नरेंद्र से बदलकर डॉ एन जॉन केम नाम रखा..7 जिंदगियां छीनने वाले ठग की कहानी ?

MP: नरेंद्र से बदलकर डॉ एन जॉन केम नाम रखा, लंदन का हार्ट सर्जन बता की अस्पताल में नौकरी, 7 जिंदगियां छीनने वाले ठग की कहानी

दमोह में ईसाई मिशनरी अस्पताल है. यहां एक फेक डॉक्टर के इलाज से कथित 7 मरीज़ों की जान चली गई. आरोपी खुद को लंदन से पढ़ा हुआ डॉक्टर बताता था. जांच में उसके सारे दस्तावेज फर्जी निकले हैं. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के लिए तीन सदस्यीय का गठन किया है.

MP: नरेंद्र से बदलकर डॉ एन जॉन केम नाम रखा, लंदन का हार्ट सर्जन बता की अस्पताल में नौकरी, 7 जिंदगियां छीनने वाले ठग की कहानी

दमोह के अस्पताल में डॉक्टर बनकर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने किया इलाज

अरे ये डॉक्टर साहब लंदन से हैं. वहीं पर पढ़ाई की है. अच्छे हार्ट सर्जन हैं. इसी झांसे में आकर लोग डॉ एन. जॉन केम से इलाज करवाने आते थे. लेकिन जब सर्जरी के दौरान हार्ट पेशेंट की मौतें होने लगीं, तो यह डॉक्टर संदेह के घेरे में आ गया. फिर जांच बैठी और जो हकीकत सामने आई, उससे होश उड़ गए. डॉ एन. जॉन केम न तो डॉक्टर है और न ही उसने विदेश में कोई पढ़ाई की है. उसका असली नाम भी ये नहीं है. वह एक ठग है और उसकी जानलेवा करतूतों से 7 मरीजों की कथित मौत हो गई. ये पूरा मामला मध्य प्रदेश के दमोह के ईसाई मिशनरी अस्पताल का है.

दमोह में ईसाई मिशनरी अस्पताल शहर में काफी प्रसिद्ध है. यहीं पर बतौर हार्ट सर्जन डॉ एन. जॉन केम नौकरी करता था. लेकिन, अब 7 हार्ट के मरीजों की मौत के बाद उसकी असली सच्चाई सामने आई है. अधिकारियों के मुताबिक, वह कोई डॉक्टर नहीं है. उसका नाम डॉ एन. जॉन केम भी नहीं है. ये एक शातिर ठग है और इसका असली नाम नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है.

खुद को लंदन का नामी कार्डियोलॉजिस्ट बतातानरेंद्र विक्रमादित्य यादव ने खुद को लंदन का नामी कार्डियोलॉजिस्ट बताकर दमोह के अस्पताल में नौकरी की. इस दौरान मरीजों का इलाज कर कई जिंदगियों को दांव पर लगा दिया. अब यह मामला न केवल जिला प्रशासन बल्कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गया है. आरोपी ने ब्रिटेन के प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर एन. जॉन केम के नाम पर फर्जी दस्तावेजों के सहारे अस्पताल में नौकरी हासिल की. जांच में पता चला कि यह शख्स असल में नरेंद्र विक्रमादित्य यादव है, जो डॉक्टर भी नहीं है.

पहले से आपराधिक मामले दर्जयह पहला मौका नहीं है, जब नरेंद्र यादव विवादों में आया हो. इससे पहले हैदराबाद में उस पर आपराधिक मामला दर्ज हो चुका है. देश के कई शहरों में धोखाधड़ी के मामलों से उसका नाता जुड़ चुका है. साल 2023 में इसी नाम से ट्विटर की वेरिफाइड आईडी से एक ट्वीट किया गया था, जिसमें यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुए कहा गया था कि फ्रांस में दंगे रोकने योगी को भेजा जाए. इस ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर खूब बवाल हुआ था, और बाद में खुलासा हुआ कि यह अकाउंट भी नरेंद्र यादव का था.

दमोह में जब इस शख्स की जांच शुरू हुई तो वह फरार हो गया. शिकायतकर्ता के अनुसार, एक पीड़ित जब अपने दादा का इलाज कराने इस अस्पताल में आया तो डॉक्टर पर शक हुआ. फिर उसकी असलियत पता चली.

आरोपी के खिलाफ जांच टीम गठितराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तीन सदस्यीय जांच दल गठित किया है, जो 7 से 9 अप्रैल तक दमोह में कैंप करेगा. आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने ट्वीट कर इस बात की पुष्टि की. वहीं, इस मामले में सियासत गरमा गई है. नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार ने ट्वीट कर सरकार और प्रशासन पर सवाल उठाते हुए लिखा रक्षक ही बन गए भक्षक, सरकार बन गई मूक दर्शक. उन्होंने मामले को नरसंहार करार देते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की.

दमोह का ये मामला सिर्फ सात मौतों का नहीं, सिस्टम की एक बहुत बड़ी नाकामी का आइना है. अब देखना ये है कि क्या सरकार और प्रशासन इस मामले को सिर्फ जांचों में उलझा कर छोड़ देंगे या फिर सख्त कार्रवाई भी होगी ?

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