोगों के बीच झूठा मैसेज फैलाया और 15 मिनट के अंदर 70 से ज्यादा लोगों को इकट्ठा किया। मुझे लगता है कि एक वर्ग चाहता था कि देवेंद्र फडणवीस की छवि को खराब किया जाए। मुझे लगता है कि अब कानूनी कर्रावाई होगी और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। अबु आजमी ने जो बयान दिया था वो पूरी तरह से अखिलेश यादव की सहमति के बाद दिया है। अबु आजमी अभी भी पार्टी में कायम हैं। 
विनोद अग्निहोत्री: राजनीतिक रूप से आप किसी औचित्यपूर्ण प्रतिक्रिया की अपेक्षा मत करिए। कोई भी राजनीतिक दल हो, वो अपनी राजनीतिक सुविधा के मुताबिक प्रतिक्रिया देगा। हर दल में हर तरह के लोग हैं। इस तरह के नेता कोई न कोई बयान देते रहते हैं। हालांकि, बयान के बाद नागपुर में जो हुआ वो बहुत ही निंदनीय है। इस पूरे मुद्दे के पीछे ध्रुवीकरण की राजनीति है। महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय के चुनाव हैं। दोनों गठबंधन के दल अलग-अलग चुनाव लड़ने के सोच रहे हैं। उसी को देखते हुए बयानबाजी हो रही है।

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