किस राज्य से कितनी महिलाएं गुमशुदा?

NCRB: कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से क्यों मांगी लापता लड़कियों पर रिपोर्ट, किस राज्य से कितनी महिलाएं गुमशुदा?

NCRB data on missing person women and children  bengal maharashtra news in hindi

गुमशुदा लोगों के आंकड़े, स्रोत: एनसीआरबी, 2022 ….

बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र से गुमशुदा लड़कियों से जुड़ी एक जनहित याचिक पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। याचिका में दावा किया गया है कि पूरे महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में लड़कियां गुमशुदा हैं। याचिकाकर्ता ने इनका पता लगाने के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग की गई है। 
 
आइये जानते हैं कि महाराष्ट्र में एक लाख लड़कियों के गुमशुदा होने का मामला क्या है? देश भर में ऐसे कितने मामले आते हैं? किस राज्य से सबसे ज्यादा बेटियां गुमशुदा हैं?जिस बंगाल में डॉक्टर के साथ दरिंदगी की घटना सबसे ज्यादा चर्चा में है वहां क्या स्थिति है?

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गुमशुदा लोगों के आंकड़े, स्रोत: एनसीआरबी, 2022 –
महाराष्ट्र में लड़कियों के गुमशुदा होने का मामला क्या है?
भारतीय सेना के पूर्व सैनिक शाहजी जगताप ने बंबई उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है। जगताप वर्तमान में सरकारी खजाने में लेखा लिपिक के पद पर हैं। दिसंबर 2021 में उनकी बेटी गुमशुदा हो गई थी। स्थानीय पुलिस स्टेशन के कई चक्कर लगाने के बावजूद उन्हें पता चला कि बेटी की तलाश के लिए कोई खास कोशिश नहीं की गई। बेटी के गुमशुदा होने के कुछ दिनों बाद, जगताप को पुलिस ने बताया कि उसने इस्लाम अपना लिया है और एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी कर ली है। याचिकाकर्ता को पुलिस स्टेशन में बेटी से केवल कुछ पल की मुलाकात हुई और उसके कठिन निर्णयों के पीछे की परिस्थितियों के बारे में उन्हें कुछ भी पता नहीं है। याचिका में कहा गया है कि उनकी बेटी को अचानक खोने से उनकी पत्नी को गंभीर भावनात्मक कष्ट पहुंचा, जिन्हें अब लगातार इलाज की जरूरत है।

इस घटना के बाद याचिकाकर्ता ने महाराष्ट्र में गुमशुदा महिलाओं के मुद्दे पर शोध किया और एक चौंकाने वाला खुलासा किया। याचिकाकर्ता ने अदालत के सामने दावा किया कि 14 मार्च, 2023 को संसद में एक प्रश्न के जवाब में गृह मंत्रालय द्वारा आंकड़े उपलब्ध कराए गए थे। इन आंकड़ों के अनुसार, 2019 से 2021 तक महाराष्ट्र में 18 साल और उससे अधिक उम्र की कई महिलाएं गुमशुदा हुईं।

याचिकाकर्ता ने अदालत के सामने यह तर्क दिया गया कि इन गुमशुदा व्यक्तियों का पता लगाने और उनकी सुरक्षा के लिए राज्य की व्यवस्थाएं काफी नहीं हैं। इस याचिका पर सुनवाई करने के बाद न्यायालय ने राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। इसमें गुमशुदा महिलाओं का पता लगाने और उनकी सुरक्षा के लिए किए गए उपायों की रूपरेखा बताने की बात कही गई है।

न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा, ‘बच्चों और महिलाओं के गुमशुदा होने के कई कारण हो सकते हैं। हालांकि, उनका पता लगाना, उनकी सुरक्षा करना राज्य का कर्तव्य है। बच्चों और महिलाओं के गुमशुदा होने की इतनी बड़ी संख्या का एक कारण संभवतः मानव तस्करी का खतरा है।’ 

