ग्वालियर के अस्पताल में मानवता की मौत

रात 2 बजे कोरोना मरीज की मौत, परिजनों को 15 घंटे बाद तक सूचना नहीं दी, शव पता लगाने के लिए डॉक्टरों के सामने गिड़गिड़ाता रहा बेटा
  • खाना लेकर सुपर स्पेशियलिटी पहुंचा बेटा तो बताया कि इस नाम का कोई पेशेंट ही नहीं, बाद में पता चला कि डेड हाउस में लावरिस पडी है पिता की लाश

ग्वालियर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में संवेदनहीनता की सारी हदें पार कर दी गई। कोरोना मरीज की मौत को 15 घंटे बीत चुके थे, लेकिन परिजन को न कोई मैसेज न कॉल किया गया। यहां तक कि पत्नी और बेटा पसंदीदा खाना लेकर अस्पताल पहुंचे तो पता लगा कि इस नाम का कोई पेशेंट ही भर्ती ही नहीं है।

कोई डॉक्टर कुछ बोलने को तैयार नहीं था। बेटा वहां मौजूद डॉक्टरों के पैरों में गिर गया और गिड़गिड़ाता रहा। उसके बाद एक डॉक्टर ने मदद की, जब 8 से 10 फोन लगाए तो पता लगा कि उस पेशेंट की तो 15 घंटे पहले मौत हो चुकी है। शव लावारिस डेड हाउस में पड़ा है। इसके बाद परिजन को शव मिल सका है।

ग्वालियर निवासी 56 वर्षीय दिनेश श्रीवास 19 अप्रैल को संक्रमित आए थे। बेटा नितिन ने उनको उसी दिन सुपर स्पेशियलिटी में भर्ती कराया था। इसके बाद सब ठीक चल रहा था। पिता की हालत में सुधार भी था। 29 अप्रैल को हॉस्पिटल से नितिन के पास कॉल आया। उनके पिता के स्वस्थ्य होने की बात कह कर डिस्चार्ज कराने के लिए कहा। बेटा भी खुशी-खुशी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल पहुंच गया। यहां पेशेंट को डिस्चार्ज कर दिया गया। जब दिनेश श्रीवास को परिजन घर लेकर पहुंचे तो वहां उनको नाक से खून निकलने लगा और खून की उल्टी भी आ रही थी। जब उन्होंने डिस्चार्ज कार्ड देखा तो उसमें कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव ही लिखा था। मतलब बिना निगेटिव आए मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया था।

वापस भर्ती नहीं किया बाहर फेंक दिया

जब दिनेश को नाक से खून बहना बंद नहीं हुआ तो बेटा नितिन उन्हें लेकर सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल पहुंचा। यहां डॉक्टरों ने पहले तो भर्ती नहीं किया। काफी गिड़गिड़ाने के बाद वापस भर्ती कर लिया। अभी परिजन घर पहुंचे ही थे कि दिनेश का फोन पहुंचा। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने उसे अस्पताल के बाहर निकाल दिया है। इस पर घबराकर परिजन फिर अस्पताल पहुंचे। 3 घंटे पूरे शहर के अस्पतालों में घूमे, लेकिन किसी ने भर्ती नहीं किया। आखिर में वापस सुपर स्पेशियलिटी पहुंचे। यहां मिन्नतें की तो सुपर स्पेशियलिटी के HDO वार्ड-5 में भर्ती किया।

खाना लेकर पहुंचे तो पता लगा 15 घंटे पहले मर चुके हैं

30 अप्रैल को पिता को भर्ती कराने के बाद रात को 8 बजे बेटे ने वीडियो कॉल पर बात की। इसके बाद वह चैन की नींद सो गए। अगले दिन 1 मई दोपहर को वह पिता के पसंद का खाना बनाकर देने गए। यहां हॉस्पिटल के रिसेप्शन पर पहुंचे और खाना पहुंचाने के लिए कहा। रिसेप्शन पर जवाब मिला कि इस नाम का यहां कोई पेशेंट भर्ती नहीं है। इसके बाद नितिन ने हर आने जाने वाले डॉक्टर से गुहार लगाई, लेकिन कोई कुछ नहीं बता रहा था। दोपहर 2 बजे से शाम के 5 बज गए। फिर एक डॉक्टर ने उसके लाख गिड़गिड़ाने पर अपने स्तर पर पता लगाया। तब जानकारी मिली कि दिनेश श्रीवास की 15 घंटे पहले शुक्रवार और शनिवार दरमियानी रात 2 बजे मौत हो गई है। परिजन को 1 मई शाम 5 बजे शव मिला। डेड हाउस से शव लेकर अंतिम संस्कार हुआ।

सुपर स्पेशियलिटी में नहीं सूचना की कोई व्यवस्था

यह पहला मामला नहीं है। हर दिन मरीजों के परिजन परेशान हो रहे हैं। वहां ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बनाई गई है जिससे वहां भर्ती मरीजों और उनकी मौत के बाद परिजन को प्रॉपर सूचना दी जा सके। कलेक्टर ग्वालियर कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने दो अधिकारियों की वहां ड्यूटी लगाई थी, लेकिन वह व्यवस्था नजर कहीं नहीं आती।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *