ड्रग्स का नया गढ़ बना यह भारतीय राज्य ?

 ड्रग्स का नया गढ़ बना यह भारतीय राज्य, हर जिले में 500 से ज्यादा केस, पंजाब भी पीछे छूटा!

NCRB और संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक, केरल में नशे का कारोबार तस्करी के माध्यम से कम व्यक्तिगत मांग के हिसाब से हो रहा है. इस मामले में केरल ने पंजाब को पीछे छोड़ दिया है.

केरल इन दिनों नशीली दवाओं के दुरुपयोग की एक बड़ी और तेजी से बढ़ती समस्या से जूझ रहा है. हाल के आंकड़े बताते हैं कि यहां नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) एक्ट, 1985 के तहत दर्ज मामलों में बहुत बड़ा उछाल आया है. भारत के कई राज्यों में नशे की समस्या रही है, लेकिन केरल में हाल की स्थिति बहुत अलग और गंभीर है. यहां यह समस्या सिर्फ शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे राज्य में फैल गई है. खास बात यह है कि ज्यादातर मामले नशे के व्यक्तिगत इस्तेमाल से जुड़े हैं, न कि तस्करी से. 

केरल में 2021 में यहां 5,695 मामले दर्ज हुए थे. लेकिन 2022 में यह संख्या बढ़कर 26,619 हो गई. 2023 में यह आंकड़ा 30,000 को पार कर गया और 2024 में अब तक 27,701 मामले सामने आ चुके हैं. यह तेज बढ़ोतरी दिखाती है कि नशे की समस्या यहां कितनी गंभीर हो गई है. पहले से मौजूद चिंताओं के बावजूद, यह उछाल इसे एक बड़ी चुनौती बना रहा है. 

पंजाब, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी नशे की समस्या रही है, लेकिन केरल का हाल का सबसे अलग है. 2023 में महाराष्ट्र में केरल के मुकाबले आधे मामले ही दर्ज हुए, जबकि वह पहले दूसरे नंबर पर था. 2024 में पंजाब ने दूसरा स्थान पर था, लेकिन उसके मामले भी केरल के एक तिहाई ही थे. यह अंतर साफ करता है कि केरल में नशे की समस्या कितनी गहरी है.  

अगर प्रति लाख लोगों पर दर्ज मामलों को देखें, तो केरल की स्थिति और भी चिंताजनक दिखती है. 2024 में यहां प्रति लाख लोगों पर 78 मामले दर्ज हुए, जो इसे देश में किसी भी राज्य से सबसे ज्यादा है.पंजाब, जो इस सूची में दूसरा बड़ा राज्य है, वहां यह आंकड़ा सिर्फ 30 था. यह बताता है कि केरल की आबादी में नशे से जुड़ी समस्याएं कितनी फैली हुई हैं. 

दूसरे राज्यों में नशे के मामले ज्यादातर बड़े शहरों में केंद्रित होते हैं, लेकिन केरल में यह हर जिले में फैला हुआ है. रिपोर्ट कहती है कि 2022 में केरल के हर जिले में कम से कम 500 मामले दर्ज हुए, जो किसी अन्य राज्य में नहीं देखा गया. उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र में मुंबई जिले ने 80% मामले दिए, और कर्नाटक में बेंगलुरु ने 63% मामले दर्ज किए. 

 केरल में नशे की समस्या की एक खास बात यह है कि यहां ज्यादातर मामले नशे के व्यक्तिगत इस्तेमाल से जुड़े हैं. 2022 में 94% मामले व्यक्तिगत इस्तेमाल के थे, जबकि सिर्फ 6% तस्करी से संबंधित थे. देश के टॉप 25 जिलों में, जहाँ व्यक्तिगत इस्तेमाल के मामले सबसे ज्यादा हैं, उनमें 17 केरल के हैं. लेकिन तस्करी के इरादे से जुड़े टॉप 25 जिलों में केरल का एक भी जिला नहीं है, जबकि पंजाब के 13 जिले इसमें शामिल हैं. इससे पता चलता है कि यहां बड़ी आबादी नशे के गिरफ्त में जा रही है, लेकिन बड़े पैमाने पर तस्करी का केंद्र यह राज्य नहीं है. 