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गुमशुदा लोग – 
देश भर में ऐसे कितने मामले आते हैं? 
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) देश भर में होने वाले अपराधों से आंकड़े जुटाता है। ब्यूरो इन अपराधों अपराधों पर से जुड़े डेटा ‘भारत में अपराध’ नाम की रिपोर्ट में प्रकाशित करता है। नवीनतम प्रकाशित रिपोर्ट साल 2022 की है। इस रिपोर्ट में गुमशुदा लोगों की संख्या, कुल गुमशुदा, वर्ष के दौरान कुल बरामद/पता लगाए गए और वर्ष के अंत में बरामद/पता नहीं लगाए गए लोगों के आंकड़े होते हैं। 
2022 तक देशभर में सात लाख से ज्यादा लोग गुमशुदा थे
ताजा रिपोर्ट से पता चलता है कि 2022 तक देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कुल 7,85,052 लोग गुमशुदा थे। इनमें 2,87,576 पुरुष और 4,97,393 महिलाएं और 1,27,874 बच्चे (18 साल से कम उम्र के) थे। राज्यवार आंकड़े देखें तो पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा 1,12,526 लोग गुमशुदा थे। इसके बाद महाराष्ट्र में 1,10,221, मध्य प्रदेश में 98,901, दिल्ली में 58,094 और राजस्थान में 52,450 लोग गुमशुदा थे। 
लक्षद्वीप में कोई गुमशुदा नहीं 
वहीं कुछ ऐसे भी राज्य और यूटी थे जहां 2022 तक गुमशुदा लोगों की संख्या 100 से भी कम थी।  इनमें लद्दाख में 94, अरुणाचल प्रदेश में 89, नगालैंड में 66 मिजोरम में 2 लोग थे। वहीं लक्षद्वीप में ऐसे लोगों की संख्या शून्य रही। 
किस उम्र के लोग ज्यादा गुमशुदा? 
2022 तक गुमशुदा कुल 2,87,576 पुरुषों में एनसीआरबी ने उम्रवार आंकड़े भी साझा किए हैं। इसके अनुसार, 12 वर्ष से कम आयु के लड़के 9,934, 12 वर्ष-16 वर्ष के लड़के 11,619, 15 वर्ष-18 वर्ष के लड़के 12,206, लड़के/पुरुष बच्चे और 33,759 वयस्क पुरुष (18 वर्ष और उससे अधिक) 2,53,817 थे। 

गुमशुदा महिलाओं में वयस्क सबसे ज्यादा
वहीं 2022 तक गुमशुदा कुल 4,97,393 महिलाओं में 12 वर्ष से कम आयु की लड़कियां 9940 हैं। 12 वर्ष-16 वर्ष की लड़कियां 31,405, 15 वर्ष-18 वर्ष की लड़कियां 52,734, लड़कियां/महिलाएं 94,079 और वयस्क महिलाएं (18 वर्ष और उससे अधिक) 4,03,314 थीं। 

कहां सबसे ज्यादा महिलाएं गुमशुदा?
गुमशुदा महिलाओं के राज्यवार आंकड़े बताते हैं कि पश्चिम बंगाल में 2022 तक सबसे ज्यादा यह संख्या 75,835 थी। इसके बाद मध्य प्रदेश में 68,700, महाराष्ट्र में 61,031, राजस्थान में 36,586 और ओडिशा में 33,245 महिलाएं गुमशुदा थीं। 

ढूढ़ने वालों में केरल अव्वल तो ओडिशा पीछे
इसके अलावा बताया गया है कि 2022 में कुल 4,01,077 लोगों को ढूढ़ भी लिया गया है। इनमें 1,34,765 पुरुष और 2,66,250 महिलाएं हैं। 2022 में बरामद या पता लगाने का प्रतिशत 51.1 रहा। राज्यों में सबसे ज्यादा यह आंकड़ा केरल का 87.1 प्रतिशत जबकि तेलंगाना का 86.4 प्रतिशत रहा। वहीं सबसे कम ओडिशा का 18.1 प्रतिशत रहा। 
 
गुमशुदा लोगों को खोजने के लिए सरकार क्या करती है?
केंद्र सरकार ने संसद को बताया था कि पुलिस और कानून व्यवस्था राज्य के विषय हैं। कानून और व्यवस्था बनाए रखने, नागरिकों के जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सहित बच्चों सहित नागरिकों के खिलाफ अपराध की जांच और अभियोजन की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की है। राज्य सरकारें मौजूदा कानूनों के प्रावधानों के तहत ऐसे अपराधों से निपटती हैं।

हालांकि, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने गुमशुदा और पाए गए बच्चों के मामलों से निपटने में पुलिस, बाल कल्याण समितियों और किशोर न्याय बोर्ड की सहायता के लिए एक एसओपी जारी की है। एसओपी का उद्देश्य गुमशुदा बच्चों के मामलों से निपटने के दौरान दिशा-निर्देश लागू करना और इससे जुड़े लोगों के साथ समन्वय में काम करना और गुमशुदा बच्चों के मुद्दों पर तत्परता से काम करना है।

गुमशुदा बच्चों और जरूरतमंद बच्चों को आउटरीच सेवाएं प्रदान करने के लिए, महिला और बाल विकास मंत्रालय चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 संचालित करता है, जो 24/7 चालू रहता है। इसके अलावा, किसी भी जरूरतमंद बच्चे को सहायता प्रदान करने के लिए प्रमुख रेलवे प्लेटफार्मों पर रेलवे चाइल्ड लाइन भी संचालित की जा रही हैं। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने ‘खोया-पाया’ और ट्रैकचाइल्ड जैसे पोर्टल भी बनाए हैं।
 

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