दिल्ली कई वर्षों से जल संकट का सामना कर रही है। बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण और सीमित जल संसाधनों के कारण पानी की मांग और आपूर्ति के बीच अंतर बना हुआ है। इसके पीछे दिल्ली का पानी के मामले में आत्मनिर्भर नहीं होना है। पानी पर सियासत भी होती है, जो जनता को परेशान करती रही है।
दरअसल दिल्ली पानी के मामले में मुख्य तौर पर पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है। दिल्ली में वर्तमान में प्रतिदिन लगभग 990 मिलियन गैलन (एमजीडी) पानी की आपूर्ति होती है, जबकि मांग 1250 एमजीडी से अधिक है। इस प्रकार प्रतिदिन लगभग 260 एमजीडी की कमी है, जो गर्मियों में और भी विकराल रूप ले लेती है।
दिल्ली की जल आपूर्ति मुख्यतः यमुना व गंगा नदियों पर निर्भर है, जिनका पानी उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों के बीच विभाजित है। इन राज्यों की अपनी आवश्यकताएं हैं, जिससे दिल्ली को पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता। उधर, पानी की कमी के बीच दिल्ली की जल वितरण प्रणाली में लीकेज, अवैध कनेक्शन और टैंकर माफिया जैसी समस्याएं हैं, जो जल आपूर्ति में बाधा उत्पन्न करती हैं। इन सब बातों के बीच दिल्ली में जल स्रोतों की कड़ी में झीलों और तालाबों का संरक्षण और पुनर्जीवन पर्याप्त रूप से नहीं किया गया है, जिससे भूजल स्तर में गिरावट आई है।
हालांकि, दिल्ली सरकार और संबंधित एजेंसियां जल संकट को कम करने और आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए विभिन्न कदम उठा रही हैं। इस कड़ी में पानी का शोधन बढ़ाया है। वर्ष 2015 में दिल्ली की जल शोधन क्षमता लगभग 850 एमजीडी थी। वर्तमान में इसे बढ़ाकर 990 एमजीडी किया गया है और अगले 2-3 वर्षों में इसे 1200 एमजीडी तक ले जाने का लक्ष्य है। वहीं दिल्ली में जल स्रोतों का पुनर्जीवन और वर्षा जल संचयन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
जल वितरण प्रणाली में सुधार के लिए लीकेज को कम करने 100 प्रतिशत मीटरिंग सुनिश्चित करने और अवैध कनेक्शनों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। अपशिष्ट जल के पुनर्चक्रण और पुन: उपयोग को बढ़ावा देने के लिए नई तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है।
उधर पिछले पांच वर्षों में भूजल के माध्यम से आपूर्ति में वृद्धि देखी गई है। वर्ष 2020 में भूजल के माध्यम से 86 एमजीडी पानी की आपूर्ति हो रही थी, जो 2024 में बढ़कर 135 एमजीडी हो गई है।
जल संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत : नकवी
सिटीजन फ्रंट फॉर वाटर डेमोक्रेरी के संयोजक एसए नकवी ने दिल्ली में बढ़ते पेयजल संकट पर चिंता जताते हुए कहा कि पानी की मांग और आपूर्ति के बीच बढ़ता अंतर भविष्य में और गंभीर हो सकता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की बढ़ती आबादी और जल स्रोतों की सीमित उपलब्धता को देखते हुए जल संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
उन्होंने जनता से अपील की कि वे पानी की बचत को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं। नलों से पानी बहने देना, गाड़ियों की धुलाई में अत्यधिक पानी का उपयोग और पाइप लीकेज जैसी समस्याओं पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। सरकार को भी जल संकट से निपटने के लिए ठोस योजनाएं गंभीरता से लागू करनी होंगी। वर्षा जल संचयन जैसी तकनीकों को अपनाना आवश्यक है।