राज्य जिला मामले
महाराष्ट्र मुंबई 10264
कर्नाटक बेंगलुरु 3457
केरल मलप्पुरम 2724
केरल एर्नाकुलम 2685
केरल तिरुवनंतपुरम ग्रामीण 1702
मध्य प्रदेश इंदौर 1629
केरल कोल्लम 1584
केरल कन्नूर 1340
केरल कोट्टायम 1338
केरल कासरगोड 1299
केरल वायनाड 1278
केरल कोझीकोड 1181
केरल तिरुवनंतपुरम 1173
केरल आलप्पुझा 1157
केरल पलक्कड़ 1088
केरल एर्नाकुलम ग्रामीण 1076
केरल त्रिशूर ग्रामीण 934
तमिलनाडु चेन्नई 874
केरल इडुक्की 798
केरल कोल्लम ग्रामीण 754
महाराष्ट्र मीरा भयंदर 717
केरल कोझीकोड ग्रामीण 696
उत्तर प्रदेश गाज़ियाबाद 677
पंजाब लुधियाना 677
पंजाब पटियाला 623

नशे की बढ़ती समस्या ने केरल सरकार और अदालतों को चिंतित कर दिया है. मार्च में केरल हाईकोर्ट ने भी चेतावनी दी थी.  राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से मिलकर छात्रों के नशे पर बात की. राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ने नशे के खिलाफ ‘लव-ए-थॉन’ अभियान शुरू किया.  मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने नए सब-इंस्पेक्टरों से ड्रग व्यापार के खिलाफ कार्रवाई करने की भी अपील की थी. यहां तक कि राज्य विधानसभा ने अपनी नियमित कार्यवाही रोककर इस संकट पर चर्चा की. 

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2023 और 2024 के आंकड़े अभी अस्थायी हो सकते हैं. इसका मतलब है कि ये आंकड़े बाद में बदल भी सकते हैं.  इस समस्या को और गहराई से समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि कौन से नशे सबसे ज्यादा इस्तेमाल हो रहे हैं. इसके पीछे सामाजिक और आर्थिक कारण क्या हैं, यह भी देखना होगा. सरकार के अभियानों और कदमों की सफलता को जांचना भी जरूरी है. यह समझना कि केरल में व्यक्तिगत इस्तेमाल के मामले तस्करी से ज्यादा क्यों हैं, इससे बेहतर हल निकालने में मदद मिल सकती है। 2023 और 2024 के अंतिम आंकड़ों पर नजर रखना भी जरूरी है ताकि स्थिति साफ हो सके.  

केरल में नशे की यह बढ़ती लत लोगों के स्वास्थ्य को तो प्रभावित कर ही रही है, साथ ही समाज और अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर डाल रही है. खासकर युवाओं में नशे की आदत बढ़ने से उनकी पढ़ाई, नौकरी और भविष्य खतरे में पड़ रहा है. परिवार टूट रहे हैं और अपराध भी बढ़ रहे हैं. सरकार के सामने यह एक बड़ी चुनौती है कि वह नशे की आपूर्ति को रोके और लोगों को इसके खतरों से बचाए.  

राज्य जिला मामले
महाराष्ट्र मुंबई 782
पंजाब फिरोजपुर 731
पंजाब अमृतसर 671
तमिलनाडु कड्डलोर 667
हरियाणा सिरसा 624
उत्तर प्रदेश सहारनपुर 607
पंजाब पटियाला 597
कर्नाटक बेंगलुरु 570
उत्तर प्रदेश बाराबंकी 466
पंजाब बठिंडा 449
पंजाब मोगा 436
पंजाब तरनतारन 432
पंजाब मुक्तसर 420
पंजाब जालंधर ग्रामीण 399
पंजाब एसएएस नगर 392
पंजाब मानसा 375
असम नागांव 314
पंजाब फाजिल्का 300
जम्मू-कश्मीर जम्मू 296
पंजाब अमृतसर ग्रामीण 291
उत्तर प्रदेश सोनभद्र 291
पंजाब जालंधर 285
राजस्थान हनुमानगढ़ 263
उत्तर प्रदेश मथुरा 263
राजस्थान गंगानगर 261

केरल पुलिस ने ‘ऑपरेशन डी-हंट’ जैसे अभियान चलाए हैं. इनमें हजारों लोग गिरफ्तार हुए और बड़ी मात्रा में नशीले पदार्थ जब्त किए गए. स्कूलों और कॉलेजों में बच्चों को नशे से बचाने के लिए खास कार्यक्रम शुरू किए गए हैं. लेकिन सवाल यह है कि क्या ये कदम काफी हैं? विशेषज्ञों का कहना है कि नशे की जड़ तक पहुंचने के लिए और सख्त कदमों की जरूरत है.  

यह संकट केरल के लिए एक बड़ी चेतावनी है. अगर अभी कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले सालों में यह और बड़ा रूप ले सकता है. समय रहते सही रणनीति और सबके सहयोग से ही इस समस्या का हल निकाला जा सकता है. केरल के लोगों को अब जागरूक और सक्रिय होने की जरूरत है ताकि यह राज्य फिर से सुरक्षित और स्वस्थ बन सके

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *