CM केजरीवाल का ऐलान- दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ यहां के निवासियों का इलाज होगा

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने कोरोना वायरस के कारण पैदा हुए हालातों का आंकलन करने के लिए गठित की गई पांच सदस्यीय कमेटी के उस सुझाव को मान लिया है, जिसमें कोविड-19 संकट के मद्देनजर दिल्ली के स्वास्थ्य ढांचे का इस्तेमाल केवल राष्ट्रीय राजधानी के निवासियों के उपचार के लिए करने को कहा गया था। दिल्ली सरकार ने कैबिनेट की बैठक में इस सुझाव को लागू करने का फैसला लिया और बैठक के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसका ऐलान किया।

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली के अस्पतालों में सिर्फ दिल्ली वालों का ही इलाज होगा। ये फैसला डॉ. महेश वर्मा की अध्यक्षता वाली कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि दिल्ली स्थित केंद्र सरकार के अस्पतालों में सभी का इलाज पहले की तरह ही होता रहेगा। दिल्ली सरकार का यह फैसला सिर्फ यहां के प्राइवेड और दिल्ली सरकार के अस्पतालों पर लागू होगा। हालांकि, इसमें भी कुछ अस्पतालों को विषेश छूट दी गई है।

केजरीवाल सरकार ने यह फैसला तब लिया है जब दिल्ली सरकार द्वारा गठित पांच सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि दिल्ली को कुछ दिन बाद 15 हजार बेड की ज़रूरत पड़ेगी और जिस रफ्तार से कोरोना वायरस बढ़ रहा है, उसे देखते हुए 15 जुलाई तक 42 हजार बेड की ज़रूरत पड़ सकती है। कमेटी ने सुझाव दिया था कि कोविड-19 संकट के मद्देनजर दिल्ली के स्वास्थ्य ढांचे का इस्तेमाल केवल राष्ट्रीय राजधानी के निवासियों के उपचार के लिए ही किया जाए।

रिपोर्ट में कहा गया था कि अगर दिल्ली का स्वास्थ्य ढांचा बाहर के लोगों के लिए खुला रहा तो महज तीन दिन में सारे बेड भर जाएंगे। कमेटी के सदस्यों में जीटीबी अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ सुनील कुमार, दिल्ली चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डॉ अरुण गुप्ता, दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ आर के गुप्ता और मैक्स अस्पताल के समूह चिकित्सा निदेशक डॉ संदीप बुद्धिराजा हैं।

